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रातीघाटी युद्ध क्षेत्रीय इतिहास की घटना न होकर राष्ट्रीय घटना है- राजवीर सिंह चलकोई

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शोध के माध्यम से रातीघाटी युद्ध में जैतसी के शौर्य को जनसामान्य तक पहुंचाना अनुकरणीय – जेठानंद व्यास

रातीघाटी युद्ध उपन्यास केवल वीर जैतसी के शौर्य का ही नहीं वरन् तत्कालीन लोक -भाषा, लोक -कला,लोक-गीत , लोक -नीति एवं संस्कृति का एक जीवंत दस्तावेज है- जानकी नारायण श्रीमाली

बीकानेर, 01 नवम्बर,2025l
शोध के माध्यम से रातीघाटी युद्ध में जैतसी के शौर्य को जनसमान्य तक पहुंचाना अनुकरणीय है ।
। ये उद्गार व्यक्त किए बीकानेर के पश्चिम विधायक जेठानंद व्यास ने । अवसर था रवीन्द्र रंगमंच पर आयोजित 491 वें रातीघाटी युद्ध विजय-उत्सव का । उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि रातीघाटी युद्ध में राव जैतसी के शौर्य को शोध के माध्यम से रातीघाटी उपन्यास के विशाल फलक पर रेखांकित करने के लिए लेखक श्री जानकीनारायण श्रीमाली अभिनंदनीय है । उन्होंने कहा कि रातीघाटी युद्ध के नायक राव जैतसी अपने शौर्य से इतिहासपुरुष के रूप में दर्ज हुए ।
इस अवसर पर विशाल सभा को संबोधित करते हुए इतिहासविज्ञ राजवीर सिंह चलकोई ने कहा कि इतिहास में अनेक घटनाएं अनछुई है, आवृत हैं या छद्म रूप से प्रचारित है । इतिहास के निरंतर अध्ययन, सूक्ष्म दृष्टि एवं प्रामाणिक शोध से ही इन छद्म विमर्शों को समाप्त किया जा सकता है ।श्रीमाली जी का शोध यह प्रमाणित करता है कि रातीघाटी युद्ध केवल जैतसी की विजय नहीं थी वरन् खानवा के युद्ध की हार का मुगलों से प्रतिशोध था । यह युद्ध क्षेत्रीय इतिहास न होकर राष्ट्रीय इतिहास की एक घटना है । उन्होंने युवा वर्ग से यह अपील की कि हमें हमारे महापुरुषों एवं संतों को पूजने की ही नहीं वरन् उनके मार्ग पर चलने की भी आवश्यकता है । उन्होंने अपनी रूस यात्रा के सस्मरण का जिक्र करते हुए देश के युवाओं से देश के सैनिकों एवं लेखकों का हमेशा सम्मान करने की सीख भी प्रदान की ।
विजयोत्सव के प्रारंभ में नरेंद्र सिंह बीका ने स्वागत उद्गार व्यक्त किए एवं भारतीय इतिहास लेखन समिति के जोधपुर प्रांत प्रमुख डॉ.अशोक शर्मा ने विचार रखे ।
रातीघाटी युद्ध उपन्यास के लेखक जानकी नारायण श्रीमाली ने सभा को हर्ष के साथ बताया कि रातीघाटी युद्ध विजयोत्सव का यह पल मेरी 35 वर्ष की शोधयात्रा में युगांतरकारी है । उन्होंने कहा कि रातीघाटी युद्ध उपन्यास में जैतसी के अदम्य शौर्य का ही नहीं वरन् तत्कालीन लोक-कला, लोक-भाषा, लोक-गीत , लोक-नीति एवं संस्कृति, लोक-धर्मी जन-मन का वर्णन हुआ है । उन्होंने बीकानेर के जन से रातीघाटी शोध एवं विकास समिति को भी आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाने की अपील मंच से की । इस अवसर पर पाथेय के सह-संपादक श्याम सिंह सोवा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें अपने मूल एवं इतिहास को विस्मृत नहीं करना चाहिए । इजरायल देश की भाँति हम अपने मूल इतिहास , प्राचीन संस्कृति को स्मृत एवं संरक्षित रखकर ही मन में राष्ट्र प्रथम के भाव को अमर रख सकते हैं ।
कार्यक्रम के मध्य में वैभव पारीक ने अपनी ओजपूर्ण वाणी से राष्ट्रवादी एवं प्रेरक गीत ‘ले चल हमें राष्ट्र की नौका भंवर में पार कर’ सुनाया । कवि राजेंद्र स्वर्णकार ने भी रातीघाटी युद्ध पर कविता पाठ किया । अभिप्रेरक वक्ता एवं विद्वान शिक्षक चक्रवर्तीनारायण श्रीमाली ने रातीघाटी युद्ध के नायक जैतसी को प्रजाहितैषी एवं कूटनीतिक शासक थे । उन्होंने अपनी विस्मयपरक एवं अभेद कूटनीति से कामरान को परास्त किया तथा उनका ऐतिहासिक नायक के रूप में उदय हुआ । इस विजयोत्सव में मंच पर भामाशाह एवं उद्योगपति चम्पा लाल डागा, बीकानेर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विभाग संघ चालक टेकचंद बरडीया एवं व्यवसायी एवं समाजसेवी सुभाष मित्तल उपस्थित रहे । कार्यक्रम के मध्य में रातीघाटी उपन्यास के द्वितीय संस्करण एवं रातीघाटी समिति की वेबसाइट का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों के कर-कमलों से हुआ । कार्यक्रम के अंत में मंचासीन अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं शाल इत्यादि भेंट कर सम्मानित किया । कार्यक्रम का संचालन श्री मदन मोदी ने किया ।

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