ब्याज पर रकम देकर करोड़पति बने जूता कारोबारी:आगरा में पर्ची से चलता है पूरा धंधा; 20 से ज्यादा व्यापारी IT के रडार पर
आगरा
आगरा में 3 जूता कारोबारियों के यहां इनकम टैक्स की रेड में अब तक 60 करोड़ रुपए कैश मिल चुके हैं। कैश गिनने के लिए अधिकारियों को बैंक से मशीनें मंगानी पड़ीं। दो शिफ्टों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के कर्मचारियों को भी बुलाना पड़ा। बाद में बरामद कैश को भारतीय स्टेट बैंक में जमा कराने के लिए भेजा गया।
शनिवार से शुरू हुई रेड मंगलवार तक चल सकती है। इस रेड से आगरा में चल रहा पर्ची का कारोबार सामने आया। सबसे ज्यादा कैश रखने वाले हरमिलाप ट्रेडर्स के मालिक रामनाथ डंग आगरा के जूता कारोबार में पर्ची सिस्टम के बडे़ खिलाड़ी हैं। रामनाथ डंग छोटे जूता कारोबारियों को 2 से 3 फीसदी ब्याज पर रकम उधार देते हैं। इसकी बिना किसी लिखा-पढ़ी के सिर्फ पर्ची थमा देते हैं।
रामनाथ जूता कारोबार में आने से पहले साधारण व्यक्ति थे। आटा चक्की से शुरुआत कर 20 साल में करोड़ों के मालिक बन गए। अब इस सवाल को लेकर इनकम टैक्स की टीम जांच भी कर रही है।
जूता कारोबारी रामनाथ डंग के यहां पर 36 घंटे तक मशीन से नोट गिने गए। इसके बाद नोट भारतीय स्टेट बैंक भेज दिए गए।
इतने नोट कि शिफ्ट में बुलाने पडे़ कर्मचारी
इनकम टैक्स विभाग ने बीके शूज, हरमिलाप ट्रेडर्स और मंशु फुटवियर के मालिकों के घर और फर्म पर एक साथ रेड की। तीनों कारोबारियों के यहां से 500 के नोटों का जखीरा मिला। सबसे ज्यादा कैश हरमिलाप ट्रेडर्स के मालिक रामनाथ डंग के यहां मिला। अलमारी, बेड, सूटकेस, तकिए और गद्दों में नोट भरे थे।
नोट गिनते-गिनते मशीन गर्म हो गई। कुछ देर के लिए उन्हें बंद करना पड़ा। नोट गिनने के लिए SBI के कर्मचारियों को शिफ्ट में बुलाना पड़ा। रविवार शाम 7 बजे रामनाथ डंग के यहां कर्मचारियों की शिफ्ट बदली गई।
पर्ची कारोबार के किंग हैं रामनाथ डंग
आगरा का घरेलू जूता कारोबार उधार पर ज्यादा चलता है। ट्रेडर्स और बड़े कारोबारी छोटे कारोबारियों को तुरंत भुगतान की बजाय पर्ची बनाकर दे देते हैं। इस पर तारीख लिखी होती है। तय तारीख पर पर्ची देने वाले बड़े कारोबारी से छोटे कारोबारी भुगतान ले लेते हैं। यह पूरा काम नंबर-दो में चलता है। इससे एक तरफ व्यापार में कैश नहीं दिखाई देता, दूसरी ओर बड़े पैमाने पर टैक्स में भी हेराफेरी हो जाती है।
बड़े कारोबारी जो पर्ची देते हैं, वह 3 से 7 महीने तक वैलिड होती है। शू कारोबारियों की मानें, तो पर्ची सिस्टम में रामनाथ डंग का होल्ड माना जाता है। वह जूता कारोबारियों को ब्याज पर पैसा देते हैं। बीके शूज और मंशु फुटवियर भी पर्ची कारोबार में सक्रिय है।
हरदीप मिड्डा मंशु शूज फुटवियर कंपनी चलाते हैं। इनके यहां भी इनकम टैक्स का छापा पड़ा।
घरेलू जूता बाजार में आगरा की बड़ी हिस्सेदारी
आगरा की घरेलू जूता बाजार में 65% भागीदारी है। यहां का जूता कारोबार 20 हजार करोड़ से ज्यादा है। आगरा की गली-मोहल्लों के घरों में छोटे कई जूता कारखाने हैं। लोग छोटे-छोटे कारखानों में जूता तैयार करते हैं। यह कारोबार उधार पर ज्यादा चलता है। छोटे कारोबारी जब माल तैयार कर ले जाते हैं, तब बड़े कारोबारी उन्हें नकद रकम या चेक की जगह पर्ची थमा देते हैं।
रामनाथ डंग के यहां से आयकर टीम को पर्ची कारोबारियों की लिस्ट मिलने की बात कही जा रही है। इसके अलावा जिन लोगों को रामनाथ ने उधार दिया, उनकी लिस्ट भी मिली है। इन पर्चियों में 20 से ज्यादा व्यापारियों के नाम हैं। ऐसे में ये व्यापारी भी इनकम टैक्स विभाग की रडार पर आ गए हैं। इनकम टैक्स की टीम इन पर्चियों को आधार बनाकर उन कारोबारियों के ठिकानों तक पहुंच सकती है।
चुनाव की वजह से नहीं हो पा रहा था भुगतान
जूता कारोबारियों के यहां इतना कैश बरामद होने के पीछे चुनाव भी बड़ी वजह मानी जा रही। चुनाव की वजह से पर्चियों के बदले कैश का भुगतान नहीं हो पा रहा। तभी इतना ज्यादा कैश इकट्ठा हो गया। जिसकी भनक आयकर विभाग को लग गई थी।
जूता कारोबारियों ने बताया, रामनाथ ब्याज पर जूता कारोबारियों को कर्ज देते थे। उनके घर से करोड़ों रुपए की धनराशि बरामद होने पर कारोबारी भी चौंक रहे हैं। पर्ची से काम चलाने के लिए ही वह इतनी बड़ी कैश रकम रखते थे।
पढ़िए कैसे छोटे करोड़पति बने जूता कारोबारी
सुभाष मिड्डा और अशोक मिड्डा बीके शूज कंपनी चलाते हैं। यहां भी इनकम टैक्स की रेड पड़ी है।
रामनाथ ने आटा चक्की से शुरू किया था बिजनेस
रामनाथ डंग शू मटेरियल की ट्रेडिंग का काम करने वाले कारोबारी हैं। उनका नाम हींग की मंडी में पर्ची का काम करने वाले बड़े कारोबारियों में हैं। रामनाथ ने पिछले दो दशक में ही इतनी तरक्की कर ली।
दो दशक पहले उनकी मोती कटरा में आटा चक्की हुआ करती थी। इसके साथ वह हींग की मंडी में पर्ची का काम करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने रेग्जीन और फोम का काम शुरू किया। शू मटेरियल से ज्यादा उनका पर्ची का काम चलता है।
मार्जिन कम करके बनाई साख
सूर्य नगर में रहने वाले सुभाष मिड्डा और अशोक मिड्डा की बीके शूज कंपनी है। जूता कारोबारियों की मानें, तो इनके पिता छोटी-सी दुकान चलाते थे। दोनों भाई नौकरी करते थे। नौकरी के दौरान इन्हें मुंबई की एक पार्टी मिली। इन्होंने उसे बाजार के मार्जिन से बहुत कम मार्जिन पर शू सप्लाई करने शुरू किए। बस यहीं से इन्होंने रफ्तार पकड़ी। पहले छोटे-छोटे ऑर्डर लिया करते थे। धीरे-धीरे इन्होंने काम को बढ़ाया और सुभाष पार्क के नजदीक बीके शूज शुरू की।
इनका फुट फैशन के नाम से ब्रांड है। घरेलू जूता कारोबार में इनका बड़ा नाम है। अब दुबई और सऊदी अरब में जूते का निर्यात भी करते हैं। मंशु शूज हरदीप मिड्डा चलाते हैं। हरदीप ताजनगरी फेज-टू स्थित शंकर ग्रीन्स में रहते हैं। वह सुभाष मिड्डा और अशोक मिड्डा के भाई हैं। पहले तीनों भाई एक साथ काम करते थे।
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