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दिमाग में हमेशा सेक्शुअल फैंटेसी खतरनाक:व्यक्ति बनता पैराफिलिया मनोरोगी, ‘सुख’ की चाहत बनाती रेपिस्ट जैसा अपराधी; बचने के 7 सूत्र

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दिमाग में हमेशा सेक्शुअल फैंटेसी खतरनाक:व्यक्ति बनता पैराफिलिया मनोरोगी, ‘सुख’ की चाहत बनाती रेपिस्ट जैसा अपराधी; बचने के 7 सूत्र

उत्तर प्रदेश के औरैया में आठ साल की बच्ची से रेप और हत्या के दोषी व्यक्ति को स्थानीय अदालत ने बीते बुधवार को तीन महीने से कम समय में पॉक्सो एक्ट के तहत मौत की सजा सुनाई। जज का कहना था कि दोषी ने पशुओं जैसा निंदनीय काम किया है।

इसी साल 25 मार्च को जब बच्ची अपने घर के पास बकरी चरा रही थी, तब दोषी गौतम सिंह दोहरे ने उसे बिस्किट खिलाने का लालच देकर सुनसान जगह पर रेप किया और गला दबाकर मार डाला। ये दोनों केस रेप के हैं। दो अक्षरों का यह शब्द किसी महिला या लड़की के तन-मन पर जिंदगी भर का घाव देता है।

क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट अनुजा कपूर कहती हैं कि रेप को किसी महिला की सेक्शुअल इंटीग्रिटी के खिलाफ संगीन जुर्म माना जाता है।

अनुजा के अनुसार, सेक्शुअल इंटीग्रिटी का मतलब है कि न तो कोई महिला को नुमाइश की चीज समझे और न ही किसी को महिला की सेक्शुअलिटी का गलत इस्तेमाल करने का हक है।

जब पुरुष रेप जैसी करतूत केवल अपनी यौन संतुष्टि के लिए करता है तो इसे ‘पैराफिलिया’ कहा जाता है।

रेप के ज्यादातर मामलों में यही होता है, जब पुरुष केवल अपने यौन सुख के लिए कम या ज्यादा उम्र की महिला को बहला-फुसलाकर या धमकाकर अपना शिकार बनाते हैं।

कुछ मामलों में ऐसे अपराध बदला लेने या किसी अन्य वजह से किए जाते हैं।

550 तरह के पैराफिलिया, जो समाज के लिए खतरनाक

पैराफिलिया शब्द ग्रीक भाषा से आया है, जहां पैरा का मतलब है- ‘इसके अलावा’ और फिलिया का मतलब है- ‘प्यार’।

यानी पैराफिलिया का मतलब है- प्यार से परे एबनॉर्मल सेक्शुअल इंटरेस्ट, जो समाज के लिए खतरनाक माने जाते हैं।

अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिसर्च में कहा गया है कि पैराफिलिया लगभग 550 तरह के होते हैं। इनमें से कुछ समाज के लिए बेहद घातक माने जाते हैं।

यौन कल्पनाओं में डूबे रहना खतरनाक, खुद पर नहीं रहता काबू

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पैराफिलिया ऐसा साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति में बरसों से कुंठा कुलबुलाती रहती है और वह यौन कल्पनाओं की दुनिया में डूबा रहता है।

डॉ. अनुजा कपूर कहती हैं कि जिन लोगों में पैराफिलिया के लक्षण हैं, उनमें से ज्यादातर के साथ बचपन में कभी न कभी यौन शोषण हुआ रहता है।

वहीं, कुछ लोगों में बचपन में ‘सेक्शुअल मैसोचिज्म डिसऑर्डर’ यानी दूसरों को सताने में आनंद आने जैसा विकार पनपता है।

यह बेहद खतरनाक स्थिति है। ऐसा व्यक्ति पोर्नोग्राफी और सेक्शुअल कंटेंट को लगातार देखता है और खुद पर काबू नहीं रख पाता।

इस वजह से वह रेप जैसे अपराध की घटनाओं को अंजाम देता है। इस डिसऑर्डर को तकनीकी रूप से ‘बायस्टोफिलिया’ भी कहा जाता है।

‘बायस्टोफिलिया’ से जुड़़ा एक और केस समझिए। हाल ही में दिल्ली में 68 साल के बुजुर्ग पर नाबालिग के साथ रेप करने का आरोप लगा।

आरोपी वेब सीरीज ‘मिर्जापुर’ के कालीन भैया के पिता के किरदार से प्रभावित था, जिसे सीरीज में घर की महिलाओं से जबरन संबंध बनाते दिखाया गया है।

दरअसल, आरोपी के बेटे को शक था कि उसका पिता ‘काला जादू’ कर रहा है। यह जांचने के लिए उसने पिता के कमरे में खुफिया कैमरा लगाया।

जब उसने रिकॉर्डिंग चेक की तो उसमें पिता की करतूत सामने आई। इसके बाद बेटे ने नाबालिग लड़की के पिता को वह वीडियो भेजा, तब जाकर बीते 27 जून को इस मामले में शिकायत दर्ज हुई।

पैराफिलिया का हॉर्मोन से भी है कनेक्शन

पैराफिलिया का हॉर्मोन से भी कनेक्शन है। अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, जिन लोगों के शरीर में सिरोटोनिन और नॉरपीनेफ्राइन हॉर्मोन का लेवल काफी बढ़ जाता है।

साथ ही जिन लोगों में यूरिन में DOPAC (3,4 डाईहाईड्रॉक्सीफेनाइल एसिटिक एसिड) की मात्रा घट जाती है, उनके पैराफिलिया होने की आशंका सबसे ज्यादा रहती है।

सेरोटोनिन और नॉरपीनेफ्राइन हॉर्मोन के स्तर की वजह से ही व्यक्ति इस तरह के मनोविकारों से ग्रस्त हो सकता है।

अगर कोई सेक्शुअल फैंटेसी में डूबा रहता है और दूसरे को या खुद को नुकसान नहीं पहुंचाता तो टेंशन लेने की बात नहीं है, मगर नीचे दिए गए ग्राफिक में बताई हुई चीजें हो रही हैं तो सतर्क होना जरूरी है, क्योंकि ये खतरे की घंटी है।

किशोरावस्था में सेक्शुअल फैंटेसी में डूबे रहने से मनोरोगी बनने का डर

साइबर फोरेंसिक एंड लॉ एक्सपर्ट मोनाली गुहा कहती हैं कि वैसे तो पैराफिलिया की शुरुआत किशोरावस्था से होती है, मगर मोबाइल-लैपटॉप और इंटरनेट के जमाने में इसकी शुरुआत 5-7 साल की उम्र से ही हो जाती है।

जब पहली बार सेक्स संबंधी बातों को देख-सुनकर बढ़ते हुए बच्चे जानना-समझना शुरू करते हैं। यही वो मोड़ होता है, जब सेक्स एजुकेशन की जरूरत सबसे ज्यादा होती है।

वर्ना ऐसे बच्चों के भटकने या गुमराह होने का डर होता है, जो बाद में ऐसे असामान्य डिसऑर्डर में बदल सकता है। बड़े होने पर ऐसे लोगों के दिमाग में हर वक्त गंदी बातें ही चलती रहती हैं।

मोनाली गुहा कहती हैं कि पैराफिलिया से ग्रस्त लोग सेक्शुअल कंटेंट देखकर उससे फैंटेसी बुनते रहते हैं।

लंबे समय तक ऐसी स्थिति में रहने के बाद यह गंभीर बीमारी बन सकती है और व्यक्ति खतरनाक अपराध की दुनिया में पहुंच जाता है।

लोगों को पता ही नहीं होता कि कब इस तरह के ‘कैंसर’ ने उन्हें दबोच लिया

बाल कल्याण समिति पर यूपी सरकार के साथ काम करने वालीं समाधान अभियान की फाउंडर अर्चना अग्निहोत्री कहती हैं कि पैराफिलिया डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को अक्सर ये पता ही नहीं होता है कि वे ऐसे मनोविकार से ग्रस्त हो चुके हैं।

इलाज कराने का तो सवाल ही नहीं उठता। यह कैंसर की तरह ही है, जिसका पता अक्सर अंतिम स्टेज में ही चल पाता है।

100 फीसदी इलाज नहीं, मगर दोस्तों और परिवार के साथ वक्त बिताना, मनोचिकित्सक से इलाज कराना ज्यादा बेहतर

पैराफिलिया का 100 फीसदी इलाज तो ढृूंढा नहीं जा सका है। मगर एनसीबीआई पर छपी एक स्टडी के दावे के मुताबिक, अगर पैराफिलिया से ग्रस्त मनोरोगी को 12 महीने तक लियोप्रोलाइड एसीटेट से इलाज किया जाए तो उसके आक्रामक यौन बर्ताव में कमी आएगी। ऐसी यौन भावनाएं उसे परेशान नहीं करेंगी।

वहीं, कुछ जगहों पर क्रिप्टोटेरॉन एसीटेट सेे भी इलाज किया जाता है। मगर, दुनिया भर में एक्सपर्ट इस बात से सहमत हैं कि बात-व्यवहार, घर-परिवार और दोस्त के साथ मिलने-जुलने के अलावा मनोचिकित्सकों से इलाज कराना ज्यादा बेहतर है।

कोई व्यक्ति ऐसे मनोविकारों के साथ 6 महीने से ज्यादा समय से पीड़ित है तो उसे अपना इलाज कराना चाहिए, वर्ना वह गंभीर स्थितियों का सामना कर सकता है।

नीचे दिए गए ग्राफिक में बताई बातें पैराफिलिया से ग्रस्त व्यक्ति को उबारने में मदद कर सकती हैं।

क्या महिलाएं भी ऐसे मनोविकार से पीड़ित होती हैं?

‘एक्सप्लोरिंग योर माइंड’ पर छपे एक लेख के मुताबिक, आम तौर पर पहले यही माना जाता था कि पैराफिलिया के मनोरोगी सिर्फ पुरुष ही होते हैं।

बाद में कई स्टडी से यह सामने आया कि पैराफिलिया पुरुषों में 85 फीसदी तो महिलाओं में 15 फीसदी पाया जाता है। खासकर दूसरों को पीड़ा पहुंचाकर यौन संतुष्टि हासिल करना महिलाओं में भी देखा गया है।

ब्रिटेन की खूंखार सीरियल किलर ने मजे के लिए 3 पुरुषों को मार डाला

ब्रिटेन की खूंखार महिला जोआना डेन्नेही ने 2013 में तीन आदमियों को इसलिए मार डाला क्यों उसे इसमें अलग तरह का मजा आ रहा था।

वहीं, जोआना से बचने वाले एक शख्स ने कोर्ट में कहा कि वह मेरा रेप करना चाहती थी। वह बेहद बेरहम और पागल किस्म की है।

कोर्ट में ज्यूरी ने सुनवाई के दौरान कहा कि जोआना पैराफिलिया डिसऑर्डर से पीड़ित थी। मारने के पहले और बाद में उसने तीनों का यौन उत्पीड़न किया था।

पैराफिलिया बीमारी, यह मानने को ही तैयार नहीं होते लोग

अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, पैराफिलिया से पीड़ित लोगों में माहौल के मुताबिक ढल जाने यानी कुछ ज्यादा ही विनम्र होने और अहंकार में डूबे रहने जैसी दोहरी पर्सनालिटी होती है। इसीलिए इनके इलाज में भी मुश्किल आती है।

एक तो ऐसे लोग अपनी खामियों को बताने से झिझकते हैं और दूसरा उन्हें हमेशा ये आशंका रहती है कि कोई उनके आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचा दे।

भविष्य को लेकर ज्यादा टेंशन में रहते हैं। कई लोग तो इस डर से भी इलाज नहीं कराते कि कहीं उन्हें कानूनी दांवपेंच का सामना न करना पड़े या फिर अपनी समस्या और उसके इलाज के बारे में परिवार, दोस्त अथवा सेक्शुअल पार्टनर को कैसे बताएं।

अर्चना अग्निहोत्री के अनुसार, हर मानसिक बीमारी का समाधान समाज में ही मौजूद है। जरूरत है समय के साथ समाज में बदलाव लाने की।

सेक्स एजुकेशन के साथ-साथ घर-परिवार और नातेदारी में बात करने से ही ऐसी समस्याओं का समाधान मिल सकता है।

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