सेहतनामा- जस्टिन टिंबरलेक ‘ड्रिंक एंड ड्राइव’ केस में गिरफ्तार:शराब पीकर गाड़ी चलाने की मनाही क्यों, अल्कोहल कैसे बदलता है दिमाग को

हॉलीवुड के मशहूर पॉप सिंगर और एक्टर जस्टिन टिंबरलेक ड्रिंक एंड ड्राइव केस में गिरफ्तार हो गए हैं। जिन अवॉर्ड्स को एक बार पाने के लिए लोग जिंदगी भर इंतजार करते हैं, टिंबरलेक के पास उनका ढेर है। टिंबरलेक के नाम 10 ग्रैमी अवॉर्ड्स, 4 प्राइमटाइम एमी अवॉर्ड्स, 4 अमेरिकन म्यूजिक अवॉर्ड्स और 3 ब्रिट अवॉर्ड्स दर्ज हैं।
गिरफ्तारी से पहले जस्टिन टिंबरलेक नशे में धुत होकर गाड़ी चला रहे थे। उन्होंने स्टॉप साइन को इग्नोर कर दिया। जब पुलिस ने ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट के लिए कहा तो इसके लिए तीन बार इनकार किया।
कानून के मुताबिक अमेरिका और ब्रिटेन में प्रति 100 मिलीलीटर खून में 80 मिलीग्राम अल्कोहल की अनुमति है। हालांकि भारत में यह मात्रा घटकर 30 मिलीग्राम हो जाती है।
सवाल ये है कि दुनिया के सभी देशों के कानून में शराब पीकर गाड़ी चलाने की मनाही क्यों है? शराब का हमारे शरीर और दिमाग पर क्या असर होता है?
इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे ड्रिंक एंड ड्राइव क्यों नहीं करना चाहिए। साथ ही जानेंगे कि-
- शराब पीने से ड्राइविंग पर क्या असर होता है?
- शराब पीने के बाद हमारे दिमाग पर क्या असर होता है?
- शराब पीने का सही तरीका क्या हो सकता है?
रोड एक्सीडेंट का बड़ा कारण है ड्रिंक एंड ड्राइव
पूरी दुनिया में ड्रिंक एंड ड्राइव रोड एक्सीडेंट का बड़ा कारण है। शराब के नशे में लोग अपने साथ कई अन्य लोगों की जान भी खतरे में डालते हैं। हाल ही में भारत के पुणे शहर में शराब के नशे में धुत नाबालिग ने पोर्शे कार से दो लोगों को कुचलकर मार डाला।
पूरी दुनिया में यह बड़ा खतरा है, आइए ग्राफिक में देखते हैं:

ड्राइविंग के समय हमारे शरीर पर शराब का प्रभाव
जयपुर के नारायणा हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग में कंसल्टेंट डॉ. अरविंद लकेसर कहते हैं कि शराब पीने के बाद हमारा रिएक्शन और रिफ्लेक्शन टाइम बढ़ जाता है यानी रिएक्शन स्लो हो जाते है। जैसे कार ड्राइव करते समय अचानक ब्रेक लगाना है तो हो सकता है कि शराब के नशे में हम कुछ माइक्रो सेकेंड लेट हो जाएं या किसी मोड़ पर मुड़ने के लिए स्टियरिंग देर से घुमा पाएं।
शराब का दिमाग पर क्या असर होता है, आइए ग्राफिक में देखते हैं-

शराब पीने के बाद लड़खड़ाते हैं पैर और गाड़ी
शराब पीने से ड्राइविंग स्किल्स, बैलेंसिंग और विजुअल एक्युटी (दृश्य स्पष्टता) प्रभावित हो सकती है। इसके कारण उन सभी कामों को करने में मुश्किल आती है, जिनमें सटीकता और एकाग्रता की जरूरत होती है। इंपेयर्ड जजमेंट के कारण नशे में कोई व्यक्ति जोखिम भरा निर्णय ले सकता है। कोऑर्डिनेशन की कमी के कारण गाड़ी कंट्रोल करने में मुश्किल आ सकती है।
शराब पीने से सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेस हो जाता है
अल्कोहल के कारण हमारा सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेसेंट की तरह काम करता है। यह ब्रेन के न्यूरोट्रांसमीटर, खासतौर पर गामा-एमिनोब्यूट्रिक एसिड (GABA) और ग्लूटामेट को प्रभावित करता है। शराब GABA के प्रभाव को बढ़ाकर हमें आराम का एहसास करवाती है और एंग्जायटी के एहसास को कम कर देती है। यही वजह है कि हमें शराब पीने के बाद थोड़े सुकून का एहसास होता है।
कितनी देर रहता है शराब का नशा?
हर किसी के शरीर की अल्कोहल पचाने की क्षमता अलग-अलग होती है। सामान्य तौर पर हमारा लिवर हर घंटे में लगभग 30 ml शराब प्रोसेस कर सकता है। अगर एक पैग में 30 ml शराब ली जाए तो कहा जा सकता है कि एक पैग शराब 1 घंटे में प्रोसेस हो जाती है।
कितनी देर में प्रोसेस होती है कौन सी शराब?
- शराब का एक छोटा पैग: 1 घंटा
- एक मग बीयर: 2 घंटे
- वाइन का एक बड़ा गिलास: 3 घंटे
हर किसी पर अलग तरह से असर करती है शराब
डॉ. अरविंद लकेसर के मुताबिक, शराब का नशा कितना होगा, यह उम्र, बायोलॉजिकल सेक्स, शरीर के वजन और उसके साथ क्या खाया गया है, इन सभी पहलुओं पर निर्भर करता है। आइए एक-एक करके समझते हैं:
उम्र: जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारा मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है। इसलिए लिवर अल्कोहल को देर से प्रोसेस कर पाता है। इस वजह से बूढ़े लोगों को देर तक नशा रह सकता है।
महिला और पुरुष पर अलग असर: कई फिजिकल डिफरेंसेज के कारण महिलाएं पुरुषों की तुलना में अलग तरह से अल्कोहल प्रोसेस करती हैं। यही कारण है कि बराबर मात्रा के पैग से महिलाओं को अधिक नशा हो सकता है और देर तक रह सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि महिलाओं के शरीर में पानी की मात्रा कम होती है, शराब को तोड़ने वाले लिवर एंजाइम का लेवल कम होता है और कुछ हॉर्मोनल कारण भी होते हैं।
शरीर का वजन: जिस व्यक्ति का वजन जितना अधिक होगा, शराब को फैलने के लिए उतनी ही अधिक जगह मिलेगी। यही कारण है कि समान मात्रा में शराब पीकर भी मोटे लोगों को कम नशा होता है।
भोजन (खाली VS भरा पेट): शराब पेट की भीतरी परत के जरिए अवशोषित होती है। अगर पेट में भोजन है तो शराब का अवशोषण कम हो पाता है। वहीं अगर खाली पेट शराब पी रहे हैं तो शरीर बहुत तेजी से शराब को अवशोषित करता है। इसलिए खाली पेट शराब तेजी से नशा बढ़ा देती है।
जितनी तेज पिएंगे, उतना ज्यादा नशा होगा: हमारा लिवर आमतौर पर एक घंटे में 30 ml शराब ही प्रोसेस कर पाता है। अगर शराब तेजी से पी जाएगी, यानी एक घंटे में 2 से 3 पैग पी लिए गए तो लिवर को शराब प्रोसेस करने का मौका ही नहीं मिलेगा। इससे ज्यादा नशा हो जाएगा और देर तक बना रहेगा।
क्या परमिसिबल अमाउंट में शराब पीकर गाड़ी चलाना सेफ है?
डॉ. अरविंद लकेसर कहते हैं कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। शराब की हल्की मात्रा भी अपना असर दिखा रही होती है। इससे हमारे रिफलेक्शन, रिएक्शन और डिसीजन मेकिंग पर बड़ा असर पड़ता है। इसलिए ड्राइविंग से पहले बिल्कुल भी शराब नहीं पीनी चाहिए। यह छूट इसलिए दी गई है क्योंकि कफ सिरप और कुछ दवाइयों में भी शराब की मात्रा हो सकती है।
शराब का नशा जल्दी हल्का करने के लिए क्या करें?
अगर कोई जरूरी काम करना है या ड्राइव पर जाना है तो शराब पीना बिल्कुल सेफ नहीं है। इसके अलावा शराब चाहे थोड़ी मात्रा में पी जाए या अधिक मात्रा में, इसका शरीर और दिमाग पर बुरा असर हो सकता है। शराब पीते समय कई बार नशे का एहसास देर से होता है, जबकि इसका असर पहली घूंट से ही शुरू हो चुका होता है।
अगर शराब पी रहे हैं तो कम-से-कम ये टिप्स फॉलो करें:
- पीना शुरू करने से पहले लिमिट तय कर लें कि आप एक बार में कितनी शराब पीने वाले हैं।
- हर पैग को घूंट-घूंट करके और बारी-बारी से गैर-अल्कोहलिक ड्रिंक के साथ पिएं।
- हर पैग के बीच करीब एक घंटे का अंतर रखें। इससे शरीर को अल्कोहल को प्रोसेस करने का समय मिलेगा।
- बेहतर होगा कि कम अल्कोहल परसेंटेज वाली शराब का सेवन करें।
- पीने से पहले कुछ खा लें और पीते समय कुछ नाश्ता साथ लेकर बैठें।
नोट: शराब पीना सेहत के लिए खतरनाक होता है। हम किसी भी तरह और किसी भी मात्रा में शराब की अनुशंसा नहीं करते हैं। यह आर्टिकल सिर्फ सेहत से जुड़ी जानकारियों के लिए है।
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