दाऊद इब्राहिम राजस्थान में अड्डा बनाना चाहता था:जयपुर के 2 बड़े होटल खरीदने वाला था, एक जासूस ने फेल कर दिया प्लान
जयपुर
दुनियाभर में खबर फैली हुई है कि पाकिस्तान में छिपे भारत के मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम को जहर दे दिया गया है और वो हॉस्पिटल में भर्ती है।
हालांकि, अभी तक इसे लेकर कोई पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन दाऊद इब्राहिम एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
90 के दशक में दाऊद का आतंक चरम पर था। उस वक्त उसकी नजर राजस्थान पर भी थी। दाऊद जयपुर के दो होटल खरीदकर राजस्थान में भी अपना अड्डा बनाना चाहता था।
फरवरी-1992 में दाऊद इब्राहिम ने जयपुर में अपना हाइड आउट (अड्डा) बनाने की कोशिश की थी, लेकिन गुप्तचर सेवा (इंटेलिजेंस) के एक जासूस अफसर ने उसका प्लान फेल कर दिया था।
यह जासूस थे हुकम सिंह, जो इन दिनों जयपुर में ही सरकारी सेवा से रिटायर्ड होकर अपना जीवन जी रहे हैं।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट, उन्हीं की जुबानी…
हुकम सिंह, जिनकी वजह से दाऊद का जयपुर में दो होटल खरीदकर क्राइम का अड्डा बनाने का प्लान फेल हो गया।
हुकम सिंह ने बताया कि दाऊद इब्राहिम दो होटलों को खरीदकर दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, दुबई और पाकिस्तान के बीच स्थित जयपुर को अपने अड्डे के रूप में विकसित करना चाहता था।
उसका इरादा यहां से उत्तर भारत और दुबई-पाकिस्तान के बीच अपनी अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने का था। चूंकि जयपुर शांत शहर है, ऐसे में दाऊद ने इसे चुना, क्योंकि उसे लगा कि यहां वो आसानी से अड्डा बना सकेगा।
दाऊद का प्लान जानने के लिए कई वेश बदले
हुकम सिंह ने दाऊद इब्राहिम का प्लान जानने के लिए कई बार वेश बदले। बदमाशों के बीच रातें गुजारीं।
राजस्थान के सरहदी इलाकों सहित मुसाफिरखानों, धार्मिक स्थानों, सराय आदि में दिन बिताए। तस्करों, हथियार के शौकीन लोगों से संपर्क किया। वेश्यावृत्ति की जगहों को भी अपनी जांच का हिस्सा बनाया।
महीनों की कोशिशों के बाद एक आदमी ऐसा हाथ लगा जिसके जरिए हुकम सिंह को दाऊद के पूरे प्लान के बारे में पता चला।
दाऊद इब्राहिम जयपुर के जौहरी बाजार और चमेली मार्केट में स्थित 2 प्रसिद्ध होटल खरीदना चाहता था।
कौनसे 2 होटल खरीदना चाहता था दाऊद
हुकम सिंह ने बताया कि दाऊद का प्लान जौहरी बाजार और चमेली मार्केट में (लक्ष्मी मिष्ठान भंडार और होटल पिंकसिटी) को खरीदने का था।
सारी कार्रवाई भी पूरी हो गई थी। प्लान का पता चलने के बाद मैंने होटलों की खरीद से संबंधित प्रक्रिया के सभी जरूरी दस्तावेज जुटाए।
हुकम सिंह ने अपनी इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपी। इस सूचना को उच्चाधिकारियों ने तुरंत सीधे तत्कालीन सीएम भैरोंसिंह शेखावत तक पहुंचाया।
शेखावत ने हुकम सिंह से मिलकर पूरे मामले की जानकारी ली, पुरस्कार भी दिया।
तत्कालीन सीएम के दखल से रुकी होटलों की बिक्री
हुकम सिंह ने बताया कि तत्कालीन सीएम शेखावत ने दोनों होटलों के तत्कालीन मालिकों से सम्पर्क किया और उन्हें सख्त लहजे में आगाह किया कि किसी भी स्थिति में गैंगस्टर-माफियाओं के हाथों जयपुर की कोई प्रॉपर्टी नहीं बिकनी चाहिए। चूंकि सीएम तक बात पहुंच चुकी थी तो दाऊद के इरादे कामयाब नहीं हो पाए।
बनीपार्क और अजमेर रोड पर भी कुछ प्रॉपर्टी खरीदने की मिली थी सूचना
हुकम सिंह ने बताया कि बनीपार्क और अजमेर रोड (सोडाला) पर गैंगस्टर हाजी मस्तान ने भी अपने एजेंटों के जरिए प्रॉपर्टी खरीदने की कोशिश की थी। चूंकि इसकी भनक भी इंटेलीजेंस को लग गई थी तो वो प्लान भी अधूरा रह गया।
सिंह का कहना है कि जयपुर शुरू से ही आतंकी और माफियाओं की पसंदीदा जगह रही है। जयपुर में बम विस्फोट (मई-2008) हुए जो यह बताता है कि आतंकियों की नजर में जयपुर एक सॉफ्ट टारगेट रहा है।
बड़ी प्रॉपर्टी, प्लाॅट, फ्लैट, मॉल, कॉम्पलेक्स आदि की खरीद-फऱोख्त पर विशेष नजर रखनी चाहिए।
दाऊद के राइट हैंड छोटा दाऊद का भी किया था पीछा
हुकम सिंह ने बताया कि 90 के दशक में प्रतापगढ़ में दाऊद इब्राहिम का राइट हैंड छोटा दाऊद अपना एक ठिकाना चला रहा था।
छोटा दाऊद तब मंदसौर (मध्यप्रदेश), चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ (राजस्थान) में अफीम की तस्करी भी कर रहा था।
गुजरात के कांडला पोर्ट से उसके ठिकाने पर दो ट्रक हथियार आए थे। उसके ठिकाने का हमने पता लगाया और कार्रवाई की।
हम उस समय खालिस्तानी समर्थक परमजीत सिंह की तलाश में उस इलाके में गए थे, लेकिन किस्मत से छोटा दाऊद के इस ठिकाने का पता मिल गया।
उल्लेखनीय कार्यों के लिए हुकम सिंह को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
वर्ष 2006 में राष्ट्रपति से मिला पुरस्कार
किताबें लिखने से लेकर हाईकोर्ट में वकालत करने और प्लेन उड़ाने से लेकर कराटे चैम्पियन जैसे कई रूप हैं हुकम सिंह के।
सिंह ने 1996 में जयपुर से खालिस्तानी आतंकियों द्वारा किडनैप किए गए केन्द्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा के मामले में फरार आतंकियों की जासूसी भी की थी।
उनकी सूचना पर बहुत सी जगह पर छापे मारे गए। इस दौरान वे दिल्ली-जयपुर हाइवे पर स्थित एक ढाबे में तीन महीने तक कुक बनकर रहे। बाद में उनकी सूचना पर जिनेवा (स्विटजरलैंड) से तीन आतंकी गिरफ्तार किए गए।
6 किताबें लिख चुके हैं
सिंह कराटे में ब्लैक बेल्ट चैम्पियन भी हैं और वायुसेना के साथ प्रशिक्षण प्राप्त पायलट भी हैं। उन्होंंने कई पुस्तकें भी लिखी हैं।
सरकार ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ काम करने के लिए अफ्रीका भी भेजा था। वे वर्तमान में जयपुर स्थित हाईकोर्ट में वकालत करते हैं।
वे अब तक छह किताबें (आवाज ए जमीर, नाथ सम्प्रदाय इतिहास व दर्शन, वृक्कवंश चरितम, अग्निपुष्प, जमीर की मधुशाला और उसकी दास्तान) लिख चुके हैं।
सिंह को उनकी गुप्तचर सेवाओं के लिए वर्ष 2006 में राष्ट्रपति (एपीजे अब्दुल कलाम) पुरस्कार भी मिला।
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