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ट्रेसलेस हैं फरार IPS आदित्य कुमार:रेड कॉर्नर के लिए इंटरपोल की मदद लेनी की तैयारी में EOU, CID को भेजा प्रपोजल

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ट्रेसलेस हैं फरार IPS आदित्य कुमार:रेड कॉर्नर के लिए इंटरपोल की मदद लेनी की तैयारी में EOU, CID को भेजा प्रपोजल
गया के तत्कालीन SSP और निलंबन के बाद गिरफ्तारी के डर से फरार चल रहे IPS आदित्य कुमार ट्रेसलेस हैं। आर्थिक अपराध इकाई की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) इनकी तलाश में पटना से लेकर उत्तर प्रदेश के मेरठ तक खाक छान चुकी है। पर अब तक फरार आदित्य कुमार का कुछ भी पता नहीं चला है।
आदित्य कुमार का मोबाइल नंबर भी 15 अक्टूबर से ही बंद है। उनका लास्ट लोकेशन पटना ही था। उसी दिन गया के शराब कांड को खत्म कराने के लिए पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल के नाम पर DGP संजीव कुमार सिंघल को कॉल करने के मामले में EOU ने FIR दर्ज की थी। तब से वो लगातार फरार हैं।
अब डर इस बात का हो गया है कि कहीं आदित्य कुमार गिरफ्तारी के डर से देश छोड़कर विदेश न फरार हो जाएं। इसलिए इंटरपोल की मदद लेने की तैयारी चल रही है। इसके लिए EOU की तरफ से CID को रेड कॉर्नर के लिए एक प्रपोजल भेज दिया गया है। फिर वहां से उस प्रपोजल को नोडल एजेंसी CBI के पास भेजा जाएगा।
कुछ क्लू हाथ लगने का दावा
हालांकि, EOU की तरफ से दावा किया गया है कि फरार आदित्य कुमार को लेकर उनकी टीम के हाथ कुछ क्लू लगे हैं। जिसके आधार पर उनकी तलाश में छापेमारी जारी है। इस संदर्भ में EOU के ADG ने मेरठ के ADG से बात भी की है। कोर्ट से जारी गिरफ्तारी का वारंट और दूसरे पेपर वहां के SP और लोकल थाना को भी भेजा गया है। मेरठ में घर पर हुई छापेमारी के दौरान टीम के हाथ कुछ लगा नहीं था।
FSL की रिपोर्ट का है इंतजार
भले ही आदित्य कुमार फरार चल रहे हैं। लेकिन, केस में कार्रवाई भी आगे बढ़ रही है। जब टीम ने फरार IPS के दोस्त व खुद को चीफ जस्टिस बता DGP को कॉल करने वाले अभिषेक भोपालिका उर्फ अभिषेक अग्रवाल को गिरफ्तार किया था तो उसके पास से कुल 5 मोबाइल मिले थे। जबकि, 4 मोबाइल गिरफ्तार बाकी लोगों के पास से मिले थे। EOU के अनुसार जब्त किए गए 9 मोबाइल को जांच के लिए FSL भेजा गया था। अब उसकी रिपोर्ट आने वाली है। जांच टीम को इस रिपोर्ट के आने का इंतजार है। इससे बहुत कुछ साफ होगा। इसके बाद ही कोर्ट में केस डायरी सबमिट किए जाने की संभावना है।
क्या है रेड कॉर्नर नोटिस
रेड कॉर्नर नोटिस को रेड नोटिस भी कहा जाता है। अगर इस बात की आशंका हो कि कोई भी अपराधी या आरोपी जांच एजेंसी से बचने के लिए दूसरे देश में भाग सकता है तो यह नोटिस ऐसे अपराधी के बारे में दूसरे देश की पुलिस को सचेत करता है।
इंटरपोल के जरिए ही यह नोटिस जारी होती है। बिहार पुलिस की सीआईडी के मार्फत यह प्रक्रिया पूरी की जाती है। सीआईडी इसे सीबीआई को भेजती है। सीबीआई इंटरपोल की नोडल एजेंसी है।

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