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“एसिड अटैक”:-महिलाओं का झुलसता जीवन

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स्वरचित और मौलिक लेखपूजा गुप्ता मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

पहले एसिड अटैक जैसी घटनाओं के बारे में कभी कभी सुनने में आता था वहीं कुछ सालों से यह घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं अधिकतर केस एक तरफा प्रेम से जुड़े हुए होते हैं जिनमें लड़कों पर प्रेम का भूत इस कदर सवार हो जाता है कि वह हैवानियत में कब दिल दहला देने वाला कृत्य कर बैठे और अपराध को अंजाम दे दे कुछ कहा नहीं जा सकता है। किसी पर तेजाब फेंकना ऐसी दर्दनाक दुर्घटना है जिसकी शिकार अक्सर लड़कियां हुआ करती हैं और आजीवन सजा भी वही भुगतती है। उसके शरीर के साथ-साथ मन पर भी ऐसे घाव छोड़ जाती है वह घटना, जिसे लड़की के साथ-साथ उसके परिवार वाले भी नहीं भुला सकते। कुछ ऐसे केसों में अपने भी साथ ही छोड़ जाते है। रोजाना शीशे में अपने आप को सुंदर से सजने वाली लड़कियां फिर अचानक से उनके चेहरे पर किसी का तेजाब फेंक जाना, उस आईने को वह इस घटना के बाद देखती हैं तो वह खुद भी भयभीत हो जाती हैं। उनके अंदर की जीने की आस खत्म हो जाती है। जलन का अनुभव करते हुए हर दिन हर पल उस घाव को महसूस करती है। उसकी आत्मा रिस रिस कर रोती है। असंख्य कांटों की तरह वह घाव नासूर बनकर अंदर ही अंदर चोट करते रहते हैं, उसके उस दर्द को वह केवल खुद समझ सकती है।
अपराधी के पकड़े जाने के बाद उस पर केस चलने के बाद वह रिहा हो या ना हो, मगर न्याय की गुहार करने वाली लड़कियां केस चलने और फैसले होने के बाद भी जिस्मानी परेशानियां झेलती है। इस हादसे के बाद वह जिंदगी भर सोचने के लिए मजबूर हो जाती है कि आखिर उसका कसूर क्या था? इस सवाल का जवाब ढूंढ़ते ढूंढ़ते वह डिप्रेशन में भी चली जाती है। अपराधिक मामलों में प्रेम प्रसंग को लेकर बहुत अपराध बढ़े हैं। अक्सर असफल प्रेम होने पर लड़कों में अपराध जन्म लेता है और लड़की को पाने की चाहत उसके मन में इस कदर बढ़ जाती है और वह लड़की उसे नहीं मिलती है तो निराश होकर पर मानसिक विकृति का शिकार होकर कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाता है। अपनी नाकामी को हारा देखकर वह जघन्य अपराध कर बैठता है। पर वह भूल जाता है कि उस लड़की को जीवन भर का दर्द दे रहा है और फिर फेंक देता है एक ही झटके में तेजाब!
ऐसे अपराध वही लोग करते हैं जो कम पढ़े लिखे और आपसी रंजिश, प्यार में धोखा, असफल होना, की वजह से होते हैं। लड़की के द्वारा इंकार करना या एक तरफा प्रेम को लेकर तू-तू मैं-मैं होना और ऐसे कई कारण हैं जो प्रगति में बाधक है लड़कियों के। कई वारदातें पारिवारिक झगड़ों के चलते भी होती है, जब अपना शिकार परिवार की लड़कियों को आवारा लड़के बना लेते हैं और उनकी जिंदगी बर्बाद कर देते हैं। मगर इसमें एक लड़की का क्या दोष है? यह बात वह आवारा लड़के समझते क्यों नहीं है! एसिड अटैक की बढ़ती हुई वारदात सभ्य समाज के लिए कलंक के ही समान है। ऐसे अपराधों पर यदि अंकुश नहीं लगा तो, लड़कियां ऐसे ही एसिड अटैक का शिकार होती रहेंगी। इन सब को रोकने के लिए एक कठोर कानून बनाया जाना चाहिए और सजा भी ऐसी देनी चाहिए फिर दोबारा वह लड़के उन लड़कियों के साथ गलत ना कर सके। आज उन गलत लड़कों की वजह से लड़कियां घर से बाहर निकलने में डरती है। बहला-फुसलाकर ले जाने वाले लड़के अक्सर अपनी चाहत पूरी करने के लिए कुछ भी करके एसिड अटैक कर देते हैं। छेड़छाड़ के मामले भी बहुत अधिक बढ़ रहे है। बड़े-बड़े महानगरों में यह घटनाएं बढ़ती ही जा रही है। तेजाब फेंकना एक अमानवीय व्यवहार है, इसे क्रूरता की हद कहा जा सकता है। ऐसे में लड़कियां बहुत ही तकलीफ देह स्थिति से गुजरती हैं, उनके शरीर पर लगे जख्म तो भर जाते हैं लेकिन मन पर लगे जख्मों का भरना बहुत मुश्किल होता है। वह पीड़िता हर वक्त डरी सहमी सी रहती है कई बार उन्हें काउंसलिंग की जरूरत पड़ जाती है ताकि वह इस हादसे से बाहर निकल कर एक नए जीवन की शुरुआत करें। एसिड अटैक को तभी रोका जा सकता है जब इस पर हर जगह पाबंदी हो। दुकानों में धड़ल्ले से बिक रहे यह एसिड किसी की जिंदगी को नर्क बना दे सकते हैं खुलेआम बिक्री पर प्रतिबंध लगाना ही इसका एक उपाय है।
भारतीय कानून में एसिड अटैक जैसे अपराध को रोकने के लिए कोई ठोस कानून व्यवस्था नहीं है। ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इन अपराधों को रोकने के लिए कुछ विशेष कानून के साथ-साथ एक कमेटी बननी चाहिए जो यह निर्धारित करें कि पीड़िता को कितनी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध है। घटना के उपरांत उसकी सेवा, उनकी पुनर्वास उनका ट्रीटमेंट और सर्जरी पर होने वाले खर्च को पूरा करने के लिए व्यवस्था के क्या प्रावधान है, इन सब की व्यवस्था सही रूप से की जानी चाहिए।
किसी भी अनजान पुरुष के साथ मेल जोल लड़कियों को नहीं रखना चाहिए, उनके साथ क्लब या अन्य जगह होटल या पार्क जैसी जगह पर जाने से बचना चाहिए। देर रात तक बाहर रहने की प्रवृत्ति को बदलना चाहिए, ऑफिस का काम जल्दी निपटा सही समय पर अपने घर लड़कियों को वापस आ जाना चाहिए। सुनसान रास्तों से निकलने से बचना चाहिए या फिर किसी को साथ लेकर जाए यदि कोई लड़का आपको बार-बार तंग करता है या परेशान करने की कोशिश कर रहा हो तो तुरंत घर वालों को बताएं और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराएं यदि कोई लड़का आपको जालसाजी में फंसाने की कोशिश करें तो अपनी सूझबूझ के द्वारा उससे बचने का प्रयास करना चाहिए तभी आप सुरक्षित रह पाएंगी और एक बुरी घटना से अपने आप को बचा पाएंगी। एसिड अटैक महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध है, अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए जिनके द्वारा महिलाओं की जिंदगी बर्बाद हो जाती है। लड़कियां अपनी सुरक्षा के लिए कराटे जैसी क्रियाओं को सीखे ताकि अपराधी को वो सबक सिखा सके,स्वयं की सुरक्षा ही बचाव है।

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