बीकानेर। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र, बीकानेर में आज राजभाषा कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें अतिथि वक्ताओं के रूप श्री मधु आचार्य ‘आशावादी‘, वरिष्ठ साहित्यकार द्वारा ‘हिन्दी भाषा और जन सरोकार‘ एवं श्री अनिल कुमार शर्मा, सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, बीकानेर द्वारा ‘राजभाषा प्रबंधन एवं नीति कार्यान्वयन‘ विषयक व्याख्यान प्रस्तुत किए गए।
अपने व्याख्यान के दौरान श्री मधु आचार्य ‘आशावादी‘ ने कहा कि भाषा हमारी अस्मिता की निशानी है। अतः हमें हिन्दी भाषा को अपनाते हुए अपनी पहचान, संस्कृति से जुड़े रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दी में काम करना केवल सरकारी सेवा तक ही सीमित नहीं रखा जाए बल्कि इसे दायित्व के रूप में समझा जाना चाहिए। श्री आचार्य ने हिन्दी भाषा के विकास में योगदान पर बात रखते हुए क्षेत्रीय भाषाओं को हिन्दी भाषा की ताकत बताया।
अतिथि वक्ता श्री अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी है तथा राजभाषा नीति-नियमों के मूल में हिन्दी का प्रचार-प्रसार प्रेरणा व प्रोत्साहन के रूप में लिया गया है। इसे संवैधानिक व नैतिक दायित्व के रूप में लेते हुए अधिकाधिक हिन्दी का प्रयोग किया जाना चाहिए। श्री शर्मा ने कार्यालयीन कार्यों में राजभाषा नीति कार्यान्वयन की विभिन्न मदों पर प्रकाश डाला तथा इनकी अनुपालना में गंभीरता बरतने पर जोर दिया।
केन्द्र निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. आर्तबन्धु साहू ने देशभर में राजभाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए सकारात्मक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आज सीविल सर्विसेज/नीट/इंजीनियरिंग आदि क्षेत्रों में हिन्दी विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है, जब जापान, रसिया, चीन आदि विकसित देशों ने अपनी भाषा द्वारा ही पहचान बनाई है तो देश में हिन्दी भाषा को भी इसके महत्व के अनुरूप प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
केन्द्र के डॉ. राजेश कुमार सावल, नोडल अधिकारी राजभाषा ने कार्यशाला के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
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