जयपुर नगर निगम ग्रेटर की कमाई टारगेट से आधी:उसमें से आधा पैसा सैलरी में गया, सफाई कर्मचारियों के बच्चों को नहीं मिली छात्रवृत्ति
जयपुर नगर निगम ग्रेटर का चौथा बजट गुरुवार को मेयर सौम्या गुर्जर ने पेश किया था।
जयपुर नगर निगम ग्रेटर का चौथा बजट गुरुवार को साधारण सभा में पास किया गया। वहीं, पिछले साल के दिसंबर तक के आंकड़ें देखें तो नगर निगम ग्रेटर को जितनी कमाई करनी थी, उसकी आधी ही हो पाई है। उसमें से भी आधा हिस्सा सैलरी में चला गया। वहीं, दूसरी तरफ नगर निगम 31 दिसंबर तक सफाई कर्मचारियों के बच्चों को पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति नहीं दे पाया है। निगम को काम पूरा करने के लिए दूसरे डिपार्टमेंट से मदद लेनी पड़ती है।
दरअसल, वित्त वर्ष 2024-25 में नगर निगम ने 1189.42 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जुटाने और उसे खर्च कर शहर के विकास का रोडमैप पेश किया। लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की स्थिति पर नजर डालें तो हालात बड़े खराब दिख रहे हैं। दिसंबर 2023 तक नगर निगम ग्रेटर को प्रस्तावित रेवेन्यू 990.38 करोड़ रुपए का केवल 50.38 फीसदी ही रेवेन्यू जुटा पाया है, जबकि मौजूदा वित्त वर्ष का तीन चौथाई समय गुजर चुका है।
मौजूदा वित्त वर्ष के 12 माह (अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक) में 990.38 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जुटाना था। पिछले 9 माह (अप्रैल 2023 से दिसंबर 2023 तक) में नगर निगम प्रशासन केवल 499 करोड़ रुपए का ही रेवेन्यू जुटा पाया है। इस जुटाए गए रेवेन्यू में से 220.98 करोड़ रुपए तो कर्मचारियों-पार्षदों की सैलरी देने में चला गया है।
यूडी टैक्स वसूली में फिसड्डी
नगर निगम प्रशासन की इनकम का दूसरा सबसे बड़ा स्त्रोत नगरीय विकास कर (यूडी टैक्स) है। इस टैक्स को वसूलने के लिए नगर निगम प्रशासन में रेवेन्यू अधिकारी, कर निर्धारक, रेवेन्यू इंस्पेक्टर के अलावा निचले स्तर पर कर्मचारियों की बड़ी टीम है। निगम को इस साल यूडी टैक्स से 88 करोड़ रुपए का रेवेन्यू आना था। दिसंबर 2023 तक वसूली केवल 37.43 करोड़ रुपए की ही हुई, जो कुल टारगेट का 42.53 फीसदी ही है। जबकि इसकी वसूली करने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों की केवल सैलरी पर ही निगम 9.65 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। इसके अलावा निगम प्रशासन ने इस काम को एक प्राइवेट कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट पर दे रखा है, जिसे वसूली का 10 फीसदी हिस्सा भुगतान या कहें कमिशन के रूप में दिया जाता है।
मेयर सौम्या गुर्जर के देरी से आने के कारण नगर निगम ग्रेटर की साधारण सभा तय समय से 30 मिनट की देरी से शुरू हुई थी।
हाउस और यूडी टैक्स का टारगेट 30 फीसदी घटाया
नगर निगम ने मौजूदा वित्त वर्ष में जो यूडी टैक्स और हाउस टैक्स वसूली का लक्ष्य रखा था। उसे संशोधित बजट में 30 फीसदी तक कम कर दिया है। वित्तवर्ष 2023-24 के बजट में यूडी टैक्स से 117.92 करोड़ रुपए और हाउस टैक्स से 1 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जुटाने का लक्ष्य रखा था। गुरुवार को पेश किए गए संशोधित बजट में इस टारगेट को कम करके यूडी टैक्स 88 करोड़ रुपए, जबकि हाउस टैक्स 55 लाख रुपए कर दिया।
छात्रवृत्ति पर नहीं दिया एक भी पैसा
नगर निगम ने इस वित्त वर्ष में सफाई कर्मचारियों के बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृति देने का प्रावधान किया था। इसके लिए बजट में 20 लाख रुपए का प्रावधान किया। लेकिन 31 दिसंबर तक एक भी बच्चे को एक भी रुपए छात्रवृति के रूप में नगर निगम प्रशासन ने नहीं दिया।
सड़कों के लिए दूसरे डिपार्टमेंट से लेते हैं बजट
रेवेन्यू कलेक्शन कम होने और बजट पूरा नहीं होने के कारण नगर निगम को हर साल मानसून के बाद सड़कों के निर्माण के लिए दूसरे विभागों से बजट लेना पड़ता है। हाउसिंग बोर्ड या पीडब्ल्यूडी के जरिए सरकार नगर निगम के क्षेत्र में सड़कों के रैनोवेशन का काम करवाती है। पिछली गहलोत सरकार ने भी नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज क्षेत्र में 30 करोड़ रुपए से ज्यादा की सड़कों का निर्माण पीडब्ल्यूडी के जरिए करवाया था।
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