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न वेदर सेंसर सिस्टम, न क्षमता… 30 साल पुराना था वो हेलिकॉप्टर जिसके क्रैश में हुई ईरानी राष्ट्रपति की मौत

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न वेदर सेंसर सिस्टम, न क्षमता… 30 साल पुराना था वो हेलिकॉप्टर जिसके क्रैश में हुई ईरानी राष्ट्रपति की मौत

19 मई 2024 को Iran के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को लेकर क्रैश होने वाला हेलिकॉप्टर क्या इस लायक था कि वह इस उड़ान को पूरा कर पाता? यह हेलिकॉप्टर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान एयर फोर्स के वीआईपी स्क्वॉड्रन का हिस्सा था. क्या यह हेलिकॉप्टर इस कंडिशन में था कि वो खराब मौसम और पहाड़ों के बीच उड़ान भर पाता? आइए जानते हैं कि 30 साल पुराने हेलिकॉप्टर के इस्तेमाल का नतीजा…

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को ले जा रहे इसी हेलीकॉप्टर के साथ 19 मई, 2024 को हादसा हुआ.  (फोटोः रॉयटर्स)

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को ले जा रहे इसी हेलीकॉप्टर के साथ 19 मई, 2024 को हादसा हुआ.

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी किज कलासी डैम के उद्घाटन पर गए थे. इस डैम का मकसद पानी जमा करना, पर्यटन और कृषि की जरूरतों को पूरा करना है. यहां से 270 गीगावॉट बिजली पैदा होगी. यह बांध दो दशक पहले से बनना शुरू हुआ था. यहीं से राष्ट्रपति रईसी वापस लौट रहे थे. उनके साथ विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहिया, कुछ ईरानी अधिकारी और पूर्वी अजरबैजान के गर्वनर मौजूद थे. 

ईरानी राष्ट्रपति रईसी का Bell 212 हेलिकॉप्टर 30 साल पुराना था. इसे 1994 में बनाया गया था. रजिस्ट्रेशन नंबर 6-9207 था. निर्माण सीरियल नंबर 35071 था. इसका इस्तेमाल ईरानी एयरफोर्स कर रही थी. इस हेलिकॉप्टर को सिर्फ विजुअल फ्लाइट रूल्स (VFR) और सिर्फ छह लोगों को बिठाने का सर्टिफिकेट मिला था. 

Iran, Helicopter Crash, President Ibrahim Raisi, Bell 212
जहां हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ, वहां पर मौसम खराब था. पहाड़ों पर मौसम कभी भी बदल सकता है. (फोटोः गेटी)

इसके अलावा इसके स्पेयर पार्ट्स आसानी से मिल नहीं रहे थे. क्योंकि अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा रखे हैं. साथ ही इसके निर्माणकर्ता ने इसके मेंटेनेंस से हाथ खींच लिया था. इस हेलिकॉप्टर को पहले अमेरिका बनाता था. यह हेलिकॉप्टर अधिकतम 5300 मीटर यानी 17388 फीट की अधिकतम ऊंचाई पर उड़ सकता था. लेकिन शहरी इलाकों में जहां मौसम साफ-सुथरा हो. या खराब मौसम से संबंधित तकनीक लगी हो. 

न तो हेलिकॉप्टर में नया एवियोनिक्स था, न ही लो-विजिबिलिटी इंस्ट्रूमेंट

स्ट्रैटकॉम ब्यूरो के मुताबिक बेल 212 हेलिकॉप्टर के पावर प्लांट यानी इंजन को हाई-एल्टीट्यूड पर उड़ाने के लिए नहीं  बनाया गया था. साथ ही पहाड़ी इलाकों के बीच इसमें ज्यादा वजन ले जाना प्रतिबंधित था. क्योंकि इसके जरूरी टर्बोशैप्ट पावर और रेसपॉन्स सिस्टम नहीं था. साथ ही कम दृश्यता वाले मौसम में उड़ान भरने वाली तकनीक इस हेलिकॉप्टर में नहीं लगी थी. न तो ऐसे एवियोनिक्स थे न ही लो-विजिबिलिटी इंस्ट्रूमेंट. 

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क्षमता से ज्यादा उड़ान भर चुका था हेलिकॉप्टर, वायुसेना ने किया नजरअंदाज

रईसी जिस हेलिकॉप्टर से उड़ रहे थे, उसके एयरफ्रेम ने 10 हजार घंटे से ज्यादा की उड़ान को लॉग किया था. यानी हेलिकॉप्टर भरोसेमंद ऑपरेशनल लाइफ से ज्यादा चल चुका था. फिर भी ईरानी वायुसेना इस हेलिकॉप्टर को इंस्ट्रूमेंट मेटरियोलॉजिकल कंडिशन (IMC) में उड़ा रहा था. ईरानी वायुसेना ने हेलिकॉप्टर में एवियोनिक्स, लो विजिबिलिटी इंस्ट्रूमेंट की तरफ ध्यान न देकर खतरे को नजरअंदाज किया. खतरनाक उड़ान कराई. 

पहलावी ने मिलिट्री एविएशन को मजबूत करने के लिए बनाया था हेलिकॉप्टर फ्लीट

ईरान के हेलिकॉप्टर की फ्लीट 1969 से है. ईरान ने ज्यादातर हेलिकॉप्टर इटैलियन कंपनी अगस्ता से खरीदे हैं. 1973 से ईरान ने अपने हेलिकॉप्टर की फ्लीट बढ़ानी शुरू की. उन्होंने अमेरिका के बेल टेक्स्ट्रॉन से बेल 205, बेल 206 और बेल 212 हेलिकॉप्टर खरीदे. ये दो ब्लेड रोटर वाले हेलिकॉप्टर हैं. इसके अलावा चार पंखों वाला बेल 412 भी खरीदा. ये सारे काम मोहम्मद रजा शाह पहलावी ने मिलिट्री एविएसन को मजबूत करने के लिए किया था. 

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अमेरिका ने खींचे हाथ, लगाया प्रतिबंध तो मुश्किल होने लगा हेलिकॉप्टर मेंटेनेंस

इस फ्लीट को सपोर्ट करने के लिए ईरान हेलिकॉप्टर सपोर्ट और रीन्यूवल कंपनी बनाई गई. जिसे स्थानीय भाषा में पान्हा कहा जाता है. पान्हा जल्द ही मिडिल-ईस्ट का बड़ा हेलिकॉप्टर मेंटेनेंस सेंटर बन गया. 1979 में ईरान ने अमेरिका के साथ अपने मिलिट्री समझौते खत्म कर दिए. इसके बाद ईरान को अपने हेलिकॉप्टरों के मेंटेनेंस में दिक्कत आने लगी. पान्हा ने खुद ही यह काम संभाला. देसी तरीके से हेलिकॉप्टर को ठीक करने का काम शुरू किया. रिवर्स इंजीनियरिंग शुरू की. सिस्टम समझने लगे. लेकिन यह सिस्टम 1980 से 1988 तक ही चला. 

पान्हा ने संभाली सभी मिलिट्री और सिविलियन हेलिकॉप्टरों के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी

पान्हा ने मिलिट्री और सिविलियन हेलिकॉप्टरों के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी संभाली. इसमें Bell 412, Bell 205, Bell 206, Bell 212, Bell 214, CH-54 Chinook, RH-53D, SH-3D, और Mil Mi-17 हेलिकॉप्टर शामिल हैं. पश्चिमी देशों के प्रतिबंध की वजह से ईरान जो एवलेबल हेलिकॉप्टर थे, उन्हें खरीदना शुरू किया. या फिर देश में लाइसेंस के तहत बनाना शुरू किया. 1990 तक ईरान ने रिवर्स इंजीनियरिंग की. पार्ट्स बनाए. असेंबलिंग की. 

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कई तरह के विदेशी हेलिकॉप्टरों की रिवर्स इंजीनियरिंग कर बनाए अपने हेलिकॉप्टर

पान्हा ने रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए Bell 214, Bell 205, Bell 206 हेलिकॉप्टरों को अपने हेलिकॉप्टर में बदल दिया. बेल 214सी का नाम रखा Shabviz 2-75. बेल 206 का नाम रखा शाबविज-206-1 और ऐसे कई हेलिकॉप्टरों के साथ ईरान ने वही किया. जिस हेलिकॉप्टर की वजह से ईरानी राष्ट्रपति की मौत हुई है. वो है Bell 212. इसका मेंटेनेंस भी पान्हा करती थी. वायुसेना के पास ऐसे 10 हेलिकॉप्टर हैं.  

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