बीकानेर। नाबार्ड के माध्यम से किसान उत्पादक संगठनों को सही दिशा में आगे बढाने के लिए जिला कलेक्टर सभागार में जिला कलेक्टर महोदया की अध्यक्षता में जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बीकानेर जिले में एफपीओ का गठन और बढ़ावा देने के लिए बीकानेर जिले में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) और लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (Small Farmers’ Agri-Business Consortium) काम कर रहे हैं। एफपीओं के माध्यम से किसान उत्पादक संगठन के सदस्यों को फसलोत्तर विपणन सेवाओं की उपलब्धता और बिचौलियों के मकड़जाल से मुक्ति के क्रम में सीबीबीओ प्रतिनिधियों तथा एफपीओ बोर्ड सदस्यों के साथ त्रैमासिक आधार पर किसान उत्पादक संगठनों के 02 वर्षों के नियमानुसार किये गये कार्यों की समीक्षा की गई तथा निर्देशित किया गया कि सीबीबीओ किसानों को केवल खाघ-बीज विक्रय केन्द्र हेतु लाईसेंस तक सीमित न रखे बल्कि किसानों की फसलों को बाजार में पहुँच बढाने हेतु अपना सहयोग प्रदान करते हुए एफपीओं की परिकल्पना को पूरा करे। सभी किसान उत्पादक संगठनों को व्यपारिक गतिविधियों के आधार पर एक्सपोजर कार्यक्रम तय करते हुए उनकी फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने तथा उनकी आय में वृद्धि वाले संस्थानों में नियमानुसार एक्सपोजर कार्यक्रम आयोजित किये जावे जिसके लिए किसान उत्पादक संगठन/बोर्ड सदस्यों/सीईओ और अग्रणी किसानों को चुना जावे। सीबीबीओ द्वारा किसान उत्पादक संगठनों को प्रदान किये जा रहे अपर्याप्त सहयोग के लिए अध्यक्ष महोदय द्वारा सीबीबीओ को स्थानीय प्रतिनिधि के माध्यम से एफपीओ-बोर्ड सदस्यों तथा किसानों को उचित सहयोग प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया। किसान उत्पादक उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य था कि कृषक कृषि उत्पादन से ज्यादा उसके विपणन के लिये बाजार में कठिनाइयों का सामना करते हैं अत किसान उत्पादक संगठन कि शक्ति किसानों का समूह होता है जो कि विपणन का मुख्य माध्यम साबित हो सकते है। इस अनुक्रम में राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड द्वारा जारी दिशा निर्देशों की अनुपालना के लिए जिला कलेक्टर महोदया द्वारा ब्लाक स्तर पर समितियों के गठन के लिए सभी सदस्य विभागों को निर्देशित करते हुए सूचना निदिष्ट अनुलग्नक में समय समय से प्रदान करने हेतु नाबार्ड सदस्य सचिव तथा कृषि विपण बोर्ड सदस्यों को पाबंद किया.
अध्यक्ष महोदय द्वारा जिला स्तरीय निगरानी समिति के माध्यम से सीबीबीओ तथा एफपीओं को संदेश प्रदान किया गया कि “यदि किसान उत्पादक संगठनों को बैंक ऋण और बाज़ारों (ई-नाम/ओएनडीसी/सीधे बाजार में विक्रय) तक पहुँच प्रदान करने में सहायता की जाए तो वे कृषक आय के समाधान का एक प्रभावी विकल्प हो सकते हैं।” किसान उत्पादक संगठन, (एफपीओ) कृषि एवं किसानों के सशक्तिकरण का सबसे अच्छा माध्यम है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा भारत में 10,000 नए एफपीओ बनाकर सीधे किसानों को लाभ पहुँचानें की नीति पर कार्य प्रारंभ किया जावे जिससे बीकानेर के किसान उत्पादक संगठन दूसरे जिलो के लिए मिसाल बन सकें इससे किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ेगी।
जिला स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान भारत सरकार के उपक्रम एनसीसीएफ, जयपुर से पधारे प्रतिनिधियों को अध्यक्ष महोदय द्वारा बीकानेर के किसान संगठनों को व्यापारिक गतिविधियों में शामिल होने का अवसर प्रदान करने के लिए भी इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करने का अनुरोध किया। इस अवसर पर उपस्थित सदस्यों से भी किसान उत्पादक संगठन के कार्यों में सहयोग करने के लिए राजूवास, केवीके- बीकानेर एवं लूणकरणसर, कृषि विभाग, उधानिकी विभाग तथा सहकारिता विभाग को जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से छोटे व मझौले किसानों तक भंडारण तथा वर्गीकरण की योजनाओं के लाभ पहुँचानें के लिए विशेष प्रयास करने के निर्देश अध्यक्ष महोदया द्वारा दिय गये. किसान उत्पादक संगठन के सदस्यों की आय में वृद्धि के लिए किये जाने वाले कार्यों में योगदान सभी का आवश्यक है. इस अवसर पर संयुक्त निदेशक, कृषि बीकानेर द्वारा जिला स्तरीय समिति की बैठक के दौरान एफपीओ बोर्ड सदस्यों, सीईओ तथा लेखाकार को निर्देशित किया गया था कि उनके द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की पूर्व सूचना के आधार पर कृषि विभाग, आत्मा तथा उधानिकी विभाग के प्रतिनिधियों द्वारा कार्यक्रम में सहभागिता सुनिश्चित की जावेगी. अध्यक्ष महोदया तथा नाबार्ड प्रतिनिधि द्वारा बीकानेर में छोटे और सीमांत किसानों की समस्याओं की पहचान करते हुए सरकार द्वारा सक्रिय रूप से किसान उत्पादक संगठनों को क्लसटर के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसे व्यापारिक रुप देने के लिए किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुक्रम में आर्थिक शक्ति और उनके बाज़ार लिंकेज को बढ़ाने में सक्रिय भूमिका अदा करने की आवश्यकता है ताकि उनकी आय में सुधार हो सके। किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से एक ही क्षेत्र में उपस्थित अलग-अलग किसानों के छोटी जोत वाले खेतों का उपयोग करते हुए सामूहिक कृषि को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके साथ ही साथ आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करने और नए बाज़ारों को खोजने पर अधिक ध्यान दिया जा सकेगा। समूह में खेती से छोटे व मझोले किसानों के साथ महिला किसान प्रमुख भूमिका निभाएंगी। जिसके बाद किसान उत्पादक संगठनो के पास राज्य सरकार तथा भारत सरकार द्वारा जारी आर्थिक अनुदान पहुंचना शुरू होता है। इस प्रकार बने किसान उत्पादक संगठन के परिचालन व निगरानी के लिए जिला स्तर पर जिला स्तरीय निगरानी समिति, राज्य स्तर पर जिला स्तरीय निगरानी समिति तथा इन दोनो ही समितियों की अनुशंसा के आधार पर निगरानी को और सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय समिति भी बनाई गई है। किसान उत्पादक संगठनो को मजबूती से आगे बढाने के लिए समय समय पर निर्देश जारी किये जाते है। इन सभी के आधार पर एफपीओ के बेहतर संवर्धन के लिये भविष्य की रणनीतियों में प्रभावी हस्ताक्षेप की की आवश्यकता को ध्यान में रखा जा रहा है जिसमें कि जन जागरूकता निर्माण, संस्था विकास और डिजिटल निगरानी मुख्य है। भारत सरकार के नीतिगत ढांचे के अनुरूप लगभग सभी राज्य सरकारें भी किसानों के संगठन बनाने के लिए और उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिये उपयुक्त लचीली नीति बनाने पर विचार कर रही हैं, ताकि किसानों को व्यावसायिक रूप से उद्यमी बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त किसान उत्पादक संगठन को आवश्यक विभिन्न लाइसेंस जारी करने की प्रणाली को भी राज्यव्यापी सिंगलविंडो लाइसेंस प्रणाली स्थापित कर सरल बनाया जा सकता है।
Add Comment