बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के खजूर फार्म में खजूर के फलों की नीलामी गुरुवार को प्रातः 11 बजे से खजूर अनुसंधान केंद्र पर होगी। केंद्र पर खजूर के 25 टन से अधिक फलों की पैदावार होने का अनुमान हैं।
विश्वविद्यालय के खजूर फार्म में वर्तमान में खजूर की 54 किस्मों पर अनुसंधान का कार्य चल रहा है। इनमें बरही, हलावी, खूनिजी, मेडजूल आदि सर्वाधिक लोकप्रिय किस्में हैं। पिछले कुछ समय से आमजन में खजूर की मांग बढ़ी है। जुलाई-अगस्त महीने में इनकी मांग परवान पर रहती है। इसके मद्देनजर फलों की नीलामी की जा रही है। खजूर अनुसंधान केंद्र द्वारा खजूर की उत्पादन तकनीक, कीड़ों और बीमारियों से खजूर को बचाने की तकनीक, कम पानी में पैदावार तथा पौधे लगाने की तकनीक से किसानों को रूबरू कराया जाता है ।
खजूर की परिपक्वता की होती हैं चार अवस्थाएं*
अनुसंधान निदेशक डाॅ. प्रकाश सिंह शेखावत ने बताया कि खजूर के फलों में परिपक्वता की चार अवस्थाएं होती हैं। इन्हें गंडोरा, डोका, डेंग और पिंड अवस्थाएं कहते हैं। बीकानेर में सामान्यतया डोका अवस्था में खजूर के फल तोड़े जाते हैं। उन्होंने बताया कि खजूर मधुर, पौष्टिक, बलवर्धक, पित्तनाशक और वीर्यवर्धक होता है। खजूर में विटामिन, प्रोटीन, रेशे, कार्बोहाइड्रेट और शर्करा होने की वजह से इसे पूर्ण आहार कहा जाता है। इसी कारण उपवास के दौरान इसका उपयोग किया जाता है। खजूर की चटनी बनती है। मेडजूल किस्म का खजूर छुहारे बनाने के काम आता है। केक और पुडिंग में भी खजूर का उपयोग किया जाता है।
गुणों की खान है खजूर
खजूर अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डाॅ. राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि खजूर में आयरन भरपूर मात्रा में होता है। यह शरीर में खून की कमी को दूर करने में सहायक है। खजूर में मौजूद विटामिन के कारण बाल मजबूत होते हैं तथा इसके नियमित सेवन से बालों के झड़ने की समस्या दूर होती है। खजूर में पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज, फ्रक्टोज और सुक्रोज पाया जाता है। तुरंत ताकत के लिए इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है। खजूर में केल्शियम, मैग्नीज और कॉपर की मात्रा होती है। इसके सेवनच से हड्डियों को मजबूती मिलती है।
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