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गैंग में युवाओं की एंट्री, सोशल मीडिया पर जाति का दिखावा, क्यों वोटरों की टेंशन बढ़ा रहे ये मुद्दे

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गैंग में युवाओं की एंट्री, सोशल मीडिया पर जाति का दिखावा, क्यों वोटरों की टेंशन बढ़ा रहे ये मुद्दे

राजस्थान के सीकर जिले में विधानसभा चुनाव के दौरान युवाओं के गैंग में शामिल होने और सोशल मीडिया पर जाति का दिखावा करने की चिंताएं बढ़ रही हैं। युवा गैंग अपराधिक गतिविधियों, धमकी देने और शराब की तस्करी में शामिल हैं। उनकी संख्या बढ़ रही है और पुलिस सतर्क है।

सीकर: राजस्थान विधानसभा चुनाव जोरों पर हैं। इस चुनाव में युवाओं के गैंग में शामिल होने, सोशल मीडिया पर जाति का दिखावा सहित कई चिंताएं भी दिख रही हैं। प्रिंस सिंह (बदला हुआ नाम) के इंस्टाग्राम पर 5 हजार फॉलोअर्स हैं। वह आए दिन बंदूक लहराते हुए सोशल मीडिया पर अपने रील्स अपलोड करते हैं। प्रिंस की रील्स के बैकग्राउंड में बॉलीवुड फिल्मों के डायलॉग के साथ उसे एक खास जाति के नायक के रूप में पेश करती है। प्रिंस अपने समुदाय में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए हर दूसरे पोस्ट में अपनी जाति को बताना नहीं भूलता है।

सीकर की रींगस तहसील के एक साधारण गांव के निवासी प्रिंस सिंह ने बताया कि ‘मेरे पिता ने मुझे दो साल पहले स्कूल से निकाल दिया था। तब मैं एक गिरोह में शामिल हो गया। मेरे गैंग के सीनियर साथी, मुझे काम के लिए 20 हजार रुपये प्रति महीने भत्ता और अतिरिक्त भुगतान करते हैं। इसमें जबरन वसूली, धमकी देना और गुजरात में शराब की तस्करी शामिल है। मेरा मेरे समुदाय में सम्मान है।’

ऑर्गनाइज्ड क्राइम वाले गैंग में शामिल हो रहे युवा

प्रिंस सिंह की तरह बड़ी संख्या में युवा, ज्यादातर किशोर, अपनी मर्जी से आपराधिक गतिविधियों और ऑर्गनाइज्ड क्राइम में लगे गैंग में शामिल हो गए हैं। पिछले एक दशक में इनकी संख्या बढ़ रही है। युवाओं के गैंग की ओर झुकाव ने जिला पुलिस को सतर्क कर दिया है।


गैंगस्टर रोहित गोदारा का महिमामंडन करने और उसकी पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में हाल ही में दांता रामगढ़ तहसील के तीन किशोरों को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार तीनों किशोर की सोशल मीडिया पर स्थानीय राजनेताओं के साथ तस्वीरें हैं। उन्होंने अपने गैंग का नाम एक ब्लॉकबस्टर कन्नड़ फिल्म के नाम पर ‘केजीएफ’ रखा था। इन्होंने कथित तौर पर एक दुकानदार को बंदूक दिखाकर धमकी देते हुए रंगदारी मांगी थी। तभी से ये लोग पुलिस के रडार पर थे।

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ऑर्गनाइज्ड क्राइम में कुख्यात हो रहा सीकर

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, युवाओं को क्राइम की ओर खींचने का काम सोशल मीडिया करती है। अपराधी हथियार और बड़ी-बड़ी गाड़ियों संग अपने फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। युवाओं के अंदर भी इन पोस्ट को देखकर अपना रौब दिखाने की इच्छा होती है। अभी युवाओं के क्राइम का उभरता हुआ सेंटर सीकर है। सीकर, ऑर्गनाइज्ड क्राइम गैंग के अलावा, शराब, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के लिए भी कुख्यात हो गया है।

कोचिंग सेंटरों के मालिक और स्कूलों और कॉलेजों के मालिक इन गिरोहों के प्रमुख निशाने पर हैं। यहां तक कि किराने की दुकान के मालिकों को भी कुछ हजार रुपये की मांग के लिए फोन आते हैं।

राजवीर सिंह, व्यवसायी

सीकर में 15 साल में गैंगवार में 18 हत्याएं

पिछले 20 वर्षों में कई गैंगस्टर युवाओं के आदर्श बनकर उभरे हैं। स्थानीय पुलिस के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में सीकर जिले में गैंगवार के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में 18 हत्याएं हुई हैं। चूंकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, इसलिए संबंधित नागरिकों और व्यवसायियों के संगठन इस मुद्दे को उठा रहे हैं। जाहिर है, नागरिक समाज अपराधियों और राजनीतिक वर्ग के बीच गहरे गठजोड़ से चिंतित है।

‘जिले की सभी पार्टियों में जुड़े युवा गैंग’

सीकर के एक व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘सीकर जिले की सभी प्रमुख पार्टियों में युवा गैंग हैं, जो व्यापारियों को चुनावी चंदा देने के लिए मजबूर करते हैं। इस मुद्दे पर पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत करने के बावजूद कुछ भी नहीं बदला है।’ जिला पुलिस को लिखे एक पत्र में, व्यापारिक समुदाय ने हाल ही में बताया कि जबरन वसूली के मामले बढ़ रहे हैं।

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