
बीकानेर । पूर्व सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी ने गुरूवार को मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर राजस्थान में गाय और गोचर, ओरण का संरक्षण करने के लिए बहुत समय से संघर्ष चल रहा है। वर्तमान स्थिति में पूर्ववर्ती सरकारों ने राजस्थान की गोचर, ओरण पर अतिक्रमण करके उसे खुर्द-बुर्द करने की चेष्टा की, उसे लेकर बहुत से संगठन आन्दोलन कर रहे है। राजस्थान के गोचर, ओरण पर हर जगह अतिक्रमण हो रहा है ओर माननीय उच्च न्यायालय ने सभी अतिक्रमण हटाने के आदेश दे रखे हैं परन्तु अतिक्रमण अभी तक नहीं हटाए गए। इस कारण से कई ग्राम क्षेत्रों में व शहरी क्षेत्रों में गोचर समाप्त प्राय हो चुकी है। भाटी ने पत्र में लिखा कि यदि इसी तरह गोचर, ओरण पर अतिक्रमण चलते रहे और सरकार ने उस पर उचित निर्णय नहीं लिया तो भविष्य में गोचर, ओरण समाप्त हो जाएगी और गोचर, ओरण समाप्त होने से जो हमारा पर्यावरण संतुलन है, जैव संतुलन है, वह भी समाप्ति के कगार पर पहुंच जाएगा।
भाटी ने मुख्यमंत्री से निम्न बिन्दुओं के अनुसार गोचर, ओरण को संरक्षण प्रदान किया जावे तो जैव विविधता, पर्यावरण और स्वास्थ्य को बचाया जा सकता है:-
- राज्य सरकार अति शीघ्र राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 के अन्तर्गत बनाए गए राजस्थान काश्तकारी नियम 7 के प्रावधान के अन्तर्गत गोचर भूमियों को अन्य प्रयोजन के लिए आवंटित किया जाता है जिसे हटाना चाहिए ताकि प्रत्येक कार्य के लिए गोचर भूमि का उपयोग करने से रोका जा सके। गोचर भूमि के संरक्षण के लिए नियम 7 को निरस्त करके गोचर, ओरण को संरक्षण प्रदान करें।
- राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 16 के अन्तर्गत ऐसी भूमि को रखा गया है, जिसे आवंटित नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार गोचर, ओरण, देवबणी भूमि को पूर्ण प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया जावें। इसे भी आवंटित नहीं किया जा सके, इसलिए गोचर, ओरण आदि भूमि को भी धारा 16 की सूचि में जोड़ा जावें ।
- राजस्थान सरकार भू-राजस्व अधिनियम 1956 में गोचर, ओरण भूमि के आवंटन से संबंधित सभी तरह के प्रावधान को हटाया जावें। इस अधिनियम की धारा 92 एवं 103 के अन्तर्गत गोचर, ओरण भूमि को “सेट-ए-पार्ट” के प्रावधान को हटाना चाहिए जिससे गोचर, ओरण भूमि को बचाया जा सके ।
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