RPSC पर हाईकोर्ट ने लगाया 5 लाख का जुर्माना:दिव्यांग अभ्यर्थी को परीक्षा में बैठने से रोका था, कोर्ट ने कहा-अनचाही और अनावश्यक बाधाएं पैदा की

आरएएस प्री-2021 में नेत्रहीन अभ्यर्थी को शामिल नहीं होने देने के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने RPSC पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह राशि 4 सप्ताह में याचिकाकर्ता को देने के आदेश भी दिए हैं। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने यह फैसला याचिकाकर्ता कुलदीप जैमन को याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि RPSC ने एक दृष्टिहीन अभ्यर्थी के रास्ते में अनचाही और अनावश्यक बाधाएं पैदा की, जिससे वह परीक्षा में शामिल नहीं हो सका। कोर्ट ने कहा कि अभ्यर्थी को परीक्षा में शामिल नहीं होने देने का RPSC का मनमाना आदेश था।
दरअसल, कुलदीप जैमन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि वह 100 प्रतिशत दृष्टिहीन है। उसने आरएएस भर्ती परीक्षा-2021 के लिए आवेदन किया था, लेकिन जब वह परीक्षा देने सेंटर पर पहुंचा तो उसे परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया।
राइटर की पूर्व सूचना और प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण किया था वंचित
याचिकाकर्ता के वकील शोवित झाझड़िया ने बताया कि अभ्यर्थी कुलदीप जैमन ने आरएएस भर्ती परीक्षा-2021 के लिए आवेदन किया था। 27 अक्टूबर 2021 को जब वह अपने साथ राइटर (सहयोगी) को लेकर अलवर स्थित परीक्षा सेंटर पर पहुंचा तो उससे कहा गया कि उसे नियमों के तहत दो दिन पहले राइटर के बारे में सूचना देनी चाहिए थी। वहीं अभ्यर्थी से उसके दृष्टिहीन होने का मेडिकल सर्टिफिकेट मांगा गया, जो उस समय उसके पास नहीं था। ऐसे में उसे परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया।
इस पर हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि परीक्षा से दो दिन पहले केवल उन अभ्यर्थियों को राइटर के लिए सूचना देनी होती है, जो आरपीएससी से राइटर चाहते हैं। जबकि अभ्यर्थी ने ऑनलाइन फॉर्म भरते समय ही यह बता दिया था कि वह अपने साथ खुद का राइटर लेकर आएगा। इसलिए उसे दो दिन पूर्व सूचना देने की आवश्यकता नहीं थी।
इसके साथ की दृष्टिहीनता का मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण परीक्षा से वंचित करना पूरी तरह से गलत है, क्योंकि RPSC ने खुद अभ्यर्थी को ब्लाइंड श्रेणी का प्रवेश पत्र जारी किया था। इसके अलावा RPSC के ही नियम थे कि परीक्षा केंद्र पर एडमिट कार्ड, पैन, पासपोर्ट साइट फोटो के अलावा अन्य सामग्री लाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
कोर्ट ने कहा कि क्योंकि अब आरएएस भर्ती परीक्षा-2021 की चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। ऐसे में अभ्यर्थी की परीक्षा में शामिल करवाने की प्रार्थना सारहीन हो गई है, लेकिन जो याचिकाकर्ता को उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी है। उसके लिए RPSC पर 5 लाख की कोस्ट लगाई जाती है। वहीं यह राशि RPSC 4 सप्ताह में याचिकाकर्ता को अदा करेगी।
दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को प्रभावी तरीके से लागू करें
हाईकोर्ट ने अपने आदेश कहा है कि राज्य सरकार और RPSC दिव्यांग व्यक्तियों को दिए गए अधिकारों को प्रभावी तरीके से लागू करें। कोर्ट ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम-2016′ में कई अधिकार दिए गए है, जिनकी प्रभावी रूप से पालना होनी चाहिए।
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि दिव्यांग व्यक्ति का यह अधिकार है कि उसे सम्मान के साथ सशक्त किया जाए। वहीं राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में समानता के अवसर मिले। इसके लिए समाज को भी तेजी से जागरूक करने का काम करना चाहिए।
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