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जंग और व्यापार, दोनों पर बड़ी पकड़: भारत ने बनाया सबसे बड़ा नेवी बेस; क्यों जल-भुन रहा पाकिस्तान ?

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BY SAHIL PATHAN

जंग और व्यापार, दोनों पर बड़ी पकड़: भारत ने बनाया सबसे बड़ा नेवी बेस; क्यों जल-भुन रहा पाकिस्तान?

INS Kadamba: नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने 9 अप्रैल को ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स (ओपीवी) के लिए 350 मीटर लंबे प्रमुख घाट और नौसेना बेस कारवार में एक आवासीय परिसर का भी उद्घाटन किया है।

जंग और व्यापार, दोनों पर बड़ी पकड़: भारत ने बनाया सबसे बड़ा नेवी बेस; क्यों जल-भुन रहा पाकिस्तान?

ईरान-पाकिस्तान और ईरान-इजरायल के बीच चल रहे तनातनी के बीच भारत ने अरब सागर में पाकिस्तान के ठीक बगल में सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा तैयार किया है। यह स्वेज नहर के पूरब में अरब सागर में अब तक का सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक अड्डा है, जहां भारतीय नौसेना के सबसे बड़े युद्धपोत 44500 टन भार वाले INS विक्रमादित्य को खड़ा किया जा सकता है। यह भारत के पश्चिमी समुद्री तट पर कर्नाटक के कारवार में स्थित है, जो देश के तीन बड़े नेवी बेस में सबसे बड़ा है। 

इसे INS कदंबा या कारवार बेस या प्रोजेक्ट सीबर्ड कहा जाता है। इस नौसेनिक अड्डे पर भारत की पहली शिप-लिफ्ट सुविधा है, जो डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए पनडुब्बियों और युद्धपोतों को शिप-लिफ्ट करेगी। पाकिस्तान के करीब स्थित यह अड्डा वर्जीनिया में अमेरिकी नौसेना के विशाल नॉरफ़ॉक नौसैनिक अड्डे के जैसा ही है। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने 9 अप्रैल को ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स (ओपीवी) के लिए 350 मीटर लंबे प्रमुख घाट और नौसेना बेस कारवार में एक आवासीय परिसर का भी उद्घाटन किया है।

क्या है खासियत
आईएनएस कदंबा या कारवार अड्डा नौसेना द्वारा विशेष रूप से नियंत्रित बंदरगाह है। यह नौसेना को व्यापारिक जहाजों की आवाजाही की चिंता किए बिना अपने परिचालन बेड़े की स्थिति और संचालन की अनुमति देता है। इस नेवी बेस पर कुल तीन एयरक्राफ्टर कैरियर हैं। यहां 32 पनडुब्बियां और 50 जंगी जहाज को डॉक किया जा सकेगा। इसके अलावा यहां पर 23 यार्डक्राफ्ट होंगे। 

इस नौसैनिक अड्डे पर एयर स्टेशन, नौसैनिक डॉकयार्ड, 4 कवर्ड ड्राई बर्थ और 400 बेड के अस्पताल की भी सुविधा है। इसके अलावा यहां सैनिक एयर स्टेशन बनाया जा रहा है ताकि यहां पर हेलिकॉप्टर्स, मानवरहित एरियल व्हीकल, ड्रोन्स और मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट खड़े हो सकें। इसके अलावा यहां पर सिविल टर्मिनल भी बनाया जा रहा है। इस नौसैनिक अड्डे पर जंगी जहाजों,पनडुब्बियों और अन्य सैन्य साजो सामान को डॉक करने के अलावा उसकी मरम्मति भी की जा सकेगी।

पाक क्यों बेचैन?
INS कदंबा की शुरुआत 2005 में हुई थी लेकिन इसकी जरूरत 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय ही महसूस की गई थी। उस वक्त मुंबई हार्बर पर काफी भीड़ थी, जिसकी वजह से सेना को सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। अब यह पाकिस्तान के सबसे निकट नौसैनिक बेस है लेकिन उसके सभी फाइटर जेट विमानों की रेंज से दूर है। युद्ध की स्थिति में इस नौसैनिक अड्डे से फाइटर जेट आसामी से उड़ान भर सकेंगे और पाकिस्तान को अपनी जद में ले सकेंगे। इसके अलावा अरब सागर में भी पाकिस्तान भारतीय नौसेना के गुप्त युद्धपोत, विध्वंसक पोत और पनडुब्बियों की चपेट में आ सकता है, जो पहले से ही इस बेस पर तैनात होंगे।

इस नेवी बेस के पास समंदर की गहराई भी अच्छी और जमीन भी उपलब्ध है, जहां इसका विस्तार हो सकता है। इसके अलावा इस बेस की खासियत यह है कि यह दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्ग स्वेज नहर के पास है। यानी अरब सागर से लेकर स्वेज नहर तक भारत की व्यापारिक और जंगी बेड़ों की निगरानी और उसकी सुरक्षा करना दोनों अधिक मजबूत और पहले से ज्यादा सुलभ हो गई है।

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