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गर्दन पर सिर के बराबर गांठ, डॉक्टरों ने निकाली:डॉक्टर बोले- 10 साल तक झांड़-फूंक के चक्कर में रहा मरीज, दिमाग से चिपक सकती थी गांठ

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गर्दन पर सिर के बराबर गांठ, डॉक्टरों ने निकाली:डॉक्टर बोले- 10 साल तक झांड़-फूंक के चक्कर में रहा मरीज, दिमाग से चिपक सकती थी गांठ

जोधपुर के मथुरादास माथुर हॉस्पिटल में 39 साल के युवक के गर्दन पर सिर के बराबर बनी गांठ का मंगलवार को ऑपरेशन किया गया। दूर से देखने पर यह दो सिर वाला आदमी नजर आता था। 15 साल से यह गांठ बढ़ती जा रही थी और शरीर के दूसरे हिस्सों को भी खराब कर रही थी।

सर्जिकल आउटडोर में एसोसिएट प्रोफेसर व यूनिट प्रभारी डॉ. दिनेश दत्त शर्मा की टीम ने 3 घंटे ऑपरेशन कर इस गांठ को निकाला है। उन्होंने बताया कि यह गांठ दिमाग से चिपकने वाली थी। डॉक्टर ने बताया कि मरीज करीब 10 साल तक झांड़-फूंक के चक्कर में रहा। इससे चलने फिरने तक में तकलीफ होने लगी थी। करीब 6 महीने पहले वह हॉस्पिटल में आया था, तब इलाज शुरू किया।

गर्दन पर सिर के बराबर हो गई थी गांठ।

गर्दन पर सिर के बराबर हो गई थी गांठ।

चलने-फिरने और सोने में आती थी दिक्कत
डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि आउटडोर में एक 39 साल का युवक आया था। उसके गर्दन पर सिर के आकार की गांठ 20 गुणा 15 सेंटीमीटर साइज में थी। गांठ का आकार बढ़ने पर मरीज के गर्दन में दर्द और हाथ सुन्न होने की शिकायत होने लगी थी। चलने-फिरने और सोने में भी दिक्कत होने लगी थी। शारीरिक विकृति के कारण मरीज परेशान और अवसाद में रहता था।

10 साल तक झाड़-फूंक में रह गया युवक
मरीज ने डॉक्टरों को बताया था कि मरीज शुरुआत में झाड़-फूंक और भोपों के चक्कर में पड़ गया था। 10 साल तक ऐसे ही इलाज कराता रहा और गांठ बढ़ती रही। उसके बाद डॉक्टरों के पास पहुंचा।

अलग तरह का ट्यूमर, धीरे-धीरे बढ़ता जाता है
डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि मरीज की जांच करने पर पता लगा कि मरीज के गर्दन के पीछे एक विशेष प्रकार का ट्यूमर जिसे मिजेन्काईमल ट्यूमर कहा जाता है। ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ने पर स्कल (खोपड़ी) की आउटर टेबल को भी नष्ट करना शुरू कर दिया था और इनर टेबल तक पहुंच चुका था। दबाव की वजह से इस गांठ ने ओसिपिटल बोन को भी 4 सेंटीमीटर तक नष्ट कर दिया था।

जोधपुर का मथुरादास माथुर हॉस्पिटल।

जोधपुर का मथुरादास माथुर हॉस्पिटल।

काफी चैलेंज वाला ऑपरेशन, दिमाग से चिपक जाती है गांठ
डॉक्टरों ने बताया कि इस प्रकार का ऑपरेशन काफी चैलेंजिंग होता है क्योंकि ब्लड सप्लाई ज्यादा होती है। इस प्रकार की गांठ दिमाग से भी चिपक जाती है जिसे अलग करना काफी मुश्किल होता है।

आयुष्मान आरोग्य योजना में हुआ ऑपरेशन
अस्पताल अधीक्षक डॉ.नवीन किशोरिया ने बताया कि ऑपरेशन आयुष्मान आरोग्य योजना में फ्री किया गया है। मरीज अब बिल्कुल स्वस्थ है। गर्दन में दर्द और हाथों में सुन्नपन से राहत मिली है। वह आराम से चल-फिर रहा है।

इस टीम ने किया ऑपरेशन
ऑपरेशन करने वाली टीम में यूनिट प्रभारी डॉ. दिनेश दत्त शर्मा के साथ डॉ. अंशुल, डॉ. राकेश और बेहोशी की टीम में डॉ. गीता सिंगारिया के साथ डॉ. गायत्री तंवर, डॉ. दिनेश, डॉ. आभास इत्यादि थे। इसके अलावा नर्सिंग टीम में वरुण विकास जी के साथ, रेखा पंवार, समेर सिंह राजपुरोहित व वीरेंद्र पुरी का योगदान रहा।

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