ट्विटर पर 50 लाख जुर्माना, ट्वीट ब्लॉक नहीं किए:केंद्र का आदेश था, हाईकोर्ट बोला- आप बड़ी कंपनी हो, किसान नहीं जो कानून नहीं जानता
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि ट्विटर को नोटिस दिए गए थे, लेकिन ट्विटर ने उनका पालन नहीं किया।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के आदेश के खिलाफ लगाई गई ट्विटर की याचिका खारिज कर दी। ट्विटर ने कुछ लोगों के अकाउंट, ट्वीट और URL ब्लॉक करने के केंद्र सरकार के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने कहा कि ट्विटर को सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए था। कोर्ट ने ट्विटर पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
हाईकोर्ट की 5 टिप्पणियां, जुर्माने के साथ शर्त भी
1. जुर्माना 45 दिन के भीतर भरना होगा। अगर नहीं भरा तो इस अवधि के बाद हर दिन 5 हजार और देने होंगे।
2. अदालत को वजह भी नहीं बताई कि केंद्र का ट्वीट ब्लॉक करने का आदेश क्यों नहीं माना।
3. आप एक मल्टी बिलेनियर कंपनी हो, कोई किसान या फिर आम आदमी नहीं, जिसे कानून नहीं पता हैं।
4. यह जानते हुए भी कि आदेश न मानने पर 7 साल की सजा और फाइन लगाया जा सकता है। ट्विटर ने सरकार के आदेशों का पालन नहीं किया।
5. जिसका ट्वीट ब्लॉक कर रहे हैं, उसे कारण बताएं। साथ ही यह भी कि यह प्रतिबंध कुछ समय के लिए है या फिर अनिश्चित काल के लिए।
ट्विटर ने याचिका में दलील क्या दी थी?
ट्विटर ने हाईकोर्ट से कहा था- केंद्र के पास सोशल मीडिया पर अकाउंट ब्लॉक करने का जनरल ऑर्डर इश्यू करने का अधिकार नहीं है। ऐसे आदेशों में वजह भी बताई जानी चाहिए ताकि हम इसे यूजर्स को बता सकें। अगर ऑर्डर जारी करते वक्त वजह नहीं बताई जाती है तो इस बात की आशंका बनी रहती है कि बाद में कारण बनाए भी जा सकते हैं।
ट्विटर ने दावा किया था कि सरकार के आदेश सेक्शन 69 ए का उल्लंघन करते हैं। सेक्शन 69 ए के तहत अकाउंट यूजर्स को उनके ट्वीट और अकाउंट ब्लॉक किए जाने पर जानकारी देनी होती है। लेकिन मंत्रालय ने उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया।
केंद्र सरकार ने ट्विटर की दलील पर क्या कहा?
केंद्र सरकार ने अदालत से कहा- ट्विटर अपने यूजर्स की तरफ से नहीं बोल सकता है। इस मामले में उसका कोर्ट में अपील दायर करने का कोई अधिकार नहीं बनता है। ट्वीट ब्लॉक करने का आदेश बिना विवेक के या एकतरफा तरीके से नहीं लिया गया था। राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए ट्विटर को ब्लॉक करने के आदेश दिए गए थे, जिससे लिंचिंग और मॉब वॉयलेंस की घटनाओं को रोका जा सके।
ट्विटर एक विदेश कंपनी है और वह समानता और बोलने की आजादी के अधिकारों के आधार पर अपील दायर नहीं कर सकती है।
कर्नाटक हाईकोर्ट में जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की सिंगल जज बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की।
जानें क्या है पूरा मामला…
- सरकार ने फरवरी 2021 से फरवरी 2022 के बीच ट्विटर को 1,474 अकांउट, 175 ट्वीट, 256 URL और एक हैशटैग ब्लॉक करने के आदेश दिए थे। सरकार ने यह आदेश इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 69 ए के तहत दिए थे।
- सरकार ने पिछले साल 4 और 6 जून को ट्विटर को नोटिस जारी कर पूछा था कि ब्लॉकिंग से जुड़े आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया है। ट्विटर ने 9 जून को जवाब दिया था कि जिन कंटेंट के खिलाफ सरकार के आदेशों का पालन नहीं किया गया है, उनके लिए ट्विटर को लगता है कि वे सेक्शन 69ए का उल्लंघन नहीं करते हैं।
- 27 जून को मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने ट्विटर को नोटिस भेजकर कहा कि केंद्र सरकार के आदेश न मानने पर कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- ट्विटर ने 39 URL को ब्लॉक करने के सरकार के 10 आदेशों को कोर्ट में चुनौती दी। 26 जुलाई, 2022 को जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की सिंगल जज बेंच ने इस पर पहली बार सुनवाई की। इसके बाद केंद्र सरकार और ट्विटर दोनों ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा।
- हाईकोर्ट ने इस साल 21 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 30 जून को फैसला सुनाया और 45 दिन के अंदर जुर्माना जमा करने के लिए कहा।
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