BJP में पूर्व मंत्री और MP-MLA की घर वापसी टली:बिना परमिशन जॉइनिंग घोषणा से विवाद, अब भाटी, रिणवा और गोयल पेडिंग में
आज बीजेपी प्रदेश पदाधिकारियों और कार्य समिति नेताओं की बैठक प्रदेश कार्यालय जयपुर में बुलाई गई है। उससे पहले बीजेपी में पुराने पार्टी नेताओं की घर वापसी पर अंदरुनी विवाद पनप गया है। जिसके कारण पार्टी में आज नेताओं की जॉइनिंग और घर वापसी का कार्यक्रम टाल दिया गया है। इससे पहले 8 अक्टूबर को बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने भी बीजेपी में वापसी का ऐलान किया था। लेकिन पूर्व CM वसुंधरा राजे के खेमे के भाटी की बीजेपी में एंट्री नहीं हो सकी है।
भाटी समेत 5 नेता ऐसे हैं, जो बीजेपी में घर वापसी की कतार में बताए जाते हैं। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा सांसद रहे सुभाष महरिया, पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल, पूर्व विधायक विजय बंसल शामिल हैं। सूत्र बताते हैं इनके अलावा भी 4-5 पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व पार्टी पदाधिकारी पार्टी में आना चाहते हैं, कई कांग्रेस नेता भी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में एंट्री करना चाहते हैं।
तिवाड़ी-दवे-जगत सिंह-किशनाराम नाई की हो चुकी घर वापसी
हालांकि इनसे पहले पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी को बीजेपी ने घर वापसी करवा कर राज्यसभा पहुंचा दिया है। जबकि पूर्व मंत्री लक्ष्मीनारायण दवे, पूर्व विधायक जगत सिंह, किशनाराम नाई की बीजेपी में घर वापसी हो चुकी है।
सुबह 11 बजे से शुरू होगा बीजेपी मुख्यालय में संगठन की बैठकों का दौर।
देवी सिंह भाटी, पूर्व मंत्री। (7 बार के पूर्व विधायक,कोलायत बीकानेर)
क्यों पनपा विवाद ?
देवी सिंह भाटी केस
किसी भी नेता की पार्टी में जॉइनिंग संगठन ही करवाता है। देवी सिंह भाटी ने वसुंधरा राजे के हाल ही में हुए बीकानेर दौरे के वक्त व्यवस्थाएं संभाली थीं। इससे पहले उन्होंने प्रदेश बीजेपी पदाधिकारियों से किसी तरह की बातचीत या सहमति के बिना खुद ही 8 अक्टूबर को बीजेपी जॉइन करने की घोषणा कर दी। इससे प्रदेश बीजेपी भी सकते में आ गई। इसे पार्टी में आने से पहले ही अनुशासनहीनता के तौर पर देखा गया। सूत्र बताते हैं देवी सिंह भाटी की बीजेपी में जॉइनिंग से प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और संगठन पदाधिकारी असहज हो सकते हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2019 में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने बीजेपी पार्टी छोड़ने की घोषणा की थी। तब उन्होंने कहा था कि सांसद और केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को लोकसभा चुनाव में दुबारा उम्मीदवार बनाए पर उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने अर्जुनराम मेघवाल पर पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लगाए थे। देवी सिंह भाटी साल 1980 से लगातार 7 बार विधायक रह चुके थे। भाटी ने तब कहा कि 2014 में भी मुझ पर दबाव डाला गया। समझाइश करने की बात कही, लेकिन कहीं समझाइश की गुंजाइश ही नहीं रही, इसलिए मैंने मजबूरी में इस्तीफा भेज दिया है।
सुभाष महरिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया केस
2014 लोकसभा चुनाव के दौरान सीकर में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के प्रमुख नेता रहे सुभाष महरिया ने बागी के तौर पर पर्चा दाखिल कर दिया था। तब माना गया कि उन्होंने टिकट कटने पर नाराजगी जताते हुए पार्टी आलाकमान के विरोध में यह कदम उठाया है। निर्दलीय पर्चा भरने से पहले कार्यकर्ता सम्मेलन में महरिया ने कहा- महापंचायत के निर्णय पर बड़े संघर्ष में कूदने जा रहा हूं। जयपुर दिल्ली के बड़े नेताओं के अलावा (तत्कालीन) मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और नरेंद्र मोदी से भी फोन पर बात हुई। मोदी से लंबी चर्चा के बावजूद एक बार भी मुझे फार्म भरने से नहीं रोका। महरिया की वापसी से किसको फायदा होगा या किसको नुकसान होगा कहा नहीं जा सकता है। लेकिन बीजेपी नेतृत्व और संगठन को उनके पिछले रिकॉर्ड को देखना होगा।
राजकुमार रिणवा,पूर्व खान और देवस्थान मंत्री (पूर्व विधायक,रतनगढ़,चूरू)
पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा केस
पिछली बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार में खान और देवस्थान मंत्री रहे राजकुमार रिणवा ने नवम्बर 2018 में रतनगढ़ से टिकट कटने पर बागी होकर नामांकन भर दिया था। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर उन्होंने बिना कारण टिकट काटने और मान सम्मान को ठेस पहुंचाने के आरोप लगाए थे। रिणवा की जगह अभिनेष महर्षि को बीजेपी ने टिकट दिया था, जो दो दिन पहले ही बसपा से बीजेपी में आए थे। उससे पहले कांग्रेस में थे। आहत होकर रिणवा ने अप्रैल 2019 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली थी। सरकार बनने के बाद सीएम अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ रहे सचिन पायलट की मौजूदगी में राजकुमार रिणवा ने चूरू में कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।
रिणवा के मंत्री रहते ही प्रदेश में खान महाघोटाले के आरोप कांग्रेस ने लगाए थे। 5 साल कांग्रेस ने इस घोटले को मुद्दा भी बनाया। सीएजी और सीबीआई जांच की मांग को लेकर आंदोलन भी किया और इसे 1 लाख करोड़ का घोटाला बताया था। लोकायुक्त में मामले की जांच पेंडिंग रही और प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने पर रिणवा ने जैसे ही कांग्रेस जॉइन की। कांग्रेस ने मुद्दे पर बोलना ही बंद कर दिया। इतना तय है कि रिणवा ने अपने फायदे के लिए कांग्रेस में जॉइनिंग की। ताकि कांग्रेस सरकार मामले में बड़ी जांच ना बैठा दे। इसका फायदा भी उन्हें मिला। अब चुनाव से पहले रिणवा फिर से बीजेपी का मुंह देख रहे हैं।
सुरेंद्र गोयल,पूर्व मंत्री। (पूर्व विधायक जैतारण,पाली)
पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल केस
पिछली बीजेपी सरकारों में दो बार मंत्री रहे सुरेन्द्र गोयल भी 2018 में टिकट कटने पर बागी हो गए थे। सुरेंद्र गोयल ने पाली से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। हालांकि उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं। पिछली राजे सरकार में गोयल जलदाय मंत्री रहे थे। गोयल 5 बार विधायक रहे हैं। उन्होंने पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष (स्व.) मदनलाल सैनी के नाम से इस्तीफा भेजा था। गोयल ने संगठन और आरएसएस के विरोध के कारण अपना टिकट काटे जाने के आरोप लगाए थे।
विजय बंसल,पूर्व विधायक,भरतपुर
पूर्व विधायक विजय बंसल केस
भरतपुर से पूर्व विधायक विजय बंसल को दिसम्बर 2019 में बीजेपी पार्टी ने प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था। नगर निगम के चुनाव में पहले बीजेपी दो गुटों की आपसी खींचतान से जूझी और बगावत के कारण मेयर की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था। बगावत करने का रिजल्ट सामने आया, जिसमें भाजपा के प्रदेश महामंत्री वीरमदेव के हस्ताक्षर से जारी पत्र में पूर्व विधायक विजय बंसल, नगर निगम के पूर्व मेयर शिवसिंह भोंट को नगर निगम के स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की गंभीर शिकायतों के कारण भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने अविलंब प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करने का आदेश दिया था। साथ ही अनुशासनहीनता के संबंध में कारण बताओ नोटिस अलग से जारी किया गया था। विजय बंसल भी वसुंधरा राजे खेमे के माने जाते हैं।
दिवाली बाद अब जॉइनिंग पर फिर से होगा मंथन
20 और 21 अक्टूबर को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कोटा दौरा है। जहां वह बूथ सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इसके बाद दिवाली का त्योहारी सीजन है। माना जा रहा है कि दिवाली बाद ही अब पार्टी में जॉइनिंग को लेकर बड़े स्तर पर फिर से मंथन होगा। सूत्रों के मुताबिक अलग-अलग जिलों और विधानसभा क्षेत्रों से बीजेपी प्रदेश संगठन को नेताओं के नाम पार्टी सदस्यता और घर वापसी के लिए मिल रहे हैं। सभी नेताओं के पिछले रिकॉर्ड, उन्हें पार्टी में लेने के फायदे-नुकसान, पार्टी की रीति-नीति जैसी तमाम बातों को ध्यान में रखकर ही एक लिस्ट तैयार की जा रही है।
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