9 साल पुराने जैमर के भरोसे हाई सिक्योरिटी जेल:बॉडी स्कैनिंग-मोबाइल ट्रैकिंग की व्यवस्था ही नहीं; अंगूठे की साइज का मोबाइल इस्तेमाल कर रहे कैदी

अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल की सुरक्षा व्यवस्था में लगातार सेंध लग रही है। इसकी वजह है तकनीकी रूप से पिछड़ना। 5जी के जमाने में जेल की सुरक्षा 2जी-3जी जैमर के भरोसे है। वह भी बंद पड़ा हुआ है। इतना ही नहीं, यहां बॉडी स्कैनिंग और मोबाइल ट्रैकिंग इंस्ट्रूमेंट की भी व्यवस्था नहीं है। इसकी का फायदा उठाकर जेल में तमाम गैरकानूनी चीजें जा रही हैं। इसमें मोबाइल प्रमुख है। हाथ के अंगूठे से भी छोटे मोबाइल लेकर बदमाश आसानी से जा रहे हैं। एक जुलाई को जयपुर पुलिस ने अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में रंगदारी के नेटवर्क को लेकर 6 बदमाशों को गिरफ्तार किया था। इसी के बाद सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए। इस जेल में 200 से ज्यादा हार्डकोर अपराधी और गैंगस्टर बंद हैं। इसमें सिद्धू मूसेवाला समेत सुखदेव गोगामेड़ी की हत्या के आरोपी भी शामिल हैं। बावजूद इसके इस जेल को लेकर विभागीय स्तर पर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
जेल की सुरक्षा व्यवस्थाओं की खामियों को लेकर जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने माना कि हाई सिक्योरिटी जेल में कुछ खामियां हैं, जिनके कारण अपराधियों तक मोबाइल पहुंच रहे हैं। इसी से पूरा रंगदारी का खेल चल रहा है। यहां सुरक्षा चक्र तो मजबूत है, लेकिन तकनीकी रूप से कोई ऐसी व्यवस्था नहीं, जिससे मोबाइल का उपयोग रोका जा सके।
जेल स्टाफ की भी होती है जांच
अपराधियों तक पहुंच रहे मोबाइल को लेकर किए सवाल पर पर जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने कहा- हमारी रूटीन तलाशी में पिछले कुछ समय से मोबाइल बरामद होने लगे हैं। पिछले 2-3 महीने में दो मोबाइल बरामद किए गए हैं। 27 जून को एक बंदी के बाद अंगूठे के आकार का मोबाइल मिला। इसे लेकर अपराधी के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मुकदमा भी दर्ज करवाया है।
हमारी जेल 48 बीघा क्षेत्र में फैली हुई है। बाहर RAC के जवान तैनात रहते हैं। अंदर जेल के प्रहरी ड्यूटी करते हैं। तीन शिफ्ट में जेल प्रहरियों को अंदर ड्यूटी के लिए जाना होता है। इस दौरान सभी अपनी सर्च करवा कर अंदर जाते हैं। सर्च RAC करती है। सेकेंड लेयर में अंदर भी सर्च किया जाता है। जेलर की मौजूदगी में ही यह जांच की जाती है।

बॉडी पाट्र्स में छिपा कर ले जाते हैं
जांगिड़ ने बताया- तमाम सुरक्षा इंतजाम के बाद भी जेल में मोबाइल का मिलना चिंताजनक है। जांच में सामने आया कि अपराधी दीवार से या ब्लैक शिप यानी किसी और व्यक्ति से ये मोबाइल मंगवाते हैं या जेल परिसर में फिंकवाते हैं। इसके साथ ही कई बार शातिर कैदी अपने बॉडी पार्ट्स में या सामान में छुपा कर मोबाइल अंदर ले जाते हैं। बैगेज स्कैनर से जांच करने का पूरा प्रयास करते हैं। टेक्नोलॉजी की कमी की वजह से चूक हो जाती है। ऐसे में प्रतिबंधित चीजें अंदर जाने के चांस बनते हैं। कई बार बॉडी पाट्र्स में छोटे मोबाइल ले जाने में शातिर बदमाश सफल हो जाते हैं।
टेक्निकल सपोर्ट के लिए सरकार और हेडक्वार्टर से मांगी है मदद
जेल अधीक्षक जांगिड़ ने बॉडी स्कैनिंग मशीन के सवाल पर कहा- फिलहाल हमने बॉडी स्कैनिंग मशीन के लिए हेडक्वार्टर और सरकार को लिखा है। हमें पूरा विश्वास है कि बॉडी स्कैनिंग मशीन हाई सिक्योरिटी जेल को उपलब्ध हो जाएगी।
बेस ट्रांसीवर स्टेशन (BTS) इक्विपमेंट भी मांग रखी है। यह सुविधा पुलिस के पास होने की संभावना है। अगर ऐसा है तो ऐसी ही सुविधा जेल प्रशासन को भी मिलनी चाहिए। कई बार सुनने में आता है कि पुलिस ने मोबाइल सर्विलांस पर रखे गए हैं। अगर ऐसी सुविधा जेल को मिले तो हमें पता चल पाएगा कि हमारी जेल के आसपास कितने मोबाइल चल रहे हैं। उन्हें पकड़ने में बड़ी आसानी होगी। मैनुअली ऐसा करने में बड़ी परेशानी आती है। जेल इतनी बड़ी है कि सब जगह निगरानी रखना संभव नहीं हो पाता है।

जेल को तकनीकी रूप से मजबूत करने के लिए इसमें 5जी सपोर्टेड जैमर लगाया जाना प्रस्तावित है।
कई बार धमकियों के दबाव में आ जाते हैं जेल कर्मचारी
जेल स्टाफ पर लगातार मिलीभगत के आरोप पर जांगिड़ ने कहा- पूरे राजस्थान में जितने भी सक्रिय गैंगस्टर हैं, वह हाई सिक्योरिटी जेल में हैं। स्टाफ रात दिन उनके साथ रहता है। सभी कर्मचारी खराब नहीं होते। दो या तीन गंदी मछलियां हैं, जो पूरे तालाब को गंदा कर देंगी। कई बार यह लोग लालच में आ जाते हैं या फिर दबाव और धमकी से डर जाते हैं।
3 साल पहले भी जेल अधीक्षक को मोबाइल निकालने पर धमकी मिली थी। पहले जो भी मिलीभगत के मामले पकड़े गए थे, वह सीधे तौर पर रंगे हाथों नहीं पकडे गए थे। कड़ी से कड़ी जोड़ी गई। सख्ती बरती गई। तब कर्मचारी पकड़ में आए थे।
कोई भी अधिकारी-कर्मचारी नहीं चाहेगा कि उसका संस्थान बदनाम हो। वहां कोई वारदात हो। मोबाइल एक ऐसी समस्या है, जो वर्ल्ड वाइड प्रॉब्लम है। इस समस्या से निपटने के लिए हम पूरे प्रयास कर रहे हैं।

हाल ही में 25 जून को आई टीम ने नए जैमर के लिए अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल का दौरा किया था। जल्द ही यहां नई तकनीक का जैमर लगाया जाएगा।
9 साल पुराना है जैमर
जेल में अत्याधुनिक तकनीक से लैस जैमर नहीं होने के सवाल पर जांगिड़ ने कहा- वर्तमान में हाई सिक्योरिटी जेल में जैमर की व्यवस्था नहीं है। 2015-16 के बाद से 2G-3G के जैमर लगाए गए थे, वह बंद पड़े हैं। टेक्नोलॉजी निरंतर अपग्रेड होती जा रही है। जैमर पुरानी टेक्नोलॉजी का ही रह गया था। फिलहाल जेल में जैमर नहीं है। राजस्थान सरकार जल्द ही टावर्स ऑफ हॉर्मोनिस कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम लगाने जा रही है। इसका सर्वे भी हो चुका है। जब यह टावर लग जाएगा तब जेल प्रशासन को टेक्निकल काफी सहयोग मिलेगा। इससे मोबाइल चलाना भी आसान नहीं हो पाएगा।

सुखदेव गोगामेड़ी हत्याकांड में शामिल नितिन फौजी इसी जेल में बंद है।
गोगामेड़ी-मूसेवाला हत्याकांड के आरोपी इसी जेल में
हाई सिक्योरिटी जेल में लगभग 88 सेल्स हैं। इसमें सभी हार्डकोर अपराधियों को रखा जाता है। वर्तमान में 200 के करीब हार्डकोर अपराधी को रखा गया है। किसी की भी हरकत संदिग्ध होती है तो सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव किया जाता है। अंदर ही अंदर सेल्स को भी बदला जाता है। ये अपराधी अंदर समूह में रहते हैं। अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में लॉरेंस बिश्नोई का भांजा सचिन थापन, गोगामेड़ी की हत्या के आरोपी राजू फौजी, नितिन फौजी और मूसेवाला हत्यकांड में शामिल कपिल पंडित जेल में हैं।
कैदियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, लेकिन कई बार अपराधी सीसीटीवी की दिशा चेंज कर देते हैं। उसे दीवारों की तरफ मोड़ देते हैं या पानी डालकर खराब करने का प्रयास करते हैं। यह संघर्ष हमारा चलता रहता है।
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