REPORT BY : SAHIL PATHAN
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच समुद्री संचालन में आपसी समझ और अंतर-संचालन को बढ़ाना है। इससे भारत और इंडोनेशिया के द्विपक्षीय संबंध भी मजबूत होंगे।
भारतीय नौसेना ने चीन की नाक के नीचे इंडोनेशिया के साथ समुद्र शक्ति युद्धाभ्यास किया है। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती पहुंच को रोकने के लिए इस युद्धाभ्यास को अहम माना जा रहा है। 20 से 22 सितंबर तक हुए इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों के युद्धपोतों ने अपनी ताकत दिखाई है। यह युद्धाभ्यास हिंद महासागर का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले सुंडा जलसंधि के पास हुआ है। दक्षिणी चीन सागर के नातुना द्वीप को लेकर इंडोनेशिया और चीन में विवाद है। समुद्र शक्ति युद्धाभ्यास में भारत की तरफ से आईएनएस शिवालिक और कदमत ने हिस्सा लिया। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच समुद्री संचालन में आपसी समझ और अंतर-संचालन को बढ़ाना है। इससे भारत और इंडोनेशिया के द्विपक्षीय संबंध भी मजबूत होंगे। यह अभ्यास सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को साझा करने और समुद्री सुरक्षा अभियानों से जुड़ी एक सामान्य समझ विकसित करने के लिए एक उपयुक्त मंच भी प्रदान करेगा।
भारत और इंडोनेशिया के इन युद्धपोतों ने लिया हिस्सा
भारतीय नौसेना का आईएनएस शिवालिक युद्धपोत नवीनतम स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित मल्टी-रोल गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रिगेट है। इसके अलावा आईएनएस कदमत एंटी-सबमरीन कार्वेट हैं। ये दोनों युद्धपोत पूर्वी नौसेना कमान के तहत विशाखापत्तनम में स्थित भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े का हिस्सा हैं। इस युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना के एंटी सबमरीन एयरक्राफ्ट पी-8आई ने भी हिस्सा लिया है। इंडोनेशिया की तरफ से इस युद्धाभ्यास में केआरआई बंग तोमो, केआरआई मलहायती एवं समुद्री गश्ती और टोही विमान सीएन-235 ने हिस्सा लिया। इस दौरान दोनों देशों की नौसेनाओं ने एक साथ मिलकर गहरे पानी में छिपी दुश्मन की पनडुब्बी को खोजने और उसे नष्ट करने का अभ्यास भी किया।
सुंडा जलसंधि पर निगरानी से चीन की मुश्किलें बढ़ेगी
हिंद महासागर में प्रवेश के लिए सुंडा जलसंधि को महत्वपूर्ण प्रवेशद्वार माना जाता है। अगर चीन के किसी जहाज या पनडुब्बी को हिंद महासागर में प्रवेश करना है तो उसे इंडोनेशिया के सुंडा जलसंधि या मलेशिया के मलक्का की खाड़ी से प्रवेश करना होगा। मलक्का की खाड़ी एक व्यस्त व्यापारिक मार्ग है। इस पतले प्रवेश द्वार पर भारत, अमेरिका समेत कई देशों की पैनी नजर बनी होती है। ऐसे में चीन को सुंडा जलसंधि से होकर एक अच्छा रास्ता मिल सकता है। लेकिन, अब भारतीय नौसेना के इस जलसंधि के पास युद्धाभ्यास से आने वाले दिनों में चीन की मुश्किलें काफी बढ़ सकती हैं। इंडोनेशिया के साथ भी चीन के संबंध अच्छे नहीं है। ऐसे में अगर कोई चीनी युद्धपोत या पनडुब्बी इस रास्ते से हिंद महासागर में प्रवेश की कोशिश करती है तो वह इंडोनेशिया की नजर में आ जाएगी। जिससे चीन की उस पनडुब्बी को ट्रैक करना आसान हो सकता है।
दक्षिण चीन सागर में भिड़े हुए हैं चीन और इंडोनेशिया
चीन और इंडोनेशिया में दक्षिण चीन सागर और द्वीपों को लेकर विवाद है। सितंबर में ही इंडोनेशिया ने चीन के एक जहाज को अपनी जलसीमा से खदेड़ा था। नातुना द्वीप के पास चीनी झंडे वाले मछली पकड़ने की नौकाएं अक्सर देखी जाती हैं। चीनी सरकार समर्थित ये नौकाएं ड्रैगन के दावे को लेकर भेजी जाती हैं। जिनकी रखवाली करने के लिए चीनी पेट्रोल वेसल भी तैनात होते हैं। जिसके बाद इस इलाके में इंडोनेशिया ने भी अपनी नौसेना की तैनाती बढ़ा दी है। जुलाई के आखिरी में इंडोनेशिया ने नातुना द्वीप के पास ही बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास किया था। विशेषज्ञों के अनुसार, चीन से बढ़ती तनातनी के बीच इंडोनेशिया तेजी से अपनी क्षमता को बढ़ा रहा है। इस अभ्यास में 24 युद्धपोतों ने हिस्सा लिया था, जिसमें दो मिसाइल डिस्ट्रॉयर और चार एस्कॉर्ट वेसल थे। साउथ चाइना सी के 90 फीसदी हिस्से पर चीन अपना दावा करता है। इस समुद्र को लेकर उसका फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और वियतनाम के साथ विवाद है। वहीं, पूर्वी चाइना सी में जापान के साथ चीन का द्वीपों को लेकर विवाद चरम पर है। अमेरिका ने भी साउथ चाइना सी पर चीन के दावे को खारिज कर दिया था।
हिंद महासागर के देशों को भारत के खिलाफ उकसा रहा चीन
चीनी मीडिया हिंद महासागर के देशों को भारत के खिलाफ उसकाने में लगा है। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स मेडागास्कर और कोमोरोस को उकसाते हुए लिखा कि यह दोनों देश संप्रभु राष्ट्र हैं। उन्हें अपनी विदेश नीतियों को स्वयं बनाने और अपने अंतर्राष्ट्रीय मामलों को स्वयं करने का अधिकार है। वे आंख मूंदकर खुद को भारत के साथ नहीं आएंगे। इसके अलावा इन देशों ने हमेशा चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं। क्योंकि, चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उचित भूमिका निभाने के लिए सक्रिय रूप से उनका समर्थन करता है। ग्लोबल टाइम्स के जरिए चीन ने अदन की खाड़ी में अपने जंगी जहाजों और पनडुब्बियों की तैनाती को लेकर भी बचाव किया। चीनी मीडिया ने तल्ख लहजे का इस्तेमाल करते हुए लिखा कि भारत को याद रखना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में चीन के पास विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी है। यदि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अधिकृत और पुष्टि नहीं की गई होती तो चीन अदन की खाड़ी में एस्कॉर्ट मिशन कैसे चला सकता था?
बंगाल की खाड़ी में अपनी उपस्थिति बनाना चाहता है चीन
चीन बंगाल की खाड़ी में भारत को घेरने के लिए हर हाल में अपनी उपस्थिति बनाना चाहता है। यही कारण है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट की पूरी दुनिया ने आलोचना की लेकिन, चीन ने हर कदम पर म्यांमार की सेना का पक्ष लिया। उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद में म्यांमार सेना की आलोचना करने वाले प्रस्ताव पर वीटो किया था। आंग सांग सू की की सरकार चीन के प्रोजक्ट्स को मंजूरी नहीं दे रही थी, जिससे बांग्लादेश तक चीन के पहुंचने का सपना प्रभावित हो रहा था। गौरतलब है कि चीन ने बांग्लादेश में 26 अरब डॉलर का निवेश किया है जबकि 38 अरब डॉलर निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके साथ ही बांग्लादेश उन देशों में शामिल हो गया है, जहां पर चीन ने आधारभूत संरचना में सबसे अधिक निवेश किया है। बांग्लादेश चीन से लगभग 15 बिलियन डॉलर का आयात करता है। जबकि चीन को बांग्लादेश से निर्यात किए जाने वाले वस्तुओं की कीमत आयात के मुकाबले बहुत कम है।
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