क्या इजरायल से हो गई है चूक? अमेरिकी वॉर्निंग के बाद पीएम मोदी का फिलिस्तीन से बात करने का मतलब समझिए
इजरायल और हमास में 7 अक्टूबर से जंग जारी है। हमास के हमले के बाद यह शुरू हुई थी। तब पूरी दुनिया ने एक सुर में इन हमलों की आलोचना की थी। हर कोई इजरायल के साथ सहानुभूति प्रकट करता दिख रहा था। लेकिन, अब वह बात नहीं रह गई है। गाजा में अस्पताल में विस्फोट के बाद काफी कुछ बदल गया है।
नई दिल्ली: इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकी समूह के बीच युद्ध जारी है। इसने पूरे मिडिल ईस्ट में हलचल पैदा कर दी है। इसमें रुखों में तेजी से बदलाव भी दिख रहा है। 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला कर इस जंग का आगाज किया था। उसके क्रूर आतंकी हमले में सैकड़ों इजरायलियों ने जान गंवाई थी। तब एक तरफ से पूरी दुनिया की सहानुभूति इजरायल पर बरस पड़ी थी। तमाम ग्लोबल लीडर्स के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इजरायल के साथ एकजुटता दिखाई थी। उन्होंने बिना नाम लिए हमास के हमले की कड़ी आलोचना की थी। लेकिन, अब वह सहानुभूति पूरी तरह से इजरायल के साथ नहीं रह गई है। गाजा में अस्पताल पर इजरायली हमले के बाद चीजें बदली हैं। इजरायल को अमेरिकी वॉर्निंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बात करना इस ओर इशारा करता है। मंगलवार को गाजा के अल-अहली अरब अस्पताल पर इजरायली हमले में करीब 500 लोगों की जान चली गई। यह और बात है कि इजरायल बार-बार कह रहा है कि उसने अस्पताल पर हमला नहीं किया।
अमेरिका ने दी इजरायल को वॉर्निंग
अल-अहली अरब अस्पताल पर हमले के बाद चीजें तेजी से बदली हैं। इसके पहले तक इजरायल जिस तरह की सहानुभूति की लहर पर सवार था, उसमें बदलाव आ गया है। अमेरिका और भारत के रुख से इसे साफ समझा जा सकता है। अस्पताल पर हमले के एक दिन बाद ही यानी बुधवार को इजरायल को अमेरिका ने वॉर्निंग दे डाली। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल को दो-टूक कहा कि वह उस तरह की गलतियां नहीं करे जो अमेरिका ने 9/11 के दौरान की थीं। इसी के साथ ही अमेरिका ने गाजा और वेस्ट बैंक में मानवीय सहायता के लिए 100 मिलियन डॉलर की भी पेशकश की। यह प्रभावित फिलिस्तीनियों की मदद के लिए है।
पीएम मोदी ने किया फिलिस्तीनी राष्ट्रपति को फोन
फिर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से फोन पर बात की। उन्होंने गाजा के अल अहली अस्पताल में नागरिकों की मौत पर संवेदना जाहिर की। उन्होंने इजराइल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत के लंबे समय से जारी ‘सैद्धांतिक रुख’ को दोहराया। मोदी ने अब्बास के साथ क्षेत्र में आतंकवाद, हिंसा और बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को लेकर भारत की ‘गंभीर चिंता’ साझा की। प्रधानमंत्री ने अब्बास से कहा कि भारत फिलिस्तीन के लोगों के लिए मानवीय सहायता भेजना जारी रखेगा। फिलिस्तीनी अधिकारियों ने विस्फोट के लिए इजरायल के हवाई हमले को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन, इजरायल ने कहा कि वह इसमें शामिल नहीं है। विस्फोट असफल रहे एक फिलिस्तीनी रॉकेट के कारण हुआ।
इजरायल पर हमास के हमले के तुरंत बाद दुनिया के तमाम नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी आलोचना की थी। उन्होंने मुश्किल समय में इजरायल के साथ एकजुटता जाहिर की थी। हालांकि, पीएम ने हमास और फिलिस्तीन का नाम नहीं लिया था। बाद में विदेश मंत्रालय ने साफ किया था कि फिलिस्तीन पर भारत की पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं आया है। भारत हमेशा बातचीत के जरिये आजाद फिलिस्तीन का समर्थन करता आया है। हालांकि, वह इजरायल में भी शांति चाहता है।
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