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महाराष्ट्र में पहली बार 6 बड़ी पार्टियों के बीच मुकाबला:शिवसेना-बीजेपी में दरार, शिंदे-अजित की बगावत; 2019 से क्या-क्या बदल गया

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महाराष्ट्र में पहली बार 6 बड़ी पार्टियों के बीच मुकाबला:शिवसेना-बीजेपी में दरार, शिंदे-अजित की बगावत; 2019 से क्या-क्या बदल गया

महाराष्ट्र में 20 नवंबर 2024 को एक ही फेज में चुनाव होंगे। नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। राज्य में पहली बार 6 बड़ी पार्टियों के बीच मुकाबला हो रहा है।

2019 यानी महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। सरकार बनने से पहले ही उद्धव ने पाला बदल लिया। इसके बाद पिछले 5 साल में इतनी उठापटक मची कि सारे समीकरण ही बदल गए।

2019: नतीजों के बाद पाला बदलकर सीएम बने उद्धव ठाकरे

शिवसेना और बीजेपी 1984 में करीब आईं। 2014 में कुछ समय के लिए इस गठबंधन में दरार आई। हालांकि 2019 विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने मिलकर लड़ा और जीता।

इसके बाद दोनों पार्टियों में मतभेद हुए। उद्धव ने कहा

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वो हमसे झूठ बोल रहे थे। उनकी कथनी और करनी में अंतर है।QuoteImage

जानकार बताते हैं कि उद्धव का इशारा सीएम पद की तरफ था। इसके बाद उद्धव ने विपरीत विचारधारा वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके पीछे दो अन्य वजहें भी रहीं। पहली उद्धव महाराष्ट्र में बीजेपी के पीछे नहीं रहना चाहते थे। दूसरी वो अपने बेटे आदित्य ठाकरे का पॉलिटिकल करियर सुरक्षित करना चाहते थे।

28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर उद्धव ठाकरे सीएम बने। वो किसी संवैधानिक पद पर बैठने वाले ठाकरे परिवार के पहले व्यक्ति बने थे। उद्धव सरकार ने कई उतार-चढ़ावों से गुजरते हुए ढाई साल पूरे किए।

28 नवंबर 2019 को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

28 नवंबर 2019 को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

2022: एकनाथ शिंदे की बगावत और दो टुकड़ों में बंट गई शिवसेना

शिंदे, शिवसेना के उन नेताओं में शामिल थे, जो कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने के खिलाफ थे। 2019 में उद्धव ने शिंदे को विधायक दल का नेता बना दिया था। उस वक्त माना जा रहा था कि शिंदे ही महाराष्ट्र के CM बनेंगे, लेकिन NCP और कांग्रेस उद्धव को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहती थीं। इस तरह शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए।

मई 2022 में महाराष्ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी। एकनाथ शिंदे ने मणिपुर के नबाम रेबिया केस का फायदा उठाया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सत्ता से बागी हुए विधायकों की सरकार बना दी थी। साथ ही शिंदे ने महाराष्ट्र विधानसभा में डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। ताकि डिप्टी स्पीकर शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला न ले पाएं।

इसी बीच राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत सिद्ध करने के लिए कह दिया। पॉलिटिकल ड्रामे के बीच उद्धव ठाकरे ने CM आवास छोड़ दिया। एक भावुक संदेश में उन्होंने कहा कि अगर मेरे अपने ही लोग मुझे मुख्यमंत्री बने नहीं देखना चाहते तो मैं कुर्सी छोड़ दूंगा। गुवाहाटी फाइव स्टार होटल में एकनाथ शिंदे ने 42 शिवसेना और 7 निर्दलीय विधायकों के साथ फोटो जारी कर शक्ति प्रदर्शन किया।

गुवाहाटी के एक होटल में बागी विधायकों के साथ बातचीत करते हुए एकनाथ शिंदे।

गुवाहाटी के एक होटल में बागी विधायकों के साथ बातचीत करते हुए एकनाथ शिंदे।

शिंदे को बागी खेमे ने शिवसेना विधायक दल का नेता घोषित किया। 29 जून 2022 को उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 24 घंटे के अंदर शिंदे ने सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली।

2023: अजित पवार ने बगावत की, एनसीपी टूट गई

NCP के 25वें स्थापना दिवस पर 10 जून 2023 को शरद पवार ने पार्टी के दो कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले के नाम की घोषणा की। अजित पवार को लेकर शरद से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो नेता विपक्ष का पद संभाल रहे हैं।

अजित को कन्फर्म हो गया कि अब उनका कुछ नहीं हो पाएगा। इसके बाद उन्होंने BJP नेताओं से मुलाकातें बढ़ाईं। 2 जुलाई 2023 को अजित पवार ने 41 विधायकों के साथ महायुति जॉइन कर लिया और शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बन गए।

2 जुलाई 20243 को अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी।

2 जुलाई 20243 को अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी।

शिवसेना और एनसीपी के दो अलग-अलग धड़े बन जाने के बाद पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर खींचतान हुई। इसका फैसला इलेक्शन कमीशन ने किया। शिवसेना (शिंदे) को ‘धनुष-बाण’ और शिवसेना (उद्धव) को ‘मशाल’ चुनाव चिह्न मिला। वहीं एनसीपी (अजीत) को ‘घड़़ी’ और एनसीपी (शरद) को ‘तुरही वादक’ सिंबल मिला।

2019 में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो महाराष्ट्र में मुख्य रूप से 4 पार्टियां बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना मैदान में थीं। इसके अलावा एक दर्जन से ज्यादा छोटी पार्टियां भी मैदान में थीं। पिछले 5 साल में एनसीपी और शिवसेना के दो-दो धड़े बन चुके हैं। यानी 2024 चुनाव में 6 बड़ी पार्टियों के बीच मुकाबला होगा- बीजेपी, शिवसेना (शिंदे), एनसीपी (अजित), कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव), एनसीपी (शरद)।

महाराष्ट्र में पिछले 5 साल में मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है। 2019 में 8.68 करोड़ मतदाता थे। 2024 में मतदाताओं की संख्या 9.53 करोड़ पर पहुंच गई है। यानी 5 साल में 85 लाख नए मतदाता जुड़े हैं। इस वक्त मतदाताओं में 4.9 करोड़ पुरुष और 4.6 करोड़ महिलाएं हैं।

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