अजरबैजान बोला- अर्मेनिया को हथियार देना बंद करे भारत:कहा- वो हमारी सीमा पर सैनिक तैनात कर रहा, खतरा बढ़ा तो चुप नहीं रहेंगे
बाकू
अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव पहले भी भारत को अर्मेनिया को हथियार न देने की बात कह चुके हैं। (फाइल)
अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने भारत से अर्मेनिया को हथियार देना बंद करने को कहा है। राजधानी बाकू में COP29 से जुड़े कार्यक्रम में एक सवाल का जवाब देते हुए अलीयेव ने कहा, “यह हमारी देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। फ्रांस, भारत, ग्रीस जैसे देश अर्मेनिया को हमारे खिलाफ जाकर हथियार सप्लाई कर रहे हैं। ऐसे में हम हाथ पर हाथ रखकर बैठे नहीं रह सकते।”
राष्ट्रपति अलीयेव ने कहा, “हमने अर्मेनिया और उसको हथियार देने वाले देशों के सामने अपना रुख साफ कर दिया है। अगर हमारे देश की सुरक्षा को खतरा होगा तो हम इसके खिलाफ एक्शन लेंगे। अर्मेनिया हमारे खिलाफ अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। वो हमारी सीमा पर अपने सैनिक तैनात कर रहा है। ऐसे में हम चुप नहीं रह सकते।”
तस्वीर 2019 की है, जब अर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने PM मोदी से मुलाकात की थी।
अजरबैजान कश्मीर पर देता है पाकिस्तान का साथ
दरअसल, कारबाख को लेकर अजरबैजान और अर्मेनिया में लंबे समय से विवाद रहा है। पाकिस्तान और तुर्किये अजरबैजान को खुला समर्थन और सैन्य सहयोग देते हैं। इसके बदले अजरबैजान कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता है। पिछले साल भारत में मौजूद अजरबैजान के राजदूत अशरफ शिकालियेव ने कहा था कि पिछले 30 साल में अजरबैजान कश्मीर पर पाकिस्तान का साथ देता आया है।
ऐसे में भारत ने पिछले कुछ समय में अर्मेनिया के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाया है। भारत ने पिछले साल जुलाई में अर्मेनिया को पिनाका रॉकेट लॉन्चर का पहला शिपमेंट डिलीवर किया था। पिनाका की डिलीवरी होने की खबर सामने आते ही अजरबैजान में राष्ट्रपति के सलाहकार हिकामत हाजियेव ने भारतीय राजूदत से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने भारत-अर्मेनिया में बढ़ते रक्षा सहयोग पर चिंता जताई थी।
अर्मेनिया-भारत के बीच 6 हजार करोड़ की डिफेंस डील
इसके बाद अर्मेनिया ने भारत और फ्रांस के साथ एक और डिफेंस डील की थी। इसके तहत भारत अर्मेनिया को देश में बना एंटी-एयर सिस्टम आकाश एक्सपोर्ट करेगा। हवाई हमले रोकने वाले इस सिस्टम में तोप, गोला-बारूद और ड्रोन शामिल हैं।
इसके लिए दोनों देशों में करीब 6 हजार करोड़ रुपए का समझौता हुआ था। इस डील के बाद अजरबैजान के राष्ट्रपति ने कहा था कि भारत और फ्रांस इस डील के जरिए आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। इन हथियारों के बाद भी अर्मेनिया कारबाख वापस नहीं ले सकता। अजरबैजान ने पिछले साल सितंबर में नागोर्नो-कारबाख इलाके पर कब्जा कर लिया था।
अजरबैजान-अर्मेनिया के बीच संघर्ष क्यों?
- नागोर्नो-कारबाख इलाका 20 साल से भी ज्यादा समय से अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। कोई भी देश इसे स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं देता।
- 1988 से दोनों यूरेशियन देश नागोर्नो-कारबाख इलाके पर कब्जा करना चाहते हैं।
- यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय रूप से अजरबैजान का हिस्सा है, लेकिन 1991 में यहां के लोगों ने अजरबैजान से आजादी और खुद को अर्मेनिया का हिस्सा घोषित कर दिया था।
- 1994 से कारबाख पर अर्मेनिया के जातीय गुटों का कब्जा है।
- यह दक्षिण कॉकेशस में ईरान, रूस और तुर्की की सीमा पर एक महत्वपूर्ण सामरिक (स्ट्रैटेजिक) इलाका है।
मैप में अजरबैजान, अर्मेनिया और कारबाख इलाके की लोकेशन…
2020 में 6 हफ्ते चला था युद्ध
2020 में अजरबैजान ने अर्मेनिया पर हमला कर दिया था। करीब छह हफ्ते चले युद्ध के बाद अजरबैजान की एकतरफा जीत हुई और उसने विवादित इलाके का बड़े हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया था। इस युद्ध में दोनों देशों के 6,500 से ज्यादा लोग मारे गए थे। युद्ध विराम के लिए रूस को आगे आना पड़ा था।
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