NATIONAL NEWS

गजल गायक पंकज उधास नहीं रहे:लंबी बीमारी के बाद 72 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, 2006 में मिला था पद्मश्री

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

गजल गायक पंकज उधास नहीं रहे:लंबी बीमारी के बाद 72 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, 2006 में मिला था पद्मश्री

मशहूर गजल गायक पंकज उधास का आज 72 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी नायाब ने सोशल मीडिया पर दी है। गजल गायक पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी हाॅस्पिटल सोमवार 26 फरवरी की सुबह 11 बजे अंतिम सांस ली। पंकज उधास को बड़ी पहचान फेमस गजल ‘चिट्ठी आई है’ से मिली थी।

यह पोस्ट पंकज उधास की बेटी नायाब ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया है।

यह पोस्ट पंकज उधास की बेटी नायाब ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया है।

जमींदार परिवार में हुआ जन्म
पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था। वो अपने तीनों भाइयों में सबसे छोटे थे। उनका परिवार राजकोट के पास चरखाड़ी नाम के एक कस्बे का रहने वाला था। उनके दादा जमींदार थे और भावनगर राज्य के दीवान भी थे। उनके पिता केशुभाई उधास सरकारी कर्मचारी थे, उन्हें इसराज बजाने का बहुत शौक था। वहीं उनकी मां जीतूबेन उधास को गानों का बहुत शौक था। यही वजह थी पंकज उधास समेत उनके दोनों भाइयों का रुझान संगीत की तरफ हमेशा से रहा।

गाने के बदले मिले थे 51 रुपए
पंकज ने कभी नहीं सोचा था कि वो अपना करियर सिंगिंग में बनाएंगे। उन दिनों भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था। इसी दौरान लता मंगेशकर का ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना रिलीज हुआ था। पंकज को ये गाना बहुत पसंद आया। उन्होंने बिना किसी की मदद से इस गाने को उसी लय और सुर के साथ तैयार किया।

एक दिन स्कूल के प्रिंसिपल को पता चला कि वो गायिकी में बेहतर हैं, जिसके बाद उन्हें स्कूल प्रेयर टीम का हेड बना दिया गया। एक बार उनकी कॉलोनी में माता रानी की चौकी बैठी थी। रात में आरती-भजन के बाद वहां पर कल्चरल प्रोग्राम होता था। इस दिन पंकज के स्कूल के टीचर आए और उन्होंने कल्चरल प्रोग्राम में पंकज से एक गाने की फरमाइश की।

पंकज ने ऐ मेरे वतन के लोगों गाना गया। उनके इस गीत से वहां बैठे सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। उन्हें खूब वाहवाही भी मिली। दर्शकों से एक आदमी ने खड़े होकर उनके लिए ताली बजाई और इनाम के रूप में उन्हें 51 रुपए दिए।

संगीत एकेडमी से संगीत की पढ़ाई की
पंकज के दोनों भाई मनहर और निर्जल उधास म्यूजिक इंडस्ट्री में जाना-पहचाना नाम हैं। इस घटना के बाद पेरेंट्स को लगा कि पंकज भी अपने भाइयों की तरह म्यूजिक फील्ड में कुछ बेहतर कर सकते हैं, जिसके बाद पेरेंट्स ने उनका एडमिशन राजकोट में संगीत एकेडमी में करा दिया।

काम नहीं मिलने से आहत होकर विदेश गए
वहां पर कोर्स पूरा करने के बाद पंकज कई बड़े स्टेज शो पर परफॉर्मेंस करते थे। वो अपने भाईयों के जैसे ही बाॅलीवुड में जगह बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने 4 साल का लंबा संघर्ष किया। इसी दौरान उन्हें कोई बड़ा काम नहीं मिला। उन्होंने फिल्म कामना में अपने एक गाने को आवाज दी थी, लेकिन वो फिल्म फ्लॉप हो गई, जिस वजह से उन्हें भी कोई खास पॉपुलैरिटी नहीं मिली। काम नहीं मिलने से दुखी होकर उन्होंने विदेश जाकर रहने का फैसला किया।

जिस फिल्म के गाने से पॉपुलैरिटी मिली, उसमें काम करने के लिए मना कर दिया था
विदेश में पंकज को गाने की कला से बहुत पॉपुलैरिटी मिली। इसी दौरान एक्टर और प्रोड्यूसर राजेंद्र कुमार ने उनके गानों को सुना और बहुत इंप्रेस हुए। वो चाहते थे कि पंकज एक फिल्म के लिए गाए और कैमियो भी करें। इसके लिए उनके असिस्टेंट ने पंकज से बात की लेकिन उन्होंने मना कर दिया।

इस बात और पंकज के रैवये का जिक्र राजेंद्र कुमार ने उनके भाई मनहर से किया। जब मनहर ने ये बात पंकज को बताई, तब उन्हें बहुत बुरा लगा। उन्होंने राजेंद्र कुमार के असिस्टेंट को कॉल किया और मिलने के लिए मीटिंग फिक्स की। इस मीटिंग के बाद उन्होंने फिल्म नाम में काम किया और गजल ‘चिट्ठी आई है’ को अपनी आवाज दी। ये गजल उनके करियर के बेहतरीन गजलों में से एक है। इस गजल की ऐडिटिंग डेविड धवन ने की थी।

‘चिट्ठी आई है’ गाने को सुन रो पड़े थे राज कपूर
राजेंद्र कुमार और राज कपूर बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन उन्होंने राज कपूर को अपने घर डिनर पर बुलाया। डिनर करने के बाद उन्होंने पंकज उधास की आवाज में राज कपूर को चिट्ठी आई है, गजल सुनाया, तो वो रो पड़े। उन्होंने कहा कि इस गजल से पंकज को बहुत पॉपुलैरिटी मिलेगी और उनसे बेहतर ये गजल कोई दूसरा नहीं गा सकता।

बंदूक की नोक पर सुनाई थी गजल
धीरे-धीरे पंकज को गजल गायकी से प्यार हो गया, जिसके लिए उन्होंने उर्दू सीखी। एक बार वो स्टेज परफॉर्मेंस दे रहे थे, जहां वो पहले ही 4-5 गजल गा चुके थे। तभी एक दर्शक उनके पास आ गया और उसने एक गजल की फरमाइश की। उसका बर्ताव पंकज को सही नहीं लगा और उन्होंने गाने से मना कर दिया। इस बात पर वो आदमी इतना भड़क गया कि उसने पंकज के सामने बंदूक तान दी और गाने के लिए कहा। आदमी की हरकत से पंकज इतना डर गए कि उन्होंने उसकी फरमाइश की गजल गाई।

मुस्लिम लड़की से शादी करने पर घरवालों को नहीं थी आपत्ति
पंकज ने 11 फरवरी 1982 को फरीदा से शादी की थी। एक कॉमन फ्रेंड की शादी में दोनों की मुलाकात हुई थी। पंकज को पहली नजर में ही फरीदा पसंद आ गई थीं। उस वक्त वो ग्रेजुएशन कर रहे थे और फरीदा एयर होस्टेस थीं। पहले दोनों में दोस्ती हुई, फिर प्यार। दोनों शादी करना चाहते थे। पंकज के परिवार वालों को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था।

तस्वीर में पत्नी फरीदा के साथ पंकज उधास।

तस्वीर में पत्नी फरीदा के साथ पंकज उधास।

जब फरीदा ने इस रिश्ते की बात अपने परिवार को बताई, तो उन्हें ये रिश्ता मंजूर नहीं था। वो दूसरे धर्म में अपनी लड़की की शादी नहीं कराना चाहते थे। फरीदा के कहने पर पंकज उनके घर गए और उनके पिता से अपने रिश्ते की बात की। फरीदा के पिता रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर थे, इस वजह से पंकज बहुत डरे हुए थे, लेकिन उन्होंने अपनी बातों से उनका दिल जीत लिया। फरीदा के पिता दोनों की शादी के लिए मान गए। जिसके बाद दोनों की शादी हुई। दोनों की दो बेटियां नायाब और रेवा हैं।

2006 में पंकज उधास को पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

2006 में पंकज उधास को पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

खबर लगातार अपडेट हो रही है…

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!