सेहतनामा- जयदीप अहलावत ने तेजी से घटाया 26 किलो वजन:रैपिड वेटलॉस खतरनाक, गॉलस्टोन का रिस्क, जानें सही तरीका
बॉलीवुड एक्टर जयदीप अहलावत इन दिनों नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म ‘महाराज’ में अपने किरदार को लेकर चर्चा में हैं। इसमें उन्होंने स्वतंत्रता-पूर्व भारत के एक शक्तिशाली रईस जदुनाथ महाराज का किरदार निभाया है। इस रोल के लिए उनके बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन ने सभी को चौंका दिया। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया है कि उन्होंने मात्र एक महीने में 8 से 9 किलो तक वजन कम किया था। उन्होंने रोल के लिए कुल 5 महीनों में 26 किलो वजन घटाया था।
मौजूदा समय में मोटापा एक बड़ी समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मोटापे के तेजी से बढ़ते मामले देखकर इसे एपिडेमिक घोषित कर दिया है। इस दौर में हर किसी को फिटनेस की चाहत है, वो भी चुटकियों में। ऐसे में जयदीप अहलावत का इतना क्विक वेट लॉस सबको रोमांचित कर सकता है।
लेकिन सवाल ये है कि क्या इतनी तेजी से वजन घटाना सेफ है?
आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे रैपिड वेट लॉस की। साथ ही जानेंगे कि-
- रैपिड वेट लॉस कितना सेफ या खतरनाक है?
- ज्यादा तेजी से वजन घटाने के क्या रिस्क हैं?
- वेट लॉस का स्वस्थ तरीका क्या है?
क्या है रैपिड वेट लॉस
दिल्ली की सीनियर डाइटीशियन और ‘वनडाइटटुडे’ की फाउंडर डॉ. अनु अग्रवाल के मुताबिक, अगर लगातार कई हफ्तों तक प्रति सप्ताह 1 किलो से ज्यादा वजन कम किया जाए तो इसे रैपिड वेट लॉस कहते हैं। जयदीप अहलावत ने तो मात्र एक महीने में 8 से 10 किलो वजन कम किया है। यह काफी जोखिम भरा हो सकता है।
अगर कोई शख्स लंबे समय तक हर हफ्ते 1 किलो से ज्यादा वजन कम कर रहा है तो इससे कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इससे मसल लॉस हो सकता है, गॉलस्टोन्स हो सकते हैं, न्यूट्रिशनल डेफिशिएंसी हो सकती है और मेटाबॉलिज्म भी कमजोर हो सकता है। इससे और भी कई हेल्थ इश्यूज हो सकते हैं।
रैपिड वेट लॉस से हो सकते हैं कई नुकसान
डॉ. अनु अग्रवाल कहती हैं कि रैपिड वेट लॉस के रिजल्ट्स किसी को भी रोमांचित कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर यह रिकमेंड नहीं किया जाता है।
बहुत तेजी से वजन कम करने के कुछ जोखिम हो सकते हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं:
अब ग्राफिक में दिए पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं:
मसल लॉस हो सकता है
- वेट लॉस का मतलब हमेशा यह नहीं होता है कि फैट ही कम होगा।
- बहुत कम कैलोरी वाली डाइट फॉलो करके या स्ट्रिक्ट कीटो डाइट से वजन कम किया जा सकता है, लेकिन इससे ज्यादातर मसल लॉस का भी जोखिम होता है।
- नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, 25 लोगों को 5 सप्ताह के लिए प्रतिदिन 500 कैलोरी डाइट पर रखा गया। जबकि 22 लोगों को 12 सप्ताह तक प्रतिदिन 1,250 कैलोरी डाइट पर रखा गया।
- स्टडी में सामने आया कि दोनों समूह के लोगों का बराबर मात्रा में वजन कम हुआ है। लेकिन जो लोग सिर्फ 500 कैलोरी वाली डाइट फॉलो कर रहे थे, उन्होंने 1250 कैलोरी डाइट वालों की तुलना में छह गुना ज्यादा मसल्स गवां दीं।
मेटाबॉलिज्म स्लो हो सकता है
रैपिड वेट लॉस से मेटाबॉलिज्म स्लो होने का जोखिम रहता है।
हमारा मेटाबॉलिज्म ही यह निर्धारित करता है कि हम प्रतिदिन कितनी कैलोरीज बर्न कर रहे हैं। स्लो मेटाबॉलिज्म का मतलब है कि कोई शख्स प्रतिदिन कम कैलोरी बर्न कर पा रहा है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, कम कैलोरी डाइट लेकर तेजी से वजन कम करने की कोशिश में मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है। इस वजह से हम प्रतिदिन 23% कम कैलोरी बर्न कर पाते हैं।
बहुत कम कैलोरी वाली डाइट से मेटाबॉलिज्म स्लो होने के पीछे दो कारण हैं। एक तो मसल लॉस होता है, दूसरा मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करने वाले थायरॉइड जैसे हॉर्मोन्स में भी गिरावट आ जाती है।
न्यूट्रिशन डेफिशिएंसी हो सकती है
अगर कोई शख्स नियमित रूप से पर्याप्त कैलोरीज नहीं ले रहा है तो न्यूट्रिशन डेफिशिएंसी का खतरा हो सकता है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कम कैलोरी वाली डाइट में पर्याप्त आयरन, फोलेट और विटामिन B12 जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का मौजूद होना मुश्किल होता है। इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
बाल झड़ने की समस्या: जब कोई बहुत कम कैलोरीज का सेवन करता है तो शरीर के कामकाज के लिए पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, न्यूट्रिशनल डेफिशिएंसी हेयर लॉस का बड़ा कारण है।
हरदम थकान बनी रहती है: जब हम पर्याप्त पोषण लेना बंद कर देते हैं तो शरीर में आयरन, विटामिन B12 और फोलेट की कमी होने लगती है। इससे एनीमिया का भी खतरा हो सकता है। यह थकान का कारण बनता है।
इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है: पर्याप्त कैलोरी और पोषक तत्वों का सेवन न करने से इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, न्यूट्रिशन डेफिशिएंसी से इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
हड्डियां कमजोर हो जाती हैं: कम कैलोरी वाली डाइट के चक्कर में विटामिन D, कैल्शियम और फास्फोरस की कमी हो सकती है। ये सभी कमियां कमजोर और ब्रिटल बोन्स का कारण बनती हैं।
गालस्टोन का खतरा
हमारा पित्ताशय फैटी भोजन को पचाने के लिए पाचक रस छोड़ता है। अगर हम बहुत कम खाना खाएंगे तो यह रस पित्ताशय से बाहर नहीं आएगा।
जब यह रस लंबे समय तक पित्ताशय में रहता है तो जमने लगता है। यही गालस्टोन का कारण बनता है।
डॉ. अनु अग्रवाल कहती हैं कि रैपिड वेट लॉस के लिए कम भोजन करने और भोजन स्किप करने के और भी कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं।
क्या है वेट लॉस का सही तरीका
डॉ. अनु अग्रवाल कहती हैं कि लोगों को धीरे-धीरे वेट लॉस की सलाह बहुत रोमांचित नहीं करती है, आकर्षक नहीं लगती है। जबकि वेट लॉस का सबसे सुरक्षित तरीका यही होता है। इसके लिए क्या-क्या फॉलो करना होता है, आइए ग्राफिक में देखते हैं:
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