कन्हैयालाल के हत्यारों के परिवार का पहला इंटरव्यू:पत्नी भाग गई, बच्चों को स्कूल में एडमिशन नहीं, पिता को ताना- वो जा रहा आतंकवादी का बाप
गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज…ये दो नाम सुनते या पढ़ते ही सबसे पहले जेहन में आता है वो वीडियो, जिसने हर उदयपुरवासी, हर राजस्थानी और हर भारतीय को सदमे में डाल दिया था। हैवानियत का एक और वीडियो था… कन्हैयालाल के तालिबानी तरीके से किए गए मर्डर पर जब हर राजस्थानी के आंख में आंसू थे, इन आतंकवादियों (क्योंकि ये सामान्य मर्डर नहीं था) के चेहरे पर थी वीभत्स हंसी।
एक पुरानी कहावत है- हर कातिल दो कब्रें खोदता है, एक मरने वाले के लिए और दूसरी अपने परिवार के लिए। गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज ने भी कुछ ऐसा ही किया।
एक निहत्थे व्यक्ति की हत्या कर जन्नत जाने का सपना देख रहे हत्यारे जेल की काल कोठरी में सड़ रहे तो इनका परिवार जेल के बाहर नर्क भोग रहा है…
ये सच सामने आया जब रिपोर्टर टीम उदयपुर के खांजी पीर इलाके में पहुंची, जहां कन्हैयालाल के हत्यारे गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज रहा करते थे। आज लोग इस इलाके से गुजरने में भी डरते हैं।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
मोहम्मद गौस का घर है। घर के बाहर एक किराने की छोटी-सी दुकान है।
‘इंटरव्यू के चक्कर में कोई घर में घुसकर मार दे तो’
रियाज अपनी पत्नी के साथ यहां रहता था, लेकिन गिरफ्तारी के बाद उसकी पत्नी यहां से जा चुकी है। रियाज आसींद का रहने वाला था।
रियाज के घर से कुछ दूरी पर गौस मोहम्मद का घर है। घर के बाहर एक किराने की छोटी-सी दुकान है। दुकान पर गौस के पिता मोहम्मद रफीक बैठे थे।
हमने अपना परिचय दिया तो सकपका गए। बोले- ‘हमें मीडिया से कोई बात नहीं करनी है। हम क्या बोलते हैं और वे क्या लिखते हैं। इसको राजनीतिक रंग दे दिया है। हम आपको स्टेटमेंट नहीं देंगे। हम चेहरा नहीं दिखा सकते अपना, डर का माहौल है, इसलिए हम कैमरे पर बात नहीं कर सकते। इंटरव्यू के चक्कर में अंदर घुसकर कोई और मार दे तो।’
काफी समझाइश के बाद मोहम्मद रफीक ऑफ कैमरा बात करने को तैयार हुए। बोले- ‘ये गलत घटना थी, नहीं होनी चाहिए थी। हमें बहुत खेद है इस बात का। हम अपने बेटे के पक्ष में नहीं हैं। मैंने तो पहले भी कहा था कि किसी की भी औलाद ऐसा नहीं करे। हमारी दिनचर्या बिगड़ गई, रहन-सहन डिस्टर्ब हो गया।’
गौस की मां। परिवार का कोई भी सदस्य ऑन कैमरा बात करने के लिए तैयार नहीं हुआ।
‘लोग हमें टॉर्चर करते हैं’
‘सबसे बड़ा अफसोस इसी बात का था कि गौस ने ऐसा क्यों किया। उसके किए की सजा हमें भुगतनी पड़ रही है। गौस सहारा के लिए पॉलिसी कराने और कलेक्शन एजेंट का काम करता था। गौस तो अब जेल में है, मगर लेनदार अब परिवार के पास आते हैं।’
‘सहारा के जितने कागज हैं, जिनका पैसा है आज वो हमें टॉर्चर करते हैं। सहारा पैसा नहीं दे रही है, 15 से 20 लाख रुपए होंगे जिनकी पॉलिसी गौस ने कराई थी।’
‘घर से बाहर निकलते हैं तो हमें शर्म आती है, कोई दो बात कह दे तो हमें बुरा लगता है, लोग कहते हैं कि ये उनके वालिद हैं। कोई कहता है हत्यारे/आतंकवादी का बाप जा रहा है। दिल्ली से कुछ लोग ये देखने आए थे कि हमें सरकार से क्या-क्या फ्री मिलता है, पर हमने तो बिल दिखाए कि सब चीज का बिल है। हमारे पास पूरे मोहल्ले का सपोर्ट है।’
मुस्लिम समाज या संगठन ने भी मदद नहीं की : पड़ोसी
नजदीक ही बैठे पड़ोसी वाजिद खान (बदला हुआ नाम) बोले कि इनकी गाड़ी भी पुलिस के पास जब्त है। गौस की एक्टिवा हुआ करती थी। पहले बाप-बेटे दुकान का सामान लाते थे, मगर अब इनको गाड़ी चलाना आता नहीं। कर्जदार इनसे पैसे मांगने आते रहते हैं, हमारे भी कुछ पैसे थे, मगर हम नहीं कहते। समझदार तो मांगने नहीं आएगा, मगर कोई अड़ियल हो तो वो यहीं आएगा। इनको किसी तरह का सपोर्ट नहीं है। मुस्लिम समाज ने भी इनको कोई सपोर्ट नहीं किया। किसी ने 1 रुपया भी लाकर नहीं दिया। यहां पर किसी मुस्लिम संगठन ने इनको कोई सुविधा नहीं दी।
गौस की बहन रेहाना कहती है- हम तो इस बार किसी को वोट नहीं देंगे। किसी राजनीतिक पार्टी या उनके नुमाइंदों ने आकर नहीं पूछा। सिर्फ वोट के समय पर आते हैं।
बच्चों को स्कूल में एडमिशन तक नहीं मिल रहा
टीम ने गौस के बच्चों के बारे में पूछा तो गौस की बहन रेहाना चिल्ला उठी। बोली- ‘हमारे बच्चों को स्कूल में एडमिशन तक नहीं मिल रहा है। बच्चे आरएमवी स्कूल में पढ़ रहे थे। बाप जेल में है तो उनको छोड़ने कौन जाए इसलिए टीसी निकलवाई। मगर उसके बाद आज तक किसी प्राइवेट स्कूल ने एडमिशन नहीं दिया।’
‘आसपास मोहल्ले के स्कूल में गए सबने मना कर दिया, बोलते हैं कलेक्टर से लिखवाकर लाओ। ऐसे माहौल में कलेक्टर के पास कैसे जाएं। बच्ची 9 साल की है वो चौथी क्लास में है। लड़का 7 साल का है, वो फर्स्ट क्लास में है। इसके बाद मदरसे वालों ने एडमिशन दिया। उन्होंने भी बड़ी मुश्किल से दिया। पहले तो मना कर रहे थे, बाद में काफी प्रेशर डलवाया तो बच्चों को एडमिशन मिला।’
‘हम तो दहशत में जी रहे हैं। बच्चों को भी अकेले नहीं छोड़ सकते, सबसे बड़ा डर ये है कि कोई सिरफिरा कुछ कर दे तो हम क्या करें। हम टीवी देखते नहीं और अखबार भी बच्चों को देते नहीं। बच्चे पापा को याद करते हैं। हमने कुछ दिनों बाद उनको समझाया कि पापा जेल में हैं। पूछते हैं पापा कहां गए तो हमको बताना पड़ता है।’
गौस के मां-बाप कुछ समय पहले अजमेर जेल मिलने के लिए पहुंचे। यहां 5 मिनट मुलाकात हुई।
डर है कि दुकान खोली और कोई कुछ कर दे तो
रेहाना आगे बताती हैं कि ‘हमारा व्यवहार अच्छा है इसलिए दुकान का सामान पड़ोसी और कुछ परिचित लेकर आते हैं, हम बाहर नहीं निकलते हैं। ये भी डर है कि दुकान खोलें और कोई अनजान आकर कुछ कर न जाए। इसलिए उस समय 2 महीने तक दुकान नहीं खोली। ये तो पड़ोसियों का सपोर्ट है, वरना रह नहीं सकते थे।’
‘हम घर से बाहर जा ही नहीं सकते। पहले हम फतहसागर, दूध तलाई जाते थे। हम बच्चों को मोहल्ले से बाहर ही नहीं निकलने देते। किसी को गाड़ी चलाना नहीं आता। मां का इलाज प्राइवेट अस्पताल में हो रहा है, सरकारी में जा नहीं सकते। मां को ऑर्थो की समस्या है।’
उदयपुर का खांजी पीर इलाका। इसी इलाके में कन्हैयालाल के हत्यारे गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज रहा करते थे।
अपने गुस्से को जाहिर करते हुए रेहाना कहती है- डर का माहौल है, हम दहशत में जी रहे हैं। हमारे लिए कोई वकील नहीं है। कोई वकील तैयार नहीं हो रहा। सरकारी वकील भी मिला या नहीं पता नहीं । इसका असर सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ रहा है।
घटना के बारे में बात करते हुए बहन रेहाना कहती है, ‘हमने गौस को पहली बार में ही कह दिया था कि तूने गलत किया। हम जब भी मिलते हैं उसे यही कहते हैं। गौस से जब बात होती है तो वह भी अफसोस करता है, कहता है दिमाग फिर गया था मेरा।’
पिता का नाम गौस पढ़कर बैंक वाले अकाउंट नहीं खोलते
गौस की मां खैरून से बात की तो बोलीं- ‘हमारे बच्चों के अकाउंट ही नहीं खुल रहे हैं। हमारे साथ बहुत-सी समस्याएं हैं, बैंक में जाओ तो डायरी नहीं। बाप का नाम गौस मोहम्मद डालते ही दिक्कत आती है। कहीं से खाता खुलवाना है, कोई सरकार की तरफ से लाभ अगर बच्चों को या पत्नी को मिलते हैं तो वो मिलेगा ही नहीं। अकाउंट खुलवाने जाएंगे तो गौस मोहम्मद का फोटो उसमें होता है।’
मुख्य आरोपी रियाज-गौस मोहम्मद अजमेर जेल में हैं।
आस-पड़ोस में भी ज्यादा बातचीत नहीं करता था गौस
गौस अपने मोहल्ले के लोगों से बिल्कुल अलग रहता था। गौस इंश्योरेंस पॉलिसी करवाने और कलेक्शन एजेंट का काम करता था। उसके मोहल्ले वालों के मुताबिक कन्हैया के दोनों हत्यारे गौस और रियाज की मुलाकात भी इन्वेस्टमेंट पॉलिसी के लिए ही हुई थी।
लगभग 12 साल पहले गौस की शादी हुई थी। गौस के पड़ोसियों के मुताबिक वह मोहल्ले के लोगों से ज्यादा बात नहीं करता था। दुआ-सलाम से ज्यादा उसकी किसी से भी बातचीत नहीं थी। समुदाय की खुशी या दुख के कार्यक्रमों में भी काफी कम शामिल होता था।
कन्हैयालाल की शॉप से 500 मीटर दूर मिली थी गौस की स्कूटी
मोहम्मद गौस की स्कूटी घटना के कुछ दिन बाद कन्हैयालाल की शॉप से 500 मीटर दूर मिली थी। कन्हैयालाल की हत्या के बाद यह स्कूटी एक चिकन शॉप के बाहर पड़ी थी। इसकी जानकारी मिलते ही NIA की टीम मौके पर पहुंची थी और वीडियोग्राफी करवाई थी। गौस मोहम्मद की स्कूटी का रजिस्ट्रेशन मई 2013 में हुआ था। रियाज की गाड़ी का रजिस्ट्रेशन मार्च 2013 में हुआ था।
गौस मोहम्मद ने 2013 में एक्टिवा का रजिस्ट्रेशन करवाया था। रियाज के गाड़ी नंबर की तरह गौस की एक्टिवा के नंबर में 26 थे।
गौस-रियाज के किए का खमियाजा उनके परिवार भुगत रहे
हत्यारों के परिवार-पड़ोसियों से बात करने के बाद टीम ने मुस्लिम समुदाय से जुड़े समाज के कुछ लोगों और नेताओं से बात की तो उनका यही कहना था कि उदयपुर में इस काम का समर्थन कोई नहीं करेगा। जो कुछ भी हुआ, वह गलत है। उनके किए की सजा अब इनका परिवार भुगत रहा है।
अभी तो बच्चे छोटे हैं। आगे न जाने किस-किस तरह की दिक्कतें इन्हें भुगतनी पड़ेंगी। हालांकि वे ये भी कहते हैं कि मुस्लिमों ने कभी भी गौस या रियाज को हीरो नहीं बनाया। अगर उन्होंने गलत किया तो हमने उनकी आलोचना ही की।
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