REPORT BY DR MUDITA POPLI
अग्निवीर_योजना , अग्निपथ को लागू करने कि केंद्र सरकार की योजना से युवाओं में रोष चरम पर है। इस योजना के प्रति युवाओं में रोष के तीन प्रमुख कारण दिखाई दे रहे हैं।
आर्मी तथा एयरफोर्स के जिन विद्यार्थियों ने पहले परीक्षा दे रखी थी तथा मेडिकली फिट थे जिनकी केवल जोइनिंग आना बाकी थी उस पूरी प्रक्रिया को रद्द कर कर दिया गया है।
अग्निवीर योजना के तहत भर्ती होने वाले जवान का कार्यकाल केवल 4 वर्ष का होगा तथा उसमें से 25% स्थाई होंगे बाकी को किसी प्रकार की कोई पेंशन और एक्स सर्विसमैन का कोटा नहीं मिलेगा।
इसके साथ ही पिछले 2 साल से भर्तियां नहीं हो रही थी जिसकी वजह कोरोना बताया गया था, अभ्यर्थियों को यकीन था कि उनको आयु सीमा में छूट मिलेगी लेकिन इसमें छूट नहीं दी गई।
ऐसी स्थिति में अगर आकलन करें तो हम पाते हैं कि एक बार फिर युवा स्वयं को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है। सेना की तीनों इकाइयों में से किसी एक में भी जाना युवाओं तथा उनके माता-पिता के लिए सदैव गर्व का विषय रहा है हिंदुस्तान वह देश है जहां माताओं का कहना है कि एक पुत्र है तो उसे भी रण में भेजा है अगर सात होते तो उन्हें भी रण में भेज देती।
सरकार ने विश्व के दूसरे नंबर की सबसे वृहद सेना वाले देश के लिए इस योजना का निर्माण करने से पूर्व यह दावा किया है कि उन्होंने अन्य देशों की सेना में भर्ती योजना को पूरी तरह समझा है तथा इसी आधार पर भारत में इस प्रकार की स्कीम को लांच किया गया है। यदि अन्य देशों की स्कीम में देखें तो इजरायल में सभी युवाओं को अनिवार्य तौर पर सैन्य सेवा में जाना होता है। पुरुषों को अनिवार्य तौर पर 32 महीने सेना में सर्विस देनी होती है जबकि महिलाओं को 24 महीने सेना में बिताना होता है।जबकि रूस में जवानों की अनिवार्य भर्ती का हाईब्रिड मॉडल अपनाया जाता है। इसके अलावा अनुबंध के आधार पर भर्ती की जाती है।अमेरिकी सेना में करीब 14 लाख जवान हैं। यहां भर्ती स्वैच्छिक आधार (Voluntary Basis) होती है। ज्यादातर जवान 4 साल के लिए सेना में शामिल होते हैं। विश्व की सबसे बड़ी सेना वाले देश चीन में सेना भर्ती अनिवार्य तौर पर होती है। हर साल 4.5 लाख युवा ट्रेनिंग के लिए शामिल किए जाते हैं। चीन में पुरुषों की आबादी को देखते हुए हर साल 80 लाख युवा इस ट्रेनिंग के लिए तैयार होते हैं। ऐसे जवान 2 साल की अनिवार्य सेवा देते हैं। किसी को दृष्टिगत रखते हुए भारत में अंग्रेजों के रेजिमेंट सिस्टम को खत्म किया गया तथा यह नई योजना लांच की गई है परंतु केंद्र सरकार द्वारा जैसे ही इस योजना की घोषणा की गई पूरे देश में बवाल मच गया। आज की स्थिति यह है कि इसे लेकर विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है। ‘अग्निपथ योजना’ पर दिल्ली-गुरुग्राम से लेकर बिहार में बवाल हो गया है। जगह-जगह रेली रोकी गई है टायर फूंके गए हैं, आगजनी पथराव तथा भगदड़ के हालात हैं। बिहार में तो उग्र छात्रों ने नवादा में बीजेपी का ऑफिस फूंक डाला और महिला विधायक की गाड़ी पर पथराव किया है। छात्रों ने अपना गुबार निकालते हुए यहां तक कहा है कि अगर पेंशन काटनी है तो लाखों की तनख्वाह पाने वाले मंत्रियों की काटो। यही नहीं राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को ट्वीट करते हुए लिखा है कि अग्निपथ पर चला कर युवाओं के संयम की अग्निपरीक्षा मत लीजिए।
ऐसी वीर भूमि पर सेना की भर्ती को लेकर विवाद खड़ा होना स्वयं में उचित नहीं है। भारतीय सेना युवाओं का सपना है और उन सपनों के साथ खिलवाड़ करने का हक किसी को भी नहीं है हिंदुस्तान में ऐसे अनेक परिवार हैं जिनकी पीढ़ी दर पीढ़ी देश की रक्षार्थ सेना के माध्यम से कार्य करती रही है। ऐसी स्थिति में युवाओं को 4 साल या केवल नौकरी का प्रलोभन देकर सेना में आकर्षित करना, ऐसी राजनीति और ऐसी सोच युवाओं में कुंठा का कारण बनेगी। देश के लिए प्राण उत्सर्ग करने की भावना रखने वाले युवा के साथ इस तरह का खिलवाड़ उचित नहीं है। इससे तो अच्छा होता कि केंद्र सरकार प्रत्येक युवा के लिए सेना में जाना एक अनिवार्य आवश्यकता कर देती। उसे कम से कम 4 साल देश की सेना की ओर अपना कर्तव्य निर्वहन करना ही होगा उसके बाद यदि वह स्वयं सेना छोड़कर जाना चाहता है तो उसके लिए रास्ते खुले रहेंगे परंतु पहले उसे सेना में भर्ती देना और उसके बाद उसकी प्रतिभा का आकलन कर उसे निकाल देना यह भारतीय सेना के लिए भी दूरदर्शी परिणाम नहीं देगा कुछ युवाओं के लिए सेना एक ऐसा सपना है जिसे वह खुली आंखों से देखते हैं देश प्रेम उनमें कूट-कूट कर भरा है आप युवा की प्रतिभा का आकलन कीजिए उसे सेना के लिए यदि वह पूर्ण योग्यता रखता है तो उसे रखिए अन्यथा शामिल ही मत कीजिए परंतु इस प्रकार केवल 4 वर्ष के लिए एक रोजगार के नाम पर सेना से जोड़ना और ना काबिलियत के नाम पर सेना से निकाल देना ना तो भारतीय सेना के लिए अच्छा है ना ही पूरे विश्व पटल पर भारतीय सेना का कोई अच्छा संदेश देगा।
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