‘गांधी जी को चुनौती देने का साहस था,’ किस घटना का जिक्र कर डोभाल ने सुभाष चंद्र बोस के लिए कही यह बात?
एनएसए अजीत डोभाल ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की है। उन्हीं में से एक साहस भी था। डोभाल ने कहा कि नेताजी के पास गांधी को उस समय चैलेंज करने की हिम्मत थी जब वह अपने शिखर पर थे। कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना उसका नमूना था।
हाइलाइट्स
- एनएनएस अजीत डोभाल ने की नेताजी की जमकर तारीफ
- बोले- सुभाष चंद्र बोस के पास गांधी जी को चुनौती देने का साहस था
- आईसीएस का पद ठुकराकर वापस लौट आना भी इसका था सबूत
नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जमकर तारीफ की है। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी कई बातें बताईं। इस दौरान उन्होंने नेताजी के व्यक्तित्व के बारे में भी चर्चा की। डोभाल ने साहस को सुभाष के व्यक्तित्व का एक बड़ा पहलू बताया। उन्होंने कहा कि नेताजी के पास महात्मा गांधी को चुनौती देने की हिम्मत थी। वह भी उस वक्त जब गांधी जी शीर्ष नेता होते हुआ करते थे। बहुत छोटे से पॉलिटिकल करियर में नेताजी ने जबर्दस्त चीजें कर दिखाईं।
डोभाल दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए यह सब बोल रहे थे। इस दौरान एनएस ने नेताजी के बारे में कई बातें बोलीं। उन्होंने कहा कि नेताजी सिर्फ देश को राजनीतिक पराधीनता से मुक्त कराना नहीं चाहते थे। अलबत्ता, लोगों की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता को भी बदलना चाहते थे।
कूटकूटकर भरी थी देशभक्ति
डोभाल ने कहा कि जब 1928 में लोगों में बात होने लगी कि आजादी के लिए कौन लड़ेगा, तो बोस आगे आए। उन्होंने कहा कि मैं अपने देश के लिए लड़ूगा। वह बोले कि लोगों की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता बदलने की जरूरत है। उन्हें स्वतंत्र पक्षियों की तरह महसूस करने की जरूरत है।
गांधी जी को चुनौती देने का रखते थे साहस
एनएसए ने सुभाष के व्यक्तित्व से जुड़ी एक और बात पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि वह बेदह साहसी थे। आईसीएस की परीक्षा पास करने के बाद जब लंदन में सुभाष से पूछा गया कि उनके लिए सबसे अहम चीज क्या है तो उनका जवाब था – मेरा राष्ट्रवाद। सुभाष चंद्र बोस ने तब आईसीएस का पद ठुकरा दिया था। वह इस्तीफा देकर भारत वापस लौट आए थे।
डोभाल ने कहा कि सुभाष के पास गांधी को चुनौती देने का साहस था। जब गांधी अपने शीर्ष पर थे तब वह उन्हें चैलेंज करने की ताकत रखते थे। 1939 में सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में महात्मा गांधी के कैंडिडेट पट्टाभि सीता रमैया को हरा दिया था। वह कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए थे। बोस की जीत पर गांधी ने बोला था कि सीता रमैया की हार उनकी हार है। इसके कुछ समय बाद बोस ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
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