चीन की रहस्यमयी बीमारी के भारत में मरीज नहीं:सरकार ने मीडिया रिपोर्ट्स को झूठा बताया, कहा-सारे केस साधारण निमोनिया के हैं
चीन की राजधानी बीजिंग के कैपिटल इंस्टिट्यूट ऑफ पीडिएट्रिक अस्पताल में रहस्यमय बीमारी के केस बढ़ने के बाद इलाज के लिए भीड़ लगी हुई है। (फुटेज क्रेडिट- न्यूयॉर्क टाइम्स)
चीन की रहस्यमयी बीमारी के मरीज भारत में भी मिलने के दावों का सरकार ने झूठा बताया है। सरकार ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा है कि AIIMS दिल्ली से मिले सभी मामले साधारण निमोनिया के हैं। इनका चीन की बीमारी से कोई ताल्लुक नहीं है। जनवरी 2023 से AIIMS के माइक्रो बायोलॉजी डिपार्टमेंट में 611 सैंपलों की जांच हुई है इनमें से किसी में भी माइको प्लाजमा निमोनिया डिटेक्ट नहीं हुआ है। हेल्थ मिनिस्ट्री इस पर नजर बनाए हुए है।
इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि AIIMS से चीन की रहस्यमयी बीमारी के 7 मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भारत में ये मरीज अप्रैल से सितंबर के बीच मिले थे। यानी चीन से पहले भारत में ये बीमारी आ चुकी थी। दरअसल, चीन में पहली बार अक्टूबर में माइकोप्लाज्मा निमोनिया के मरीज मिलने शुरू हुए थे। 23 नवंबर को पहली बार चीनी मीडिया ने स्कूलों में एक रहस्यमयी बीमारी फैलने की बात कही थी।
पीड़ित बच्चों में फेफड़ों में जलन, तेज बुखार, खांसी और जुकाम जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। वहीं, भारतीय हेल्थ मिनिस्ट्री ने 10 दिन पहले इस बीमारी को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की थी।
PCR टेस्ट के जरिए डिटेक्ट हुई बीमारी
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि लांसेंट माइक्रोब में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में मिले एक केस को PCR टेस्ट के जरिए डिटेक्ट किया गया था। PCR टेस्ट इंफेक्शन की शुरुआती स्टेज में किया जाता है। जबकि बाकी 6 मामले IgM एलिसा टेस्ट के जरिए डिटेक्ट किए गए थे। ये एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है। जो इंफेक्शन की बाद की स्टेज पर किया जाता है।
दिल्ली AIIMS उस ग्लोबल कंसोर्टियम का हिस्सा है जो माइकोप्लाजमा निमोनिया को मोनिटर कर रहा है। वहीं, NIMS जयपुर की डॉक्टर रामा चौधरी के मुताबिक इस बैक्टीरिया की वजह से होने वाला निमोनिया हल्के लक्षणों वाला होता है। इसलिए इसे वॉकिंग निमोनिया कहा जाता है। हालांकि, ये गंभीर हो सकता है।
1200 मरीज हर दिन इमरजेंसी में भर्ती हो रहे
रहस्यमयी बीमारी के चलते चीन की राजधानी बीजिंग और उसके 500 मील (करीब 800 किमी) के दायरे में सभी अस्पताल मरीजों से भर गए हैं। अलजजीरा के मुताबिक, बीजिंग के एक अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित करीब 1200 मरीज हर दिन इमरजेंसी में भर्ती हो रहे हैं।
वहीं, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने बताया कि चीन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांस से जुड़ी एक बीमारी फैलने की जानकारी दी थी।
स्वीडन के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राम शंकर उपाध्याय ने बताया कि आखिर ये बीमारी है क्या और भारत में इससे कितना खतरा है?
चीन में फैल रही सांस की बीमारी क्या है? क्या इस बीमारी का कोई नाम है?
चीन कोरोना की तरह ही इस बीमारी को लेकर भी डेटा रिलीज नहीं कर रहा है। WHO कई बार चीन सरकार से इस बीमारी के बारे में पूछ चुका है। चीनी ऑफिशियल अथॉरिटी इस बीमारी को मिस्टीरियस निमोनिया बता रही है। कुछ लोग इसे वॉकिंग निमोनिया भी कह रहे हैं। एक तरह से चीन में फैल रही बीमारी को निमोनिया बताया जा रहा है। ये बीमारी बैक्टीरियल इन्फेक्शन के जरिए फैलती है। इस बैक्टीरिया को माइको प्लाज्मा निमोनिया बैक्टीरिया कहते हैं।
क्या चीन में फैल रही बीमारी सामान्य निमोनिया ही है?
चीन की हेल्थ अथॉरिटी का कहना है कि ये सामान्य निमोनिया बीमारी ही है। नई बीमारी या दूसरे बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण नहीं है। हालांकि, 15 नवंबर 2023 को प्रो-मेड नाम के एक सर्विलांस प्लेटफॉर्म ने चीन में निमोनिया को लेकर दुनियाभर में अलर्ट जारी किया है।इसी संस्था ने 2019 में भी कोरोना को लेकर भी अलर्ट जारी किया था।
इस संस्था का कहना है कि एक दिन में 13 हजार बच्चे बीजिंग के अस्पतालों में भर्ती हुए हैं। 7 हजार से ज्यादा बच्चे हर रोज अस्पताल में आ रहे हैं। ये सब कुछ 2019 के कोरोना जैसे हालात की याद दिला रहा है। ये सब कुछ देखकर ऐसा नहीं लगता है कि ये सिर्फ सामान्य निमोनिया है।
बीमार बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए WHO ने चीन से बीमारी से जुड़ा डेटा मांगा है।
क्या ये सिर्फ बच्चों में फैलने वाली बीमारी है या किसी को भी हो सकती है?
बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, इसलिए ये बीमारी बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है। इसका मतलब ये नहीं है कि ये सिर्फ बच्चों में फैलने वाली बीमारी है। जिसकी भी इम्यूनिटी कमजोर होगी, ये बीमारी उसे अपना शिकार बनाएगी।चीन में फैल रही इस बीमारी के लक्षण क्या हैं?जवाब: इस बीमारी के चपेट में आने पर ज्यादातर ये लक्षण दिखते हैं…
- खांसी
- गले में दर्द या खराश
- बुखार
- फेफड़े में सूजन
- सांस नली में सूजन
क्या चीन की ये बीमारी संक्रामक है और एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकती है?
ये बीमारी एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलती है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज के संपर्क में आने से ये बीमारी फैलती है। यही वजह है कि इस बीमारी के फैलने की संभावना बढ़ रही है।
क्या चीन में फैल रही ये बीमारी भारत या दूसरे देशों में भी फैल सकती है?
अगर हम चीन का ही उदाहरण लें तो वहां के काफी हिस्सों में ये बीमारी फैल चुकी है। खासकर वहां के उत्तरी इलाके में इसका काफी ज्यादा असर है।कुछ मामले चीन के पड़ोसी देश वियतनाम से भी सामने आए हैं। ये साफ दिख रहा है कि बीमारी फैल रही है। ऐसे में इन संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दूसरे देशों में भी ये बीमारी फैल सकती है।ये भारत में भी फैल सकती है। भारत को इसे लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।
चीन की ये बीमारी सामान्य निमोनिया नहीं तो क्या है और कोरोना से इसका क्या कनेक्शन है?
जब किसी को निमोनिया होता है तो उसमें कफ भी डेवलप होता है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि चीन के रहस्यमयी निमोनिया में बच्चों में कफ नहीं बन रहा है। उनके चेस्ट के एक्स रे में उनके लंग्स पर नोड्यूल यानी एक तरह के गोल चकत्ते दिखाई दे रहे हैं। इन्हें पल्मोनरी नोड्यूल कहते हैं। जिस तरह के नोड्यूल बन रहे हैं वो ज्यादातर बैक्टीरियल इन्फेक्शन में बनते हैं, वायरल इन्फेक्शन में ऐसा नहीं होता है।
बीमारी से पीड़ित बच्चों को देखकर लग रहा है कि उनमें सिर्फ माइको प्लाज्मा निमोनिया का ही केस नहीं, बल्कि कोई वायरल इन्फेक्शन भी है। एक साथ उनमें बैक्टीरिया और वायरस दोनों का इन्फेक्शन है। इसे को-इन्फेक्शन या क्रॉस इन्फेक्शन कहते हैं। अगर ऐसा है तो काफी गंभीर है क्योंकि ऐसे कई केस में तो दवाइयां तक काम नहीं करती हैं।
बच्चों में सिर्फ माइको प्लाज्मा निमोनिया होता तो उसके लिए दवाइयां हैं। चीन में बच्चों पर दवाइयां काम करती तो स्थिति कंट्रोल में होती। चीन ने भी इस बात को स्वीकार किया है। चीन ने बताया है कि ये कई पैथोजन यानी रोगाणुओं से फैलने वाली बीमारी है।
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