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किन जातियों को मिलेगा बढ़ा हुआ 6% OBC आरक्षण?:एक्सपर्ट ने बताए रिजर्वेशन बांटने के 3 तरीके; दूसरों वर्गों पर क्या असर, क्यों हो सकता है विवाद?

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किन जातियों को मिलेगा बढ़ा हुआ 6% OBC आरक्षण?:एक्सपर्ट ने बताए रिजर्वेशन बांटने के 3 तरीके; दूसरों वर्गों पर क्या असर, क्यों हो सकता है विवाद?

जयपुर

मानगढ़ में राहुल गांधी की सभा में मुख्यमंत्री गहलोत ने ओबीसी को 6 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही। सीएम की घाेषणा के बाद नई सियासी और सामाजिक बहस शुरू हो गई है। कई सवाल खड़े हो गए हैं, जिनके जवाब लोग जानना चाहते हैं…

  • सीएम अशोक गहलोत ने आखिर ओबीसी आरक्षण की घोषणा क्यों की?
  • ओबीसी की जनगणना और आरक्षण इतना महत्वपूर्ण मुद्दा क्यों है?
  • बढ़े हुए आरक्षण में कौनसी जातियां शामिल होंगी?
  • ओबीसी आरक्षण बढ़ाने से दूसरे वर्गों पर क्या असर पड़ेगा?
  • और सबसे बड़ा सवाल…बढ़ा हुआ 6% आरक्षण लागू कैसे किया जाएगा?

एक्सपट्‌र्स से बात कर इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

मानगढ़ में राहुल गांधी की सभा में मुख्यमंत्री गहलोत ने ओबीसी को 6 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही।

मानगढ़ में राहुल गांधी की सभा में मुख्यमंत्री गहलोत ने ओबीसी को 6 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही।

सीएम अशोक गहलोत ने आखिर ओबीसी आरक्षण की घोषणा क्यों की?

एक्सपर्ट कमेंट : दरअसल, ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग राजस्थान में लंबे समय से चल रही थी। इसके लिए तमाम तरह के आंदोलन किए जा रहे थे। राजस्थान के कई मंत्री और नेता भी लगातार इसकी मांग कर रहे थे। मार्च में हुई जाट महापंचायत में भी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग की गई थी। पंजाब के प्रभारी और राजस्थान के पूर्व मंत्री हरीश चौधरी भी जनसंख्या का हवाला देकर ओबीसी आरक्षण की मांग करते रहे हैं।

क्यों महत्वपूर्ण है ओबीसी, इनकी जनगणना और आरक्षण

एक्सपर्ट कमेंट : ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग राजस्थान का सबसे बड़ा वर्ग है। जनसंख्या के हिसाब से देखें तो देशभर में ओबीसी की जनसंख्या 50 प्रतिशत से ज्यादा है। इसी तरह कई बड़े राज्यों में भी ये सबसे बड़ा वर्ग है। 1980 में आई मंडल कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार देश में ओबीसी की जनसंख्या 52 प्रतिशत है।

वहीं ओबीसी समुदाय का मानना है कि इसमें अब और भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। इसी वजह से जनगणना और आरक्षण का मुद्दा बार-बार उठता है। सीएम गहलोत ने भी ओबीसी की जनगणना अलग से कराने की बात भी मानगढ़ से कही थी।

राजस्थान की बात करें तो यहां भी ओबीसी सबसे बड़ा और प्रभावी वर्ग है। जनसंख्या के हिसाब से भी ओबीसी सबसे आगे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, लगभग 52 प्रतिशत ओबीसी राजस्थान में हैं। वहीं उनके बाद लगभग 18 प्रतिशत दलित और 14 प्रतिशत एसटी समुदाय के लोग हैं। लगभग 9 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है और लगभग 7 प्रतिशत सामान्य आबादी राजस्थान में है।

ज्यादातर राज्यों में ओबीसी को राजस्थान से ज्यादा रिजर्वेशन

2014 में केंद्र सरकार के राज्यसभा को सौंपे गए आंकड़े बताते हैं कि देश के ज्यादातर राज्यों में ओबीसी को 27 प्रतिशत या उससे ज्यादा आरक्षण है। राजस्थान में फिलहाल ओबीसी को 21 प्रतिशत आरक्षण है। वहीं एमबीसी यानी मोस्ट बैकवर्ड क्लास का आरक्षण 5 प्रतिशत है, जिसमें गुर्जर सहित कुछ अन्य जातियां हैं।

इसी तरह आंध्र प्रदेश में ओबीसी को 29 और असम में 27 प्रतिशत आरक्षण है। वहीं, बिहार में अलग-अलग श्रेणी में मिलाकर 33 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 14 प्रतिशत और गुजरात-हरियाणा में 27 प्रतिशत आरक्षण है। केरल में ओबीसी आरक्षण 40 और कर्नाटक में 32 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में 21 और उड़ीसा में ये आंकड़ा 27 प्रतिशत है। तमिलनाडु में ओबीसी और एमबीसी मिलाकर 50 प्रतिशत रिजर्वेशन है। वहीं, उत्तर प्रदेश में 27 और पश्चिमी बंगाल मे 17 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण है।

बड़ा सवाल, कौनसी जातियां होंगी शामिल ?

एक्सपर्ट कमेंट : गहलोत ने ओबीसी आरक्षण को लेकर कहा कि बढ़ा हुआ 6 प्रतिशत आरक्षण अति पिछड़ी और मूल रूप से ओबीसी में रही जातियों के लिए होगा। इसके लिए ओबीसी आयोग सर्वे कर अति पिछड़ी जातियों की पहचान कर रिपोर्ट देगा। उसी आधार पर जातियों को शामिल किया जाएगा। गहलोत की इस घोषणा के बाद यह बहस छिड़ी है कि कौनसी जातियों को इस वर्ग में शामिल किया जा सकता है, या फिर किस तरह से यह आरक्षण दिया जाएगा।

जानकारों का मानना है कि यह तीन तरीके से हो सकता है…

  • पहला : ओबीसी के मूल 21 प्रतिशत आरक्षण को ही बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया जाए। इससे जो जातियां अभी ओबीसी में हैं, उन सभी का आरक्षण का दायरा बढ़ जाएगा और सभी को इससे फायदा मिलेगा।
  • दूसरा : 6 प्रतिशत आरक्षण अलग से अति पिछड़ी जातियों को दिया जाए। गहलोत ने कहा है कि जो मूल रूप से ओबीसी में थी, उन जातियों को इसमें शामिल किया जाएगा। ऐसे में जाट सहित अन्य जातियां जो बाद में ओबीसी में शामिल हुई, उन्हें छोड़कर अन्य जातियों को इसमें शामिल किया जा सकता है।
  • तीसरा : फिलहाल एमबीसी यानी अति पिछड़ा वर्ग का 5 प्रतिशत आरक्षण राजस्थान में है। इसमें गुर्जर सहित कुछ अन्य जातियां हैं। ऐसे में इसी आरक्षण को 11 प्रतिशत तक बढ़ाकर इसमें अन्य जातियों को शामिल किया जा सकता है। हालांकि इसकी संभावना न के बराबर है।

जानकार मानते हैं कि मोटे तौर पर माली-कुमावत, चारण, विश्ननोई वो जातियां हैं, जो ओबीसी वर्ग में बड़ा प्रभाव रखती हैं। ऐसे में इन जातियों में से कुछ या अन्य को इस नए 6 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल सकता है। हालांकि इससे पहले कई कानूनी और संवैधानिक चुनौतियां सरकार को झेलनी पड़ सकती है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का 9 अगस्त का ट्वीट, जिसमें उन्होंने 6 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण की जानकारी दी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का 9 अगस्त का ट्वीट, जिसमें उन्होंने 6 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण की जानकारी दी।

अन्य वर्गों पर पड़ेगा असर, क्या फिर होगा विवाद?

एक्सपर्ट कमेंट : सीएम की घोषणा के अनुसार अगर 6 प्रतिशत आरक्षण और बढ़ाया जाता है तो राजस्थान में कुल आरक्षण बढ़कर 70 प्रतिशत हो जाएगा। इससे बाकी वर्गों में बैचेनी बढ़ सकती है। खासतौर से सामान्य वर्ग में। 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण को हटा दिया जाए तो सामान्य वर्ग के लिए फिर सिर्फ 30 प्रतिशत कोटा ही बचेगा। इसमें आरक्षित सहित तमाम अन्य वर्ग आएंगे। वहीं एसटी का 12 और एससी का 16 प्रतिशत कोटा भी ज्यों का त्यों रहेगा। हालांकि बाद में एससी और एसटी का भी 2-2 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाए जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

आदिवासी मांग रहे हैं टीएसपी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण

ओबीसी को 6% आरक्षण से दक्षिणी राजस्थान और खासतौर से आदिवासी इलाकों में नए विवाद छिड़ सकता है। कांग्रेस की ही स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य और आदिवासी नेता रघुवीर मीणा ने पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी में इस बात को रखा। उनका कहना था कि 99 प्रतिशत आदिवासियों के बीच ओबीसी आरक्षण की घोषणा क्यों की गई। इसका असर इलाके में देखने को मिल सकता है।

दरअसल, ओबीसी के साथ-साथ राजस्थान के आदिवासी भी आरक्षण की मांग कर रहे हैं। आदिवासियों की मांग हैं कि स्टेट के 12 प्रतिशत एसटी के रिजर्वेशन में टीएसपी एरिया का रिजर्वेशन 50 प्रतिशत हो। यह फिलहाल 45 प्रतिशत है। इसके अलावा टीएसपी एरिया के सामान्य रिजर्वेशन में भी आदिवासियों के रिजर्वेशन को बढ़ाने की मांग की जा रही है। आदिवासी नेताओं का कहना है कि टीएसपी एरिया में लगभग 73 प्रतिशत आबादी ट्राइबल्स की है। इसके बावजूद उन्हें वहां सिर्फ 45 प्रतिशत आरक्षण है। वहीं 5 प्रतिशत एससी को है। जबकि बाकी 27 प्रतिशत आबादी के लिए शेष बचा हुआ 50 प्रतिशत है। ऐसे में इसपर विचार करना चाहिए।

दो साल पहले हुआ था आंदोलन

दो साल पहले खेरवाड़ा के कांकरी-डूंगरी में इसे लेकर आदिवासियों ने बड़ा आंदोलन किया था। कई दिन तक स्थितियां तनावपूर्ण थीं। इस मामले को लेकर रिपोर्ट तैयार करने के लिए नन्नूमल पहाड़िया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी। कमेटी को 3 महीने में रिपोर्ट देनी थी मगर अबतक रिपोर्ट नहीं दी गई है। बता दें कि उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और सिरोही, चित्तौड़गढ़ और राजसमंद का कुछ-कुछ हिस्सा टीएसपी क्षेत्र में आता है।

इसे लेकर रघुवीर मीणा का कहना है कि टीएसपी क्षेत्र बढ़ा है ताे आबादी भी बढ़ी है उस अनुसार आरक्षण भी बढ़ना चाहिए। कई राज्यों में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण है। ऐसे में अगर संवैधानिक प्रोविजन अलाऊ करते हैं तो इसे देने में क्या समस्या होनी चाहिए। सीएम को हमारे साथ बैठकर डिस्कस करना चाहिए।

क्या कहता है कानूनी पहलू

एक्सपर्ट कमेंट : आरक्षण काे लेकर कई कानूनी और सामाजिक अड़चनें भी हैं। आरक्षण की सीमा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का तय फैसला है जिसमें इसे 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाने की बात कही गई है। लॉ के एक वरिष्ठ जानकार बताते हैं कि 1992 में आए इंदिरा साहनी जजमेंट में यह कहा गया था कि जातिगत आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा न हो। वहीं इसके बाद 2004 में एम नागराज वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया के जजमेंट में पांच जजों की बैंच ने यह स्पष्ट किया कि कितने प्रतिशत तक आरक्षण दिया जा सकता है।

इसमें भी सीलिंग लिमिट 50 प्रतिशत ही रखी गई। मगर यह कहा गया कि अगर संवैधानिक आवश्यकता ऐसी हो जिसमें उस जाति की विवशता झलकती हो या फिर पिछड़ापन होने के साथ प्रतिनिधित्व मिलने में दिक्कतें हो तो उस आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है। लॉ एक्सपर्ट बताते हैं कि देखा जाए तो वास्तव में कुछ फैक्टर्स होते हैं जैसे क्या पिछड़ापन उनकी आबादी में रिफलैक्ट हो रहा है। जिन्हें आरक्षण देने की बात की जा रही है क्या वो पिछड़ रहे हैं या अशिक्षित हो रहे हैं या उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा इन बातों को देखा जाता है।

50 प्रतिशत से ज्यादा जातिगत आरक्षण कोर्ट में

50 प्रतिशत से ज्यादा जातिगत आरक्षण को कई राज्यों में कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट में इनको लेकर केस चल रहे हैं। राजस्थान से भी एमबीसी के आरक्षण को लेकर चुनौती कोर्ट में दी जा चुकी है। ऐसे में कई कानूनों के जानकारों का मानना है कि 50 प्रतिशत से ऊपर का आरक्षण कोर्ट में चैलेंज तो होगा। चाहे वो किसी भी जाति का हो।

बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में विश्व आदिवासी दिवस पर हुई सभा में राहुल गांधी से सीएम अशोक गहलोत कुछ इस अंदाज में मिले

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अरुण जेटली लाए थे आर्थिक आधार पर आरक्षण

केंद्र सरकार ने जनवरी 2019 में आर्थिक आधार पर आरक्षण को मंजूरी दी थी। इस आधार पर ईडब्ल्यूएस को रिजर्वेशन दिया गया था। 2019 में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यह स्पष्ट किया था कि 50 प्रतिशत की सीमाएं जातिगत आरक्षण के लिए हैं, न कि आर्थिक आरक्षण के लिए। सरकार जो दे रही है, वो आर्थिक आरक्षण है।

आरक्षण पॉलिटिक्स का राजस्थान की जातिगत राजनीति पर क्या पड़ेगा असर

एक्सपर्ट कमेंट : राजस्थान की राजनीति में जाति काफी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यही वजह है कि इस साल अबतक जाट, ब्राह्मण, राजपूत, दलित, वैश्य सहित कई समाजों की बड़ी पंचायतें हो चुकी हैं। ऐसे में अशोक गहलोत का चुनाव से पहले खेला गया यह दांव राजस्थान की सियासत में कितना महत्वपूर्ण साबित होगा यह देखने वाली बात है।

ओबीसी : मूल जातियां सध सकती हैं

राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कहीं न कहीं ओबीसी वोटर को यह प्रभावित करेगा। राजस्थान में मूल रूप से ओबीसी में जाट बड़ा वर्ग है। अगर सरकार 6 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाती है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा जाट वर्ग को ही होगा। वहीं अलग से आरक्षण देने की सीरत में माली-कुमावत, विश्नोई सहित अन्य जातियां भी इससे प्रभावित हो सकती हैं।

राजनीतिक विश्लेषक डॉ . भानू कपिल बताते हैं कि एसटी वोटर अगर कांग्रेस से छिटका भी तो बीटीपी के पास जाएगा। उसे बाद में कांग्रेस मैनेज कर सकती है। रही बात सामान्य की तो ईडब्लयूएस आरक्षण को सरल बनाकर पहले से राजस्थान कांग्रेस सरकार सामान्य वर्ग को बड़ी राहत दे चुकी है।

जनरल : ईडब्ल्यूएस की शर्तें सरल कर बड़ी राहत दी है

राजस्थान वो राज्य है, जिसने ईडब्ल्यूएस रिजर्वेशन के लिए 8 लाख से कम वार्षिक आय का क्लोज हटा दिया है। इससे राजस्थान में अच्छी संख्या में सामान्य वर्ग के लोगों को ईडब्ल्यूएस का लाभ मिल रहा है। आमतौर पर ब्राह्मण, वैश्य और राजपूत वोट बीजेपी की तरफ झुकाव रखता है। मगर ईडब्ल्यूएस की राहत से कांग्रेस ने उन्हें साधने की कोशिश की है। हालांकि आरक्षण बढ़ाने का असर इस वर्ग पर क्या होगा यह देखने वाली बात होगी।

एसटी : नेताओं को अंदेशा, बीटीपी को मिलेगा आधार, कांग्रेस पड़ेगी कमजोर

इधर्, आदिवासियों के गढ़ में ओबीसी के रिजर्वेशन की घोषणा को लेकर आदिवासी नेताओं का मानना है कि इससे आदिवासियों के बीच कांग्रेस कमजोर पड़ेगी। इसका फायदा बीटीपी को होगा। बीटीपी इसी तरह की राजनीति करती है और मानगढ़ की सभा के बाद से उसने आदिवासी इलाकों में यह माहौल बनाना शुरू कर दिया है कि आदिवासियों के बीच ओबीसी आरक्षण की बात कही गई। बता दें कि आदिवासी मूल रूप से कांग्रेस का वोटर रहा है।

एससी : एससी आरक्षण भी बढ़ सकता है, फिलहाल रिएक्शन नहीं

राजस्थान के एक बड़े वर्ग एससी को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। फिलहाल एससी आरक्षण बढ़ाने की बात हुई नहीं है। मगर इस वर्ग की आबादी भी बढ़ी है। ऐसे में इसे लेकर भी रिएक्शन देखने को मिल सकते हैं। फिलहाल एससी कम्युनिटी की ओर से कोई खास रिएक्शन देखने को नहीं मिला है। कांग्रेस ने मिशन-59 से इस वर्ग पर फोकस तो किया है। मगर पिछले 15 साल में दो बार सरकार होने के बावजूद कांग्रेस को एससी सीटों पर बेहद कम जीत मिली है।

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