इस महीने भारत आएंगे श्रीलंका के राष्ट्रपति:2 दिन के दौरे पर 21 जुलाई को नई दिल्ली पहुंचेंगे विक्रमसिंघे, PM मोदी से मुलाकात होगी
तस्वीर 2018 की है। तब रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के प्रधानमंत्री थे और उन्होंने नई दिल्ली में PM मोदी से मुलाकात की थी।
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे दो दिन की ऑफिशियल विजिट पर भारत आ रहे हैं। रानिल 21 जुलाई को नई दिल्ली पहुंचेंगे। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।
श्रीलंकाई मीडिया के मुताबिक- इस विजिट के दौरान कई अहम मुद्दों पर बातचीत होगी। खास तौर पर समुद्री सुरक्षा से जुड़े मामले डिस्कस किए जा सकते हैं। इसके अलावा उन प्रोजेक्ट्स की समीक्षा भी की जाएगी जो श्रीलंका में भारत सरकार चला रही है।
पहली भारत यात्रा
- पिछले साल श्रीलंका में सिविल वॉर जैसे हालात बन गए थे और जनता ने राजपक्षे ब्रदर्स की सरकार को उखाड़ फेंका था। इसके बाद रानिल विक्रमसिंघे ने देश की कमान संभाली थी। दरअसल, रानिल सिर्फ गोटबाया राजपक्षे का बचा हुआ टेन्योर पूरा करने तक ही राष्ट्रपति रहेंगे। यह कार्यकाल सितंबर 2024 तक है।
- भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा अगले हफ्ते कोलंबो जा रहे हैं। इस विजिट के दौरान विक्रमसिंघे की भारत यात्रा से जुड़ी तमाम तैयारियां पूरी की जाएंगी। श्रीलंकाई अखबार ‘द डेली मिरर’ के मुताबिक- रानिल की यह विजिट श्रीलंका के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है। दिवालिया होने के बाद अगर इस देश की सबसे ज्यादा किसी ने मदद की थी तो वो भारत था और श्रीलंकाई सरकार इस बात तो पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर कई बार दोहरा चुकी है।
- दरअसल, श्रीलंका में भारत की मदद से करोड़ों रुपए के वेलफेयर प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। श्रीलंकाई राष्ट्रपति और मोदी मिलकर इनकी समीक्षा करेंगे। कुछ प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जो पूरे हो चुके हैं।
- पॉवर और एनर्जी, एग्रीकल्चर और नेवल डिफेस से जुड़े मामले सबसे ज्यादा अहम हैं। माना जा रहा है ये वो मुद्दा है जिस पर भारत और श्रीलंका मिलकर काम कर सकते हैं और यहां चीन भी मौजूद है। श्रीलंका में चीन की दखलंदाजी हालिया साल में काफी बढ़ी है और भारत की इस पर नजर है।
पिछले साल जून में श्रीलंकाई स्कूलों में जब स्टडी मटेरियल खत्म हो गया था तो भारत सरकार ने वहां यह चीजें मुहैया कराईं थीं।
अब सुधार पर श्रीलंका की इकोनॉमी
- श्रीलंका पिछले साल दिवालिया हुआ था। इसके बाद भारत, अमेरिका और जापान ने उसकी सबसे ज्यादा मदद की थी। खास तौर पर भारत ने। श्रीलंका के कई नेता और रानिल सरकार के मंत्री वर्ल्ड स्टेज पर यह बात कई बार कह चुके हैं। पिछले दिनों श्रीलंका की एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत की मदद के चलते ही श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से बाहर आ सका है।
- अब श्रीलंकाई इकोनॉमी तेजी से रिकवरी कर रही है, हालांकि पहले जैसे हालात बनने में अब भी कुछ साल लग सकते हैं। इकोनॉमी बेहतर बनाने के लिए रानिल सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं। भारत की वजह से श्रीलंका को IMF ने बहुत तेजी से बेलआउट पैकेज रिलीज किया था। IMF के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर केन्जी ओकामुरा ने पिछले महीने कोलंबो दौरा किया था और इस दौरान कहा था कि श्रीलंकाई इकोनॉमी बहुत तेजी से रिकवर कर रही है।
- एक और जहां पाकिस्तान को IMF का पैकेज हासिल करने में 9 महीने लगे थे, वहीं श्रीलंका को इसमें कतई परेशानी नहीं हुई। IMF ने उसे 2.9 अरब डॉलर का पैकेज मार्च में ही दे दिया था। इतना ही नहीं इस लोन को चुकाने के लिए 4 साल का लंबा वक्त भी दिया और गरीब लोगों के लिए सब्सिडी पर भी रोक नहीं लगाई। इतने ही पैसे के लिए पाकिस्तान को बेहद सख्त शर्तें दी गई हैं।
रानिल अक्टूबर में चीन जाएंगे। इसके पहले उनका भारत आना यह साबित करता है कि श्रीलंका अपने करीबी पड़ोसी भारत को कितना महत्व दे रहा है। (फाइल)
श्रीलंका का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होगा
कुछ दिन पहले विक्रमसिंघे ने कहा था कि उनके देश का इस्तेमाल कभी भारत के खिलाफ नहीं किया जा सकेगा। रानिल ने कहा था- इस बात में किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए कि हम चीन से कभी मिलिट्री एग्रीमेंट नहीं करेंगे। चीन और श्रीलंका के रिश्ते मजबूत हैं, लेकिन हम ये भी साफ कर देना चाहते हैं कि हमारे देश में चीन का कोई मिलिट्री बेस नहीं हैं और न होगा। हम एक न्यूट्रल देश हैं।
जून के आखिरी हफ्ते में ब्रिटेन विजिट से पहले रानिल ने एक इंटरव्यू में साफ कहा था कि श्रीलंका की जमीन का इस्तेमाल कभी भारत के खिलाफ नहीं किया जा सकेगा। (फाइल)
पिछले साल की थी 4 बिलियन डॉलर की मदद
- पिछले साल श्रीलंका ने अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना किया था। तब भारत ने श्रीलंका की 4 बिलियन डॉलर से ज्यादा की आर्थिक मदद की थी। श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने इस मदद के लिए भारत को धन्यवाद दिया था। साबरी ने कहा था कि भारत की मदद से ही श्रीलंका थोड़ा-बहुत वित्तीय संतुलन हासिल कर पाया था।
- 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने टैक्स में कटौती का लोकलुभावन दांव खेला, लेकिन इससे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा। एक अनुमान के मुताबिक, इससे श्रीलंका की टैक्स से कमाई में 30% तक कमी आई, यानी सरकारी खजाना खाली होने लगा।
- 1990 में श्रीलंका की GDP में टैक्स से कमाई का हिस्सा 20% था, जो 2020 में घटकर महज 10% रह गया। टैक्स में कटौती के राजपक्षे के फैसले से 2019 के मुकाबले 2020 में टैक्स कलेक्शन में भारी गिरावट आई।
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