दावा- चीन ने शिंजियांग में 630 गांवों के नाम बदले:मस्जिद, खलीफा जैसे नाम हटाकर चीनी भाषा में रखा; उइगर संस्कृति को मिटाने का आरोप
![शिंजियांग प्रांत की ये तस्वीर 2018 की है। इसमें मंदारिन भाषा में बदले हए गांव का नाम लिखा है।(फाइल) - Dainik Bhaskar](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/06/20/her-candidacy-comes-after-months-of-harsh-policies_1718891602.png)
शिंजियांग प्रांत की ये तस्वीर 2018 की है। इसमें मंदारिन भाषा में बदले हए गांव का नाम लिखा है।(फाइल)
चीन ने उइगर मुसलमानों से जुड़े 630 गांवों और कस्बों के नाम बदल दिए हैं। न्यूयॉर्क स्थित ह्यूमन राइट वॉच (HRW) और नॉर्वे की उइगर हेल्प ने मिलकर बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने उइगरों के लिए धार्मिक, ऐतिहासिक या सांस्कृतिक अर्थ वाले सैकड़ों गांवों और कस्बों के नाम बदल दिए हैं और उनकी जगह ऐसे नाम रखे हैं जो कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा से मेल खाते हैं।
दोनों संगठनों के किए गए शोध से पता चलता है कि अधिकांश गांवों के नाम 2017 से 2019 के बीच बदले गए। रिपोर्ट में बताया गया है कि ये वही दौर था जब शिंजियांग में उइगरों पर उत्याचार चरम पर था।
धार्मिक-सांस्कृतिक वजहों से बदले गए नाम
HRW की रिसर्च में बताया गया है कि 2009 से 2023 के बीच चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स वेबसाइट से पता चलता है कि शिंजियांग के 25 हजार गांवों में से 3,600 गांवों के नाम बदले गए हैं। इसमें बताया गया है कि अधिकांश गांव के नाम बदलने के पीछे सामान्य वजह लगती है। जैसे कि कई गांवों के नाम गलत मात्रा होने की वजह से बदले गए हैं लेकिन 630 गांव ऐसे हैं जिन्हें धार्मिक या फिर सांस्कृतिक वजहों से बदला गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक ‘होजा’(खलीफा), ‘हनीका’(शासक), ‘मजार’(मस्जिद) जैसे नामों को हटा दिया गया है। ये नाम उइगर आबादी की संस्कृति से जुड़े हुए थे। इनके नाम बदलकर मंदारिन(चीनी) में ‘खुशी’, ‘एकता’ या ‘सद्भाव’ रख दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शिनजियांग में अब कोई भी ऐसा गांव नहीं बचा है जिसके नाम में खलीफा या फिर मस्जिद शब्द का जिक्र हो।
‘उइगर संस्कृति को मिटाने का प्रयास’
HRW की डायरेक्टर माया वांग ने कहा कि ये नाम उइगरों के लिए एक अर्थ रखते हैं। चीनी सरकार इन नामों को बदलकर उनकी संस्कृति को मिटाने का प्रयास कर रही है। ह्यूमन राइट्स वॉच के एशिया डिवीजन की निदेशक एलेन पियर्सन ने कहा, ‘यह इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने के चीनी सरकार के प्रयासों का हिस्सा है। वे इस्लामी या अरबी भाषा से जुड़ी किसी भी चीज को खतरनाक मानते हैं, इसलिए उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा को ध्यान में रखते हुए नाम बदले हैं’।
![चीन ने शिंजियांग में गावों के नाम धार्मिक और सांस्कृतिक वजहों से बदले हैं।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/06/20/10_1718891840.png)
चीन ने शिंजियांग में गावों के नाम धार्मिक और सांस्कृतिक वजहों से बदले हैं।
चीन ने 2023 में तिब्बत का बदला नाम
चीन ने जगहों का नाम बदलने का चलन सबसे पहले तिब्बत में शुरू किया था। उसने तिब्बत के कई इलाकों के नाम बदल डाले और 2023 में उसने तिब्बत का ही नाम बदल दिया। चीन ने तिब्बत का नया नाम ‘शीजांग’ रखा है।
इसके अलावा चीन अरुणाचल प्रदेश के भी इलाकों का नाम बदलता रहता है। चीन ने 1 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर वहां की 30 जगहों के नाम बदल दिया था। पिछले 7 सालों में ऐसा चार बार हुआ है, जब चीन ने अरुणाचल की जगहों के नाम बदल दिए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बत और शिनजियांग में चीनी सेना का काफी सक्रिय है ऐसे में वहां से मानवाधिकारों के हनन के बारे में जानकारी न के बराबर निकल पा रही है। चीनी सरकार उन इलाकों के बारे में कोई जानकारी मुहैया भी नहीं कराती है।
![चीन में उइगर मुसलमानों संग अत्याचार के कई मामले सामने आए हैं।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/06/20/thumbsbce859150185a014bf3da8faeed2c079e5_1718892018.jpg)
चीन में उइगर मुसलमानों संग अत्याचार के कई मामले सामने आए हैं।
कौन हैं उइगर
उइगर एक तुर्क जातीय समूह है जो मुख्य रूप से शिंजियांग में रहता है। शिंजियांग की सीमा मंगोलिया और रूस सहित 8 देशों के साथ मिलती है। इस इलाके में मुस्लिम धर्म को मानने वाली उइगर जाति का काफी लंबे समय बीजिंग के साथ एक विवादास्पद संबंध रहा है।
शिन्जियान प्रांत में रहने वाले उइगर मुसलमान खुद को चीनी नहीं मानते। वे तुर्की भाषा बोलते हैं और खुद को तुर्की मूल का मानते हैं। इस क्षेत्र में उइगर और चीनी सुरक्षा बलों के बीच कई बार हिंसक झड़पें हुई हैं। कम्युनिस्ट सरकार की कठोर नीति के कारण हजारों उइगर भागकर दूसरे देशों में शरण लिए हुए हैं।
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