कबाड़ से बनाई 58 फीट लंबी तोप, वजन 4250 KG:सबसे बड़ी तोप का दावा; 15 लाख आई लागत
जोधपुर
दुनिया की सबसे बड़ी तोप का सवाल पूछा जाए तो जवाब में आप जयपुर के जयगढ़ फोर्ट में रखी जयबाण तोप का हवाला देंगे।
सही भी है। 20 फीट 2 इंच लंबी और 50 टन वजनी यह तोप 35 किलोमीटर तक फायर करने में सक्षम थी।
अब जोधपुर शहर के कबाड़ व्यवसायी ने जयबाण तोप को चुनौती दी है। दरअसल, कबाड़ व्यवसायी मोहम्मद रफीक कारवां और उनके बेटे फिरोज ने वेस्ट मैटेरियल यानी लोहे के कबाड़ (स्क्रैप) से 58 फीट लंबी तोप बनाई है। तोप का वजन 4,250 किलो है। उनका दावा है कि यह दुनिया की सबसे लंबी तोप है।
तोप को कबाड़ गोदाम के शेल्टर में रखा गया है। इस पर रफीक ने सरनेम कारवां लिखा है। तिरंगा भी लगाया है।
रफीक ने बताया- इसे बनाने में लगभग 15 लाख रुपए की लागत आई। फिलहाल इसे गोदाम में ही रखा गया है। यह शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। इसे आने वाले समय में मेलों में प्रदर्शनी के लिए रखा जाएगा।
उन्होंने कहा- इसे अब गिनीज वर्ल्ड रिकॉड्र्स के लिए भेजा जाएगा।
इस तोप को 7 कारीगरों की टीम ने 3 महीने की मेहनत से तैयार किया है।
पिता का सपना किया पूरा
रफीक ने बताया- पिता का सपना था कि कबाड़ के जुगाड़ से कुछ स्पेशल बनाया जाए। कई दिनों तक विचार करने के बाद तय किया कि कबाड़ से सबसे लंबी तोप बनाऊंगा। इसके लिए बेटे फिरोज खान के साथ मिलकर सबसे पहले 58 फीट लंबी तोप की डिजाइन बनाई।
इसको बनाने से पहले छोटी साइज की तोप के मॉडल बनाकर उन्हें चेक किया। इसके बाद 7 कारीगरों की टीम ने लगभग 3 महीने की मेहनत के बाद इसे तैयार किया।
जोधपुर के कबाड़ व्यवसायी मोहम्मद रफीक कारवां (नीली जैकेट) अपने पिता हाजी अब्दुल रशीद के साथ।
इसे बनाने में स्क्रैप मैटेरियल, पुराने ड्रम, पाइप एंगल, चेन-बेरिंग सेट, पुरानी गाड़ियों के पुर्जे, मोटर पाट्र्स आदि यूज किए गए हैं।
फोल्डेबल है यह तोप
तोप के व्हील की ऊंचाई 12 फीट है। जबकि चौड़ाई 15 फीट है। खास बात यह है कि इस तोप को फोल्ड किया जा सकता है। इसे खोल कर अलग-अलग हिस्सों में बांटा जा सकता है, जिससे किसी अन्य स्थान पर आसानी से ले जा सकते हैं।
कारवां परिवार ने इस तोप के साथ तीन गोले भी बनाए हैं। तोप के निर्माण में लोहे के ड्रम के अलावा कई चीजों का इस्तेमाल किया है।
आरआरआर फॉर्मूला किया यूज
मोहम्मद रफीक ने बताया कि इसे बनाने में अंतरराष्ट्रीय आरआरआर फॉर्मूला अपनाया गया है। आरआरआर का मतलब रिड्यूस, रीयूज और रिसाइकिल है। इस तरह पॉल्यूशन के लेवल को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
स्क्रैप से किसी भी तरह के आइटम बनाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को काफी कम किया जा सकता है।
बता दें कि रफीक हेल्पिंग हैंड्स संस्था के फाउंडर और कारवां ग्रुप के निदेशक भी हैं।
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