FIR के लिए भटकती रहीं पूर्व महिला जज:चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर कहा- भद्दी गालियां दीं; वकीलों ने मारपीट की, नौकरी से हटाया
जयपुर
राजस्थान के नागौर जिले में तैनात रही एक पूर्व महिला जज का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाईं है।
लेटर में पूर्व महिला जज ने एडवोकेट्स और पुलिस के साथ ही पूरे ज्यूडिशियल सिस्टम पर कई आरोप लगाए हैं।
पूर्व महिला जज ने CJI को लिखी चिट्ठी में बताया है कि ‘हाल ही में बांदा में तैनात सिविल जज अर्पिता साहू ने जब अपने साथ हुए अन्याय के बाद इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई तो उन्हें भी इस करप्ट और बेकार सिस्टम से लड़ने की प्रेरणा मिली।’
‘हालांकि मैं अपने लिए किसी दया या आत्महत्या की मांग नहीं कर रही हूं, बल्कि राजस्थान में जजों के लिए न्याय मांग रही हूं।’
सबसे पहले पढ़िए पूर्व अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट, नागौर का लेटर, जो उन्होंने CJI को लिखा…
CJI को लिखे लेटर में पूर्व महिला जज ने एडवोकेट्स और पुलिस के साथ ही पूरे ज्यूडिशियल सिस्टम पर कई आरोप लगाए हैं।
‘अर्पिता साहू मैम का पत्र पढ़कर मुझे बहुत निराशा हुई। जो मेरी ही तरह अपने ही विभाग से प्रताड़ित थी।’
‘उन्हीं के पत्र ने मुझे यह पत्र लिखने के लिए प्रेरणा दी ताकि मेरे दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो। ताकि भविष्य में किसी जज को परेशान न किया जाए और न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा नहीं डगमगाए।’
‘6 अक्टूबर 2023 को मुझे एक न्यायाधीश के रूप में अपनी नौकरी खोनी पड़ी। क्योंकि मैंने प्रताड़ना वाली घटनाओं के खिलाफ आवाज बुलंद की।’
‘तब मुझे जज होने के नाते परेशान किया गया और इस प्रताड़ना के खिलाफ मेरी एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। इतना ही नहीं बिना किसी पूर्व सूचना के मुझे न्यायिक सेवा से हटा दिया गया।’
‘बिना किसी सूचना और पूछताछ के मुझे कलंकात्मक सर्विस टिप्पणी के साथ सेवा से इसलिए हटाया गया ताकि वो मुझे अब जीवन के किसी भी हिस्से में सम्मान के साथ शान्ति से न रहने दें।’
रेस्पेक्टेड लॉर्डशिप,
‘विनम्रतापूर्वक आपको बताना चाहती हूं कि 16 सितंबर 2023 (शनिवार) का दिन था। तब मैं ACJIM-I के रूप में नागौर में तैनात थी।’
‘इतना ही नहीं इस दौरान डायस पर जोर-जोर से हाथ मारे और राजस्थान के माननीय राज्यपाल के खिलाफ अभद्र बोलते हुए कहा कि ‘किस पागल ने इसे सीट पर बिठा दिया, अपने आप को पता नहीं क्या समझती है, *** है।’
‘अभी सबको बुला के मजा चखाते हैं, इसकी छोटी पकड़ के अभी डायस से नीचे उतार कर पटकते हैं। तुझे जो करना है वो करले, हम तुझे देख लेंगे।’
‘जब ये घटना हुई तो मैंने तत्काल इसके बाद नागौर कोतवाली पुलिस स्टेशन के एसएचओ को घटना की जानकारी दी और मेरी मौखिक शिकायत लेने का निर्देश दिया।’
‘इसके साथ ही मैंने सभी के खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट…यानी कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी। इसके बावजूद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो मैं थाने पहुंची और वहां लिखित शिकायत भी दी। इसके बाद भी पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की।’
‘इस दिन मैं छुट्टी पर थी और कहीं बीच रास्ते में जा रही थी। बावजूद इसके मुझे देर रात में सीनियर जज के चेंबर में बुलवाया गया और वहां परेशान कर मेरा चार्ज रात में 11 बजकर 55 मिनट पर ले लिया गया।’
‘इसके अगले दिन मेरे द्वारा शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही पर एडीजे-1, नागौर द्वारा स्टे कर दिया गया। एडीजे-1, नागौर 10 दिन की छुट्टी पर थे।’
‘उनकी एक दिन की छुट्टी कैंसिल की गई और वो महज इस अवमानना की कार्यवाही को रोकने का आदेश देने यहां आए। ये साफ दिखाता है कि उनका ये कार्य पूरी तरह से पक्षपात पूर्ण था और उन वकीलों के समर्थन में था।’
‘इसके बाद,19 सितंबर 2023 को मुझे नई पोस्टिंग देने के बहाने जोधपुर जिला न्यायालय में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया। 06 अक्टूबर 2023 को जब मैं वहां पहुंची तो पहले तो मुझे जिला जज चैम्बर में रात में देर से बुलाया गया और वहीं मुझे सेवा से मुक्ति का आदेश सौंप दिया गया।’
‘जब मैंने दो अनुशासनहीन वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करनी चाही और प्रताड़ना के खिलाफ आवाज उठाई तो मुझे अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है।’
‘मेरे अपने डिपार्टमेंट ने इसमें मेरा साथ नहीं दिया और उन वकीलों का पक्ष लिया। यहां तक कि मेरी FIR तक दर्ज नहीं होने दी।’
‘इससे पहले अतीत में भी मुझे कुछ सीनियर्स द्वारा, उनके वकील पति (ओम प्रकाश) द्वारा शर्मनाक तरीके से परेशान किया गया था और धमकी दी गई थी।’
‘इसके अलावा नागौर के अन्य वकील कालूराम, महावीर बिश्नोई और चन्द्रशेखर द्वारा मेरे साथ किए गए उत्पीड़न और धमकियों के बारे में मैंने राजस्थान हाई कोर्ट के जिला जज एवं रजिस्ट्रार से भी शिकायत की थी।’
‘पुलिस सुरक्षा के लिए अनुरोध किया था। इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। प्रोबेशन पीरियड के 2 साल में मेरा 4 बार ट्रांसफर किया गया।’
(यदि आवश्यक हो, तो मैं हर एक दस्तावेजी सबूत को फोटो के साथ प्रस्तुत करने के लिए भी तैयार हूं जो एक-एक शब्द मैंने यहां लिखा है)
‘पूरे राजस्थान में न्यायिक मामलों के निपटान की दर मेरी सबसे अधिक थी फिर भी मुझे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। क्योंकि मैंने अनुशासनहीन अधिवक्ताओं के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही की पहल की थी। ये मेरे साथ अनुचित रूप से पक्षपात किया गया था।’
‘मैं हाथ जोड़कर, आपसे निर्देश जारी करने का अनुरोध करती हूं ताकि भविष्य में ऐसी धमकी भरी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।’
‘वहीं ऐसी अनुचित शक्तियों द्वारा मेरे जैसे ईमानदार, दृढ़ और निष्पक्ष न्यायाधीशों को परेशान नहीं किया जाए। अन्यथा लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास ही खत्म हो जाएगा।’
‘लोग न्यायाधीशों को ईश्वर और अल्लाह के समान मानते हैं। ऐसी घटनाएं स्वयं न्यायाधीशों के साथ घटित होती हैं तो न्यायपालिका द्वारा निष्पक्ष एवं स्वतंत्र रूप से न्याय कैसे दिया जाएगा?’
‘न्याय की तलाश की इस प्रक्रिया में मैंने तो अपनी नौकरी खो दी। मेरी जगह कोई दूसरी महिला होती तो इन कलंकात्मक टिप्पणियों और प्रताड़ना के बाद आत्महत्या कर लेती। मैं भविष्य का मार्गदर्शन करने के लिए आपके दिशा निर्देश चाहती हूं।’
‘राजस्थान की न्याय व्यवस्था में मेरी अपनी आस्था है। रेस्पेक्टेड लॉर्डशिप मैं हाथ जोड़कर आपसे मार्गदर्शन चाहती हूं। मैं दया या इच्छा मृत्यु नहीं चाहती, बल्कि न्याय और जजों की सुरक्षा के लिए मरते दम तक लड़ना चाहती हूं।’
सादर
पूर्व अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट, नागौर
राजस्थान
पूर्व अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट, नागौर का लेटर, जो उन्होंने CJI को लिखा।
(नागौर में पोस्टेड पूर्व महिला जज ने इस पत्र को भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ ही राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और कानून मंत्री को भी लिखा है। इस पत्र में उन्होंने नागौर के जिला जज, ACJM ,ADJ प्रथम और नागौर के इंस्पेक्टिंग जज के साथ ही एडवोकेट पीर मोहम्मद, एडवोकेट महावीर विश्नोई, एडवोकेट अर्जुनराम काला, एडवोकेट कालूराम और एडवोकेट चंद्रशेखर पर आरोप लगाए हैं।)
बार एसोसिएशन के महासचिव बोले- बिना सुने मुकदमे खारिज कर देती थी
इस पूरे मामले को लेकर नागौर बार एसोसिएशन के महासचिव और सीनियर एडवोकेट पीर मोहम्मद से बात की। पढ़िए उनका क्या है कहना…
‘पूर्व महिला जज को लेकर कोर्ट के साथी वकील बार-बार शिकायतें दे रहे थे कि वो बिना किसी सुनवाई के ही उनके मुकदमों को खारिज कर देती है। वहीं उन्हें कोर्ट में एंट्री नहीं देती है।’
‘इस बीच पूर्व महिला जज ने कोर्ट के बाहर एक होम गार्ड को बैठा कर उसे निर्देश दे दिए कि मेरे कोर्ट में बिना अनुमति के कोई भी वकील और पक्षकार नहीं आ पाए। ये शिकायत हमें दूसरे वकीलों ने दी तो बतौर महासचिव मैं और अध्यक्ष अर्जुनराम काला वहां गए।’
‘इस दौरान वहां एक होम गार्ड और चपरासी बाहर बैठे थे। उन्होंने हमें रोक लिया। हमने चपरासी को कहा कि मैडम को बताएं कि अध्यक्ष और महासचिव उनसे मिलने आए हैं।’
‘इस पर वो अंदर गया और 5 मिनट बाद बाहर आया। हमें कहा कि मैडम ने मिलने से मना कर दिया है। मैडम हमारे सामने ही कोर्ट में बैठी थी तो हम दोनों अंदर चले गए।’
‘अंदर पहुंचते ही हमने कर्टसी के नाते मैडम को नमस्ते किया। तभी मैडम ने अपने पीए को कहा कि चालानी गार्ड बुलाओ। हमने सोचा कि कोई मुकदमे में बुला रहे होंगे।’
‘तभी वहां 3 चालानी गार्ड आए। मैडम ने उन्हें कहा कि इन दोनों को अरेस्ट कर लो। इस पर वो आगे बढे़ तो हमने उन्हें और मैडम को पूछा कि कौनसे मुकदमे में हमें गिरफ्तार करवा रहे हो?’
‘इस पर चालानी गार्ड वहां खड़े हो गए। मैडम ने कोतवाली थाने में फोन लगाया और कहा कि मुझ पर कोर्ट में हमला हो गया है। थोड़ी ही देर में कोतवाली और सदर थाने से जाब्ते सहित आरएसी मौके पर पहुंच गई।’
‘तब तक हम फ़ालतू के विवाद में पड़ने के बजाय वहां से निकलकर एडीजे साहब के पास आ गए। उन्हें पूरी बात बताई और मैडम को समझाने के लिए कहा।’
‘इसके बाद एडीजे साहब ने मैडम को बुलाया लेकिन वो नहीं आईं। इसके बाद हमने डीजे साहब को कहा तो वो भी उन्हें समझाने पहुंचे।’
‘कोई बड़ी बात हुई ही नहीं थी। इसके बाद मैडम ने हमारे खिलाफ प्रसंज्ञान लेकर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर हमारी गिरफ्तारी के आदेश दे दिए, जबकि राजद्रोह के मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही प्रतिबंधित कर रखा है। इसके बाद इस मामले की जांच हुई और वो चली गई। बस यहीं मामला था।’
‘हाल ही में जब जांच पूरी होने के बाद हाई कोर्ट से उनकी सेवा मुक्ति का आदेश आया तो बाकायदा उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप में लिखित माफीनामा भी भेजा था। अब वो ऐसे क्यों कर रही हैं? क्या बता सकती हैं?’
प्रोबेशन में परफॉर्मेंस, आचरण और व्यवहार सही नहीं होने पर हटाया था
गौरतलब है कि नागौर जिले में तैनात रही न्यायिक मजिस्ट्रेट को राज्य सरकार ने राजस्थान हाई कोर्ट की अनुशंसा पर दो महीने पहले एक आदेश जारी कर न्यायिक सेवा से मुक्त कर दिया था। राजस्थान न्यायिक सेवा में उनकी नियुक्ति 11 अक्टूबर 2020 को हुई थी। दो महीने पहले हाईकोर्ट की पूर्णपीठ की बैठक में उनका दो साल का प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बाद उसे आगे जारी नहीं रखने की अनुशंसा की गई थी। हाईकोर्ट ने अनुशंसा में कहा था कि प्रोबेशन पीरियड में उनकी परफॉरमेंस, व्यवहार व आचरण सही नहीं रहा था।
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