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गहलोत-पायलट, धारीवाल जैसे दिग्गज लड़ेंगे लोकसभा चुनाव?:2 बार से एक भी सीट नहीं जीती कांग्रेस आधी सीटों पर बदल सकती है प्रत्याशी, ड्राफ्ट पैनल तैयार

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गहलोत-पायलट, धारीवाल जैसे दिग्गज लड़ेंगे लोकसभा चुनाव?:2 बार से एक भी सीट नहीं जीती कांग्रेस आधी सीटों पर बदल सकती है प्रत्याशी, ड्राफ्ट पैनल तैयार

क्या पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जैसे दिग्गज नेताओं को कांग्रेस लोकसभा चुनाव लड़वाएगी?

ये सवाल उठ रहा है कि क्योंकि 2 बार से राज्य की सभी 25 सीटें हार रही कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव से 4 महीने पहले ही उम्मीदवार तय करने पर काम शुरू कर दिया है। दावा है कि समय से पहले उम्मीदवार घोषित कर दिए जाएंगे।

इस बार सीनियर नेताओं और विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़ाने का सुझाव दिया गया है। ऐसे में आधी सीटों पर नए उम्मीदवार उतारने की संभावना है।

राजस्थान में फिलहाल सभी 25 सीटों पर पैनल बनाया जा रहा है। पहले राउंड में ड्राफ्ट पैनल तैयार किया गया है, जिस पर बैठकों में लगातार मंथन चल रहा है।

गहलोत-पायलट और डोटासरा जैसे दिग्गजों को सांसद का चुनाव लड़वाने की बात तो कही जा रही है, लेकिन खुद उनकी इच्छा पर भी निर्भर करेगा कि वे चुनाव लड़ना चाहते हैं या नहीं।

गहलोत-पायलट और डोटासरा जैसे दिग्गजों को सांसद का चुनाव लड़वाने की बात तो कही जा रही है, लेकिन खुद उनकी इच्छा पर भी निर्भर करेगा कि वे चुनाव लड़ना चाहते हैं या नहीं।

वन-टू-वन फीडबैक में आया था सुझाव

स्क्रीनिंग कमेटी के साथ वन-टू-वन फीडबैक में कई नेताओं ने यह सुझाव दिया है कि ज्यादा से ज्यादा विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़वाना चाहिए।

इसके साथ ही अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा, हरीश चौधरी, भंवर जितेंद्र सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी लोकसभा चुनाव लड़ाने का सुझाव दिया गया है।

इस सुझाव पर फिलहाल मंथन चल रहा है, लेकिन बड़े नेताओं के मामले में उनकी इच्छा पर निर्भर करेगा कि वे चुनाव लड़ते हैं या नहीं। इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

10 से 12 सीटों पर दिग्गजों को लोकसभा चुनाव लड़ाने पर विचार

कांग्रेस में इस बार बड़ी संख्या में विधायकों को लोकसभा चुनाव में टिकट देने की रणनीति पर विचार किया जा रहा है। अब तक की चर्चा के अनुसार दर्जन भर सीटों पर विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़ाने की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है।

फिलहाल यह सब शुरुआती डिस्कशन का हिस्सा है, लेकिन उम्मीदवारों के ड्राफ्ट पैनल में विधायकों के नाम भी हैं।

प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़ाने के संकेत देते हुए कहा था कि जब बीजेपी विधानसभा चुनावों में सांसदों को उतारकर हरवा सकती है तो हमारे तो विनिंग कैंडिडेट्स हैं।

कांग्रेस को कई सीटों पर मजबूत उम्मीदवारों का संकट

आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस के सामने मजबूत उम्मीदवार तलाशना बड़ी चुनौती बना हुआ है। जयपुर ग्रामीण, जयपुर शहर, अजमेर, नागौर, भरतपुर सीटों पर मजबूत उम्मीदवार तलाशना चुनौती बना हुआ है।

इनमें से चार सीटें तो ऐसी हैं, जहां पिछली बार लोकसभा लड़ चुके नेता पार्टी छोड़ गए। जयपुर से कांग्रेस उम्मीदवार रहीं ज्योति खंडेलवाल, नागौर से उम्मीदवार रहीं डॉ. ज्योति मिर्धा, सीकर से उम्मीदवार रहे सुभाष महरिया बीजेपी में जा चुके हैं।

इनके अलावा अजमेर से उम्मीदवार रहे रिजु झुन्झुनवाला कांग्रेस छोड़ चुके हैं। इनमें से ज्योति मिर्धा और महरिया ने बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।

लोकसभा में 2018 का विधानसभा चुनाव वाला पैटर्न अपनाने का सुझाव

2018 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत, सीपी जोशी सहित कई सीनियर नेताओं के चुनाव लड़ने को लेकर शुरू में तस्वीर साफ नहीं थी।

बाद में पार्टी ने फैसला किया था कि सभी सीनियर नेता चुनाव लड़ेंगे। फैसले के बाद ज्यादातर सीनियर नेताओं को टिकट दिए और अधिकांश जीते थे।

अब पार्टी के नेताओं के एक वर्ग ने सुझाव दिया है कि सीनियर नेताओं के चुनाव लड़ने से परसेप्शन के मोर्चे पर फायदा होने की संभावना है। बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने से दूसरी कमजोर सीटों पर फोकस करने में आसानी हो सकती है।

दूसरी तरफ नेताओं के एक वर्ग का यह भी मानना है कि सभी सीनियर नेताओं के चुनाव लड़ने से चुनाव अभियान और रणनीति बनाने का काम प्रभावित होगा। ऐसे में सभी सीनियर नेताओं की जगह चुनिंदा जिताऊ चेहरों को ही लोकसभा लड़ाने का भी सुझाव दिया गया है।

शांति धारीवाल को कोटा से सांसद का चुनाव लड़वाने की संभावना जताई जा रही है। इसी तरह प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा को भी चुनाव लड़वाने का सुझाव है।

शांति धारीवाल को कोटा से सांसद का चुनाव लड़वाने की संभावना जताई जा रही है। इसी तरह प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा को भी चुनाव लड़वाने का सुझाव है।

मुस्लिम उम्मीदवार को लेकर असमंजस, सियासी गोलबंदी का डर

कांग्रेस में इस बार मुस्लिम उम्मीदवार को लेकर असमंजस बना हुआ है। पार्टी कम से कम एक सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती रही है।

चूरू सीट पर लगातार तीन बार से माइनोरिटी उम्मीदवार उतारा जा रहा है, लेकिन पार्टी जीती नहीं। इस बार चूरू से माइनोरिटी की जगह दूसरे उम्मीदवार को उतारने का सुझाव दिया गया है।

पहले झुंझुनूं, टोंक-सवाईमाधोपुर सीटों पर भी मुस्लिम उतारे गए थे। कैप्टन अयूब खान के अलावा लंबे समय से मुस्लिम माइनोरिटी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया।

मुस्लिम नेता चूरू के अलावा जयपुर, झुंझुनूं सीटों पर भी दावेदारी कर रहे हैं। जयपुर सीट से विधायक रफीक खान के नाम का सुझाव दिया गया है।

मुस्लिम उम्मीदवार उतारे जाने पर पार्टी का एक वर्ग यह भी आशंका जता रहा है कि इससे गोलबंदी होने से बाकी वोटों का नुकसान हो सकता है।

पिछली बार दो विधायकों को टिकट दिया था

कांग्रस ने पिछली बार दो विधायकों को लोकसभा चुनाव में टिकट दिया था। सादुलपुर से विधायक कृष्णा पूनिया को जयपुर ग्रामीण से और पीपल्दा से विधायक रामनारायण मीणा को कोटा से लोकसभा का टिकट दिया था।

इसके अलावा बाड़मेर से मानवेंद्र सिंह को टिकट दिया था। वे झालरापाटन से वसुंधरा राजे के सामने विधानसभा चुनाव हारे थे।

आधी से ज्यादा सीटों पर चेहरे बदलने की संभावना, क्योंकि 2 बार लोकसभा चुनावों में खाता नहीं खुला।

कांग्रेस राजस्थान में लगातार दो बार से लोकसभा की सभी 25 सीटें हार रही है। इस बार कांग्रेस आधी से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार बदलने की तैयारी में है।

हर सीट पर विधानसभा के रिजल्ट और क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से उम्मीदवारों के पैनल तैयार किए जा रहे हैं। कांग्रेस में पिछली बार के चार उम्मीदवार पार्टी छोड़ चुके इसलिए उन सीटों पर नए चेहरे आएंगे।

इसके अलावा दर्जन भर सीटों पर नए उम्मीदवार उतारे जाने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।

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