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एमजीएस विवि में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का केंद्रीय कानून मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया अनावरण

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डॉ अंबेडकर संविधान निर्माता के साथ ना केवल देश के बल्कि पूरे विश्व के महान अर्थशास्त्री भी थे- श्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय कानून एवं विधि मंत्री

“कोलंबिया विश्वविद्यालय ने 300 साल के इतिहास में डॉ अंबेडकर को सर्वाधिक प्रतिभावान मानते हुए मूर्ति लगाई”

बीकानेर, 06 दिसंबर। भारतीय संविधान के शिल्पकार, भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर शनिवार को महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में केंद्रीय कानून एवं विधि मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मेघवाल ने प्रतिमा का अनावरण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर श्री मेघवाल ने विश्वविद्यालय परिसर में विधि विभाग के डॉ अंबेडकर भवन के सामने पार्क में बरगद के पौधे का रोपण भी किया।विधि के प्रतिभावान छात्र छात्राओं को सम्मानित भी किया।

डॉ अंबेडकर ना केवल देश के बल्कि पूरे विश्व के महान अर्थशास्त्री थे

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री मेघवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय में स्थापित की गई डॉ अंबेडकर की यह मूर्ति आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देगी। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर को संविधान निर्माता और दलितों के मसीहा के रूप में जाना जाता है लेकिन वे ना केवल देश के बल्कि पूरे विश्व के महान अर्थशास्त्री भी थे। उन्होंने ”द प्रॉब्लम ऑफ रूपी” नामक किताब लिखी। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में डॉ अंबेडकर का पोट्रेट भी लगाया गया। इसी वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस पर यूनेस्को के पेरिस मुख्यालय में डॉ अंबेडकर की मूर्ति लगाई गई है।

कोलंबिया विश्वविद्यालय ने डॉ अंबेडकर को 300 साल के इतिहास में सर्वाधिक प्रतिभावान माना

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कोलंबिया विश्वविद्यालय में जहां डॉ अंबेडकर पढ़े, ने 300 साल के इतिहास का सर्वे करवा कर डॉ अंबेडकर को सर्वाधिक प्रतिभावान छात्र मानते हुए विश्वविद्यालय परिसर में उनकी मूर्ति स्थापित की और मूर्ति के नीचे लिखा “सिंबल ऑफ नॉलेज” ( ज्ञान का प्रतीक)।श्री मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में डॉ अंबेडकर की प्रतिमा नहीं थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर कोर्ट नं.01 में जहां मुख्य न्यायाधीश बैठते हैं, डॉ अंबेडकर की मूर्ति लगाने पर श्री मेघवाल ने देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री डी.वाई. चंद्रचूड़ का आभार भी जताया।

इससे पूर्व कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलगुरू आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि डॉ अंबेडकर की मूर्ति हमारे देश के लगभग हर विश्वविद्यालयों में लगी है लेकिन विश्व के छह बड़े विश्वविद्यालयों कोलंबिया, मेसाचुसेट्स, मेलबर्न समेत जापान, कनाडा व अमेरिका के विश्वविद्यालयों में लगना अपने आप में बड़ी बात है। श्री दीक्षित ने विद्यार्थियों को डॉ अंबेडकर के आदर्शों पर चलने का आह्वान किया।

विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक श्री देवेन्द्र सिंह राठौड़ ने स्वागत भाषण देते हुए डॉ अंबेडकर के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के विधि विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कंवर शेखावत ने कहा कि अंबेडकर जी के आर्थिक विचार आज भी भारत के विकास मॉडल के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं।डॉ भीमराव अंबेडकर सेंटर फॉर मार्जिनलाइज सोसाइटी के निदेशक डॉ गौतम मेघवंशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। विधि छात्र श्री बैरिसाल सिंह और सुश्री बिंदु तंवर ने डॉ अंबेडकर से जुड़े संस्मरण सुनाए। पर्यावरण विज्ञान विभाग में सह आचार्य डॉ प्रभुदान चारण ने मंच संचालन किया।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रो. अनिल कुमार छंगाणी, डॉ अभिषेक वशिष्ट समेत अन्य अधिष्ठाता, निदेशक, डॉ सत्यप्रकाश आचार्य, श्री चंपालाल गेदर, श्री गुमान सिंह राजपुरोहित, श्री महावीर सिंह चारण, एडवोकेट श्री अशोक भाटी, एडवोकेट श्री अशोक प्रजापत, श्री दीपक पारीक, श्री मोतीलाल हर्ष, श्री राजेन्द्र पंवार, श्री संपत पारीक,श्री शिवलाल तेजी, श्री हीरालाल तेजी समेत अन्य गणमान्य लोग व विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य, शोधार्थी, कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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