रिलेशनशिप- हर 100 में से 2 व्यक्ति OCD का शिकार:ROCD वाले पार्टनर करते हैं ज्यादा शक और कंट्रोल, ऐसे लोगों से कैसे करें डील
किसी भी रिश्ते में समय-समय पर संदेह और असुरक्षा का अनुभव होना सामान्य बात है। लेकिन जब ये विचार बार-बार आते हैं, बहुत परेशान करने वाले और दखल देने वाले होते हैं तो ये ‘रिलेशनशिप ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर’ (ROCD) का संकेत हो सकते हैं।
ROCD एक प्रकार का ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) ही है, जो कपल्स में से किसी को भी शादी के बाद हो सकता है। इससे पीड़ित लोग अक्सर अपने रिश्ते के बारे में हर चीज पर सवाल उठाते हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें पूरी तरह से निश्चित और सुरक्षित होने की जरूरत है। एक व्यक्ति विशेष रूप से एक रिश्ता शुरू करने, एक रिश्ता बनाए रखने, एक अच्छा साथी होने या सही साथी के साथ रहने में लगा हो सकता है। इसलिए थोड़ी सी भी शंका को स्वीकार करना असंभव लग सकता है।
कपल में से जिस भी पार्टनर को OCD होता है, उसकी सोच केवल विचारों तक ही सीमित नहीं रहती। इसमें व्यवहार भी शामिल होता है। इसका मतलब है कि आप दूसरों से बार-बार आश्वासन मांग सकते हैं, अपने साथी पर शक कर सकते हैं या उनके फोन में ताक-झांक कर सकते हैं। अपने रिश्ते की तुलना दूसरों से कर सकते हैं या अपने साथी को खुश करने के प्रयास में एक खास तरह का व्यवहार करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
तो आज ‘रिलेशनशिप’ में हम बात करेंगे ROCD की। साथ ही जानेंगे कि अगर आपका पार्टनर इससे ग्रसित है तो कैसे आप इससे डील कर सकते हैं। इस विषय पर आत्मन काउंसिलिंग रिहैबिलिटेशन सेंटर, भोपाल की संस्थापक और साइकोलॉजिस्ट सोनम छतवानी ने बात की।
इंडियन जर्नल ऑफ प्राइवेट साकिएट्री में पब्लिश हुई एक स्टडी “ए नेचुरलिस्टिक स्टडी ऑफ ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर” के मुताबिक, OCD एक क्रॉनिक डिसऑर्डर है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में ये 2-3% लोगों में है। वहीं भारतीय लोगों में ये संख्या 0.6% से 0.76% के बीच है। इसकी दर इतनी कम इसलिए है क्योंकि अधिकांश OCD रोगी अपनी इस प्रॉब्लम के बारे में बताते नहीं हैं। वे इसे छिपाना चाहते हैं।
वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ की एक स्टडी कहती है कि पिछले वर्ष अनुमानित 1.2% अमेरिकी OCD से पीड़ित थे। इसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा थी। जहां 0.5% पुरुष इस समस्या से ग्रस्त थे, वहीं महिलाओं का अनुपात 1.8% था।
क्या होता है OCD और ROCD
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) एक लंबे समय तक चलने वाला विकार है, जिसमें व्यक्ति बार-बार आने वाले विचारों को कंट्रोल नहीं कर पाता है। अपने रवैये से वो कई बार खुद भी परेशान या बेचैन रहता है।
OCD में दो तरह की मेडिकल कंडीशन्स होती हैं-
- ऑब्सेशन (Obsession)- ये कॉग्निटिव होता है और आपके सोच-विचार से जुड़ा होता है। इसमें नकारात्मक विचार भी आ सकते हैं।
- कंपल्शन (Compulsion)- ये बिहेवियर से जुड़ा होता है। जैसेकि जिसे OCD है, वो एक ही काम बार-बार कर सकता है या उसे हर चीज में परफेक्शन चाहिए होता है। जो चीज जहां रखी है, वो वहीं होनी चाहिए। कोई चीज गलत तरीके से नहीं रखी होनी चाहिए।
ROCD के कुछ संकेत और लक्षण
- हमेशा इस बात की चिंता सताती रहती है कि आपका पार्टनर आपसे सच में प्यार करता है या नहीं।
- अपने साथी की खुशी या भलाई के बारे में चिंता करना।
- हमेशा अपने पार्टनर की खामियों के बारे में सोचते रहना।
- यह सोचना कि आपको एक अलग, बेहतर साथी मिल सकता था।
- अपने साथी से लगातार आश्वासन मांगते रहना।
- अपने रिश्ते या साथी के बारे में दखल देने वाले विचारों के कारण विचलित महसूस करना और ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ होना।
अमेरिकी संस्था यूनाइटेड ब्रेन एसोसिएशन के मुताबिक, OCD हर साल लगभग 2.2 मिलियन अमेरिकियों को प्रभावित करता है और इसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ द्वारा एक सामान्य और लंबे समय तक चलने वाले विकार के रूप में आइडेंटीफाई किया गया है।
बार-बार दोहराए जाने वाले विचार और चिंताएं
नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि ROCD से पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार के विचारों में फंस सकता है-
- क्या मैं सचमुच अपने पार्टनर से प्यार करता या करती हू्ं?
- क्या मैं अपने साथी के साथ रहकर गलती कर रहा या रही हूं?
- क्या मुझे X, Y या Z महसूस नहीं होना चाहिए?
- अगर मैं अपने पार्टनर से अलग हो गया या गई तो क्या होगा?
- क्या मेरा पार्टनर मुझे चीट कर रहा है?
- क्या मेरे पार्टनर की कुछ आदतें मेरे एक्स की तरह हैं और यही मुझे उससे दूर कर रही हैं?
- क्या मुझे अपने पार्टनर से रिश्ता तोड़ देना चाहिए?
ROCD वाले लोगों के मन में इस तरह के विचार बार-बार आ सकते हैं। अपने पार्टनर पर शक करना, उनके प्रति चिड़चिड़ा रवैया रखना और उनसे अलग होने की सोचना जैसे ख्याल बुखार की मानिंद उन्हें जकड़ सकते हैं और ऐसा न चाहने के बावजूद हो सकता है।
नेशनल हेल्थ पोर्टल ऑफ इंडिया के मुताबिक, प्रति 100 लोगों में से 2-3 लोगों को पूरे जीवन में कभी-न-कभी OCD होता है। इस बीमारी की शुरुआत आमतौर पर 20 साल की उम्र में हो जाती है। हालांकि, बच्चों से लेकर बड़ों तक यह किसी को भी हो सकती है।
OCD या ROCD दोनों तरीके की स्थितियों से उभरा जा सकता है। इससे बचने के लिए कई तरीके हैं, जिसे अपनाने से OCD से ग्रस्त व्यक्ति इस डिसऑर्डर से निजात पा सकता है।
साइकोथेरेपी कर सकती है ROCD से उबरने में मदद
अगर आपको ROCD के लक्षण नजर आ रहे हैं तो सबसे पहले अपनी हेल्थ को मॉनीटर करें। साइकिएट्रिस्ट या थैरेपिस्ट जैसे एक्सपर्ट्स की सलाह लें। आपको विचार या व्यवहार को जानने के तरीके सीखने की जरूरत है। यह तरीके आपको एक्सपर्ट्स बता सकते हैं क्योंकि वे आपकी स्थिति को देखकर उपाय तैयार करेंगे, ताकि आप असहज न हों।
अगर आप अपने स्तर पर इस बीमारी पर काम करना चाहते हैं तो अपने व्यवहार में बदलाव लाने की कोशिश करें। बार-बार आ रहे विचारों से बचने की कोशिश करें। खुद को टेस्ट करें कि क्या आप ऐसा कर पा रहे हैं या नहीं। धीरे-धीरे इसका स्तर बढ़ाएं।
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