
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलगुरु आचार्य मनोज दीक्षित के दो वर्षीय कार्यकाल में विद्यार्थियों को प्राचीन, सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर का संरक्षण एवं पुनर्जीवन करते हुए विद्यार्थियों को भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने के लिए विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में भाारतीय ज्ञान प्रणाली को समावेशित किया गया है जिससे विद्यार्थियों को आधुनिक भारत में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को साकार करते हुए उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके। कुलगुरु आचार्य मनोज दीक्षित की प्रेरणा से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसरण में तैयार करवाये पाठ्यक्रमों में भारत की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डाला गया है और भारत की धरोहर, सांस्कृतिक पहचान, विरासत और आत्म विश्वास जैसे भारत के अतीत से प्रेरणा लेकर एक नए भारत का निर्माण में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करना इंगित किया गया है। महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा तैयार पाठ्यक्रम शिक्षार्थियों को भारतीय ढांचे और माॅडलों का उपयोग करके स्वंतत्र और मौलिक रूप से सोचने में सक्षम बनाता है ताकि वर्तमान व्यावसायिक दुनिया की समस्याओं का हल किया जा सकें।
आचार्य दीक्षित के दो वर्षीय कार्यकाल में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा विद्यार्थियों के हित में अनेक निर्णय लेते हुए डाॅक्टर आॅफ लिटरेचर एवं डाॅक्टर आॅफ सांइस जैसी उच्च श्रेणी की उपाधि प्रदान करने का अवसर दिया गया है। वर्ष 2018 के पश्चात् वर्ष 2023 में पीएच.डी. की 2964 विद्यार्थियों की प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाकर कोर्सवर्क पश्चात 380 विद्यार्थियों के शोध कार्य प्रारम्भ करने का शुभारम्भ हो चुका है। साथ ही वर्ष 2025 में 360 सीटों पर प्रवेश हेतु विज्ञापन जारी कर दिया गया है। वैश्वीकरण के इस युग में हमारा शोध कार्यक्रम हमारी संस्कृति और पहचान को संरक्षित करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध पहलुओं पर शोध करने और उन्हें नई दृष्टि से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित शोध हमारी सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक संदर्भ में उपयोग की बनाते हुए न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए ज्ञान और विकास का एक अमूल्य स्रोत साबित होगी।
आचार्य मनोज दीक्षित के कुलगुरु कार्यकाल के दो वर्षो में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय ऊँचाईयों को स्पर्श करता हुआ विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय को पी.एम. उषा योजना के तहत 20 करोड़ राशि का अनुदान प्राप्त हुआ है जिससे पश्चिमी राजस्थान के रेगीस्तानी भू-भाग में स्थापित इस विश्वविद्यालय में अकादमिक, शोध और भौतिक संसाधनों में अभिवृद्धि हो रही है और विद्यार्थियों को दी जा रही सुविधाएं हाईटेक की जा रही है।
केन्द्रीय पुस्तकालय के माध्यम से नवाचार करते हुए एमजीएसयू ई-लाईब्रेरी प्लेटफार्म एवं पुस्तकालय की मोबाईल ऐप सेवा का आगाज किया है। इसके तहत विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी आॅनलाइन माध्यम से ई-किताबों, थीसिस, लेक्चर सहित कई तरह की सुविधाऐं आॅनलाइन माध्यम से देख सकेंगें। इसे रिमोट एक्सेस सबस्क्रिप्शन (ओ.एन.ओ.एस.) में शामिल किया गया है जिससे अब यू.जी.सी. की ओर से विश्वविद्यालय को मिल रहे तीस मुख्य प्रकाशकों के सबस्क्रिप्शन का फायदा सभी विद्यार्थियों को भी मिल सकेगा। यह सेवा शुरू करने वाला यह विश्वविद्यालय प्रदेश का प्रथम राजकीय विश्ववि़द्यालय है। विश्वविद्यालय द्वारा पीएच.डी. शोधग्रंथों को भी ई-प्लेटफार्म के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा 2004 से 2024 की अवधि में उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों के डाटा नेशनल एकेडमिक डिपोजिटरी पोर्टल पर अपलोड कर दिये गए है जिससे विद्यार्थी डिजिलाॅकर के माध्यम से अपने शैक्षणिक रिकार्ड का उपयोग कर सकते है। साथ ही विद्यार्थियों की सुविधा हेतु माइग्रेसन प्रमाण-पत्र एवं डुप्लीकेट अंकतालिका आॅनलाइन माध्यम से उपलब्ध कराये जा रहे है जिससे विद्यार्थी दूरस्थ स्थान से विश्वविद्यालय आने की आवश्यकता नहीं रहती है। साथ ही विद्यार्थियों को स्वरोजगार के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ‘शिक्षा-उद्योग इन्टरफेस’ कार्यक्रम आयोजित करवाकर क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की उपलब्धता करवाई गई।
विश्वविद्यालय के विकास को पंख लगाते हुए आचार्य दीक्षित के दो वर्षीय कार्यकाल में विश्वविद्यालय द्वारा नवाचार करते हुए शैक्षणिक एवं सह-शैक्षणिक स्तर पर उत्कृष्ट विद्यार्थी को ’महाराजा गंगा सिंह अवार्ड‘ एवं खेलकूद के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को ‘महाराजा करणी सिंह खेल अवार्ड’, प्रदान करने का शुभारम्भ किया गया जिससे प्रतिभागों को प्रोत्साहन मिल सके। साथ ही विश्वविद्यालय स्थापना के पश्चात् प्रथमबार मानद उपाधि प्रदान करने की शुरूआत करते हुए श्री अरूण योगीराज लब्धप्रतिष्ठ मूर्तिकार को ‘‘मानद उपाधि’’ प्रदान कर एक अनुकरणीय कार्य किया है।
अपने क्षेत्र की विशिष्ट भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार क्षेत्र के विकास की रूपरेखा बनाने हेतु हितधारकों से परिचर्चा एवं संवाद के उद्देश्य से विश्वविद्यालय ने यूनिसेफ राजस्थान के साथ मिलकर विकसित भारत- विकसित राजस्थान: एक परिकल्पना विषय पर कार्यशाला आयोजित कर पश्चिमी राजस्थान के भौगोलिक क्षेत्र, वनस्पतियों, जीवों, कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं संस्कृति पर विभिन्न हितधारकांे एवं विषय विशेषज्ञों से परिचर्चाएं की गई। राजस्थान के समृद्ध साहित्य की अभिव्यक्ति का माध्यम राजस्थानी भाषा रही है इसलिए युवाओं में इस भाषा के प्रति रुझान पैदा करने के उद्देश्य से ‘‘राजस्थानी भाषा, साहित्य और कला-संस्कृति का महत्व’’ विषय पर विस्तार व्याख्यान आयोजित किया करवाया गया जिसमंे इस क्षेत्र में राजस्थानी भाषा के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया गया।
आचार्य मनोज दीक्षित के दो वर्षीय कार्यकाल में अनेक उपलब्धियां हासिल करते हुए विश्वविद्यालय एवं भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद् के संयुक्त तत्त्वावधान मे “विकसित भारत 2047” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करवाई गई तथा महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद् के विशाल सम्मेलन मेें कुलगुरु आचार्य मनोज दीक्षित को भारतीय विश्वविद्यालय संघ का अध्यक्ष घोषित किया गया।
आचार्य मनोज दीक्षित के प्रयासों से शैक्षणिक उन्नयन के साथ खेलकूद विकास की गंगा भी बही जिसके तहत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने अखिल राष्ट्रीय अंन्तरविश्वविद्यालय एवं खेलो इण्डिया विश्वविद्यालयी खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर 6 स्वर्ण, 4 रजत एवं 13 कास्य पदक सहित कुल 27 पदक प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर खेल जगत में विश्वविद्यालय की उपस्थिति दर्ज करवाई। विश्वविद्यालय के दो खिलाड़ियों मानव सारडा एवं कविता सिहाग ने वल्र्ड यूनिवसिटी चैम्पियनशिप, कोस्टारिेका के लिए चयनित होकर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर विश्वविद्यालय को पहचान दिलाई। महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय द्वारा चैथी बार अखिल भारतीय अन्तर विश्वविद्यालय साईक्लिंग प्रतियोगिता (पुरूष एवं महिला) में 80 विश्वविद्यालयों के 500 प्रतिभागियों से प्रतिस्पर्धा कर खिताब हासिल किया। विश्वविद्यालय अकादमिक के साथ साथ स्पोटर््स हब के रूप में अपनी पहचान बनाने के ओर अग्रसर है। परिसर में उपलब्ध साईक्लिंग वैलोड्रम एवं इण्डोर स्पोट्र्स काॅम्पलेक्स विद्याड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने हेतु वरदान साबित हो रहे है।
आचार्य दीक्षित के दो वर्षीय स्वर्णिम कार्यकाल में विद्यार्थियों साथ-साथ शिक्षकांे एवं कार्मिकों के लिए भी अनेक कल्याणकारी कार्य किये गए है। लगभग दो वर्षो से लम्बित शिक्षकों को केरियर एडवांसमेन्ट स्कीम के तहत पदोन्नत करते हुए सहायक आचार्य से सह आचार्य पदों पर पदोन्नति प्रदान की गई है। साथ ही कार्मिकों को भी कार्यालय सहायक से अनुभाग अधिकारी एवं अनुभाग अधिकारी से सहायक कुलसचिव पद पर पदोन्नत किया गया है।
आचार्य दीक्षित के प्रयासों से आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत विश्वविद्यालय में ‘‘अमृत-वाटिका’’ तैयार करवाकर स्थानीय संभागीय क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों के शिलाफलक तथा पौधों का नामकरण संभागीय क्षेत्र के शहीदों के नाम से किये गये है। विश्वविद्यालय में एन.सी.सी. शूटिंग रेंज एवं बायोडायवर्सिटी रेंज भी तैयार की गई है जिससे परिसर में रहने वाले जीव-जन्तुओं का संरक्षण भी किया जा सकें।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय से जुडे़ शिक्षाविद्, प्राचार्यगण एवं विश्वविद्यालय के कार्मिकों ने आचार्य दीक्षित के कुलगुरु कार्यकाल के दो वर्षो को सफल मानते हुए उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की।
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