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कश्मीर के मुसलमान भी चाहते हैं, भारत के अन्य राज्यों की तरह समृद्धि और शांति प्रिय जीवन

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REPORT BY DR MUDITA POPLI

एक कल्याणकारी राज्य एक ऐसा राज्य है जिसमें नागरिकों के बुनियादी मानव अधिकार और उनके सामाजिक विकास, आर्थिक कल्याण और जीवन यापन के लिए बुनियादी सुविधाओं का प्रावधान राज्य की प्राथमिक जिम्मेदारी है। कल्याणकारी राज्य की संरचना, ऐसे लोकतांत्रिक सिद्धांत, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि राज्य का कोई भी नागरिक बुनियादी मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता से बचित न रहे और हर नागरिक को जीवन की बुनियादी सुविधाएं बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध हो।
कल्याणकारी राज्य की बुनियादी जिम्मेदारियों में स्वच्छ पेयजल रोटी कपडदा शिक्ष रोजगार, सार्वजनिक परिवहन, स्वच्छता, सीवेज, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और प्रशिक्षण संस्थान, स्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल शामिल हैं। दवाइयां बाल देखभाल क भत्ता, सामाजिक सुरक्षा, वृद्धावस्था सुविधाएं, सेवानिवृत्ति पेंशन आदि कल्याणकारी राज्य का मूल सिद्धांत धर्म, पंथ, भाषा, राष्ट्रीयता, रंग और नस्ल के भेदभाव के बिना हर नागरिक को समान नागरिक अधिकार
और न्याय प्रदान करना है। कल्याणकारी राज्य की संरचना में समान नागरिक अधिकार, धन का समान वितरण, संसाधनों का उचित बँटवारा, सामाजिक उत्तरदायित्वों का उचित वितरण, वर्ग भेदों का उन्मूलन और वंचित वर्गों के लिए मानव समानता सुनिश्चित करने के लिए प्रणालियों तैयार की जाती हैं।
एक सफल कल्याणकारी राज्य की संरचना में एक संसदीय लोकतंत्र की स्थापना और सरकार की त्रिस्तरीय प्रणाली यानी एक प्रांतीय या संघीय सरकार और एक नगर पालिका और मजबूत सामाजिक संस्थाएं शामिल हैं जो नागरिकों को जीवन की बुनियादी सुविधाओं का प्रावधान सुनिश्चित करती है। इसके अलावा, सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत, समाज कल्याण सेवाए प्रदान करने के लिए गैर-लाभकारी सार्वजनिक सेवा संगठनों, ट्रेड यूनियनों, पूजा स्थलों, खाद्य बैंकों और कल्याणकारी संगठनों को धर्मार्थ धन
और सुविधाएं प्रदान की जाती है।
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसे दुनिया का स्वर्ग भी कहा जाता है। यहां की खूबसूरत घाटियां, पहाड, नदियां और बगीचे राज्य को उत्तम प्रदेश बनाते हैं। यहां की संस्कृति देश के अन्य क्षेत्रों से अलग है लेकिन यह भारतीय रंग में रंगी हुई है। यहां एक तरफ हजरत और दूसरी तरफ वैष्णव देवी हैं। इस राज्य में सदियों से दोनों धर्मों के लोग एक साथ रहते आ रहे है। धर्म का लेकर दोनों धर्मों के बीच कोई युद्ध नहीं हुआ। वैचारिक मतभेद है लेकिन कश्मीरी होने के नाते वे एक हैं।
स्वतंत्रता के बाद से राज्य को एक अनुच्छेद के तहत कुछ रिवायतों के साथ भारत में एकीकृत किया गया था। जहां केंद्र के कई कानून लागू नहीं हो पाए। जिससे विकास कार्यों पर काफी असर पड़ा। देश के अन्य राज्यों की तरह जम्मू-कश्मीर राज्य में भी विकास परियोजनाओं को लागू करने की आवश्यकता थी। इसके लिए उस वस्तु को हटाना आवश्यक था जो इस प्रगति के मार्ग में एक दीवार थी। वर्तमान सरकार ने पहले इस अनुच्छेद का अर्थ निकालने का प्रयास किया और फिर सभी केन्द्रीय कानूनों को वहां लागू करने का प्रयास किया।
जम्मू कश्मीर को अब केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया है, जो स्थाई नहीं है, बल्कि इसलिए किया गया है, क्योंकि केंद्र सरकार सत्तर साल से रुके हुए काम को अपनी निगरानी में जारी रखना चाहती है इसलिए हम देखते हैं कि अब अच्छे विकास कार्य हो रहे है और पुल बन रहे हैं जहां रेल लाइन नहीं पहुंची, वहां रेल ला दी गई, वैसे ही सड़क और रेल बनाने के लिए पहाड़ों को तोड़ दिया गया। दूरियां कम हुई हैं। वहां बड़ी-बड़ी कंपनियां स्थापित हो रही हैं। पहले, कंपनियों के निगमन में बहुत सारी कानूनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, जिसके कारण कंपनियां आस-पास के राज्यों में चली जाती थी। लेकिन अब सरकार द्वारा कंपनियां लगाने के लिए रियायतें दी जा रही हैं।
यूनाइटेड किंगडम के एक एशियाई दैनिक में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से निवासियों की आर्थिक स्थिति को बदलने में सफल रही है। सरकार ने व्यापार संस्थानों के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया है, जिसके लिए वहां के लोगों ने भी लेफटिनन्ट गवर्नर श्री मनोज सिन्हा का समर्थन किया है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 370 के बाद समस्याओं को दूर करने में राज्यपाल पूरी तरह से सफल रहे हैं।
जम्मू और कश्मीर राज्य के लोग, विशेषकर कश्मीर घाटी के मुसलमान, कृषि पर निर्भर हैं। यहां सेब की खेती अच्छी होती है, जो दुनिया के कोने-कोने में जाती है। उनके कारोबार को बढ़ाने के लिए ऐसी नीति बनाई गई जिससे वहां के मुसलमानों को फायदा हो। इसलिए हम पाते हैं कि वहां के सेब उत्पादक केंद्र सरकार की नीति से काफी खुश हैं। क्योंकि उन्हें काफी फायदा हो रहा है। जम्मू और कश्मीर का वित्त पर्यटन पर निर्भर करता है। अगर राज्य में आतंकवाद की समस्या ज्यादा होती तो पर्यटन पर इसका बुरा असर पड़ता, इसलिए सरकार ने सबसे पहले की करे दूर करने का काम किया। यह उस मूल कारण को समझने लगा जिसकी वजह से युवा आतंकवाद की ओर बढ़ रहे थे। चाहे वह बेरोजगारी के कारण हो या किसी आतंकवादी संगठन के बहकावे में आकर दोनों तरह से रूट करने की कोशिश की। एक तरफ उसने बड़े आतंकी संगठन का दमन किया और दूसरी तरफ बेरोजगार युवाओं को काम पर लाने की कोशिश की।
चूंकि जम्मू और कश्मीर राज्य केंद्र के प्रशासन में आया था, इसलिए राज्य के युवाओं को विकास की ओर बढ़ने के अधिक अवसर मिले हैं। अब राज्य के युवा अन्य केंद्रीय प्रशासन क्षेत्रों में सरकारी नौकरियों का लाभ उठा रहे हैं। मौजूदा सरकार जम्मू-कश्मीर पर विशेष ध्यान दे रही है। सरकार नहीं चाहती कि इस राज्य के लोग दूसरे राज्यों की तुलना में पीछे रह जाएं। क्योंकि राज्य का पिछड़ापन मतलब देश का पिछड़ापन ।
इसीलिए सरकार ने विभिन्न प्रकार के फंड आवंटित किए हैं।
आज जम्मू-कश्मीर को अमन-चैन का क्षेत्र माना जाता है, अब लोग बिना डरे वहां घूमने जा रहे हैं। पर्यटकों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। नई फैक्ट्रियां लग रही हैं। लड़के-लड़कियां स्कूल-कॉलेजों में निडर होकर पढ़ने जा रहे हैं। नई पीढ़ी देश और प्रदेश का विकास चाहती है। हर कोई चाहता है कि मैं कल्याण कार्यों में हिस्सा लूं। देश प्रेम और देशभक्ति की भावना पूरे जोश में है। वे कश्मीर से ज्यादा भारत से प्यार करते हैं।

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