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नृसिंह जयंती आज, क्या है इस दिन का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व : आलेख विशेष

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मोहित बिस्सा
ज्योतिषाचार्य
पांडुलिपि अध्येता

नरसिंह जयंती हिंदुओं के बीच अत्यंत शुभ त्योहार माना जाता है इस विशेष दिन भगवान विष्णु अपने चौथा अवतार नरसिंह के रूप में अवतरित हुए थे ,यह पर्व जीवन से किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को नकारने और बुरे कामों के साथ-साथ अन्याय से दूर रहने के लिए मनाया जाता है। यह वैशाख मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह कहा जाता है कि यदि कोई दूसरों के प्रति शत्रुता दिखाता है तो उस व्यक्ति को इस दिन भगवान नरसिंह श्रद्धापूर्वक याद करना चाहिए ।नरसिंह जयंती के दिन उपवास करने वाले भक्तों को सुविधा अनुसार तिल या सोने जैसी चीजों का दान करना चाहिए, नरसिंह जयंती में आध्यात्मिक महत्व के कई परतें हैं भगवान नरसिंह को अपनी आस्था के लिए उत्पीड़न का सामना करने वाले भक्तों के रक्षक के रूप में पूजा जाता है भगवान विष्णु के प्रति प्रहलाद की अटूट भक्ति देवी शक्ति में आस्था और विश्वास के महत्व को उजागर करती है। हिंदू धर्म ग्रंथो में हनुमान जी के पंचमुख स्वरूप में एक मुख नरसिंह का भी है। भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार भारत के दक्षिणी राज्यों में मूर्तियों के रूप के साथ तमिलनाडु तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में लोकप्रिय है ।नरसिंह की पूजा दक्षिण भारत में सहस्त्राब्दियो से मौजूद है। पल्लव राजवंश ने इसकी प्रथाओं को लोकप्रिय बनाया हर साल नरसिंह जयंती पर एक पारंपरिक लोक नृत्य होते है। इस मेले को भागवत मेला कहते हैं तमिलनाडु के एक गांव मे मेल का आयोजन सार्वजानिक में रूप से किया जाता है ।इसी प्रकार का मेला राजस्थान में बीकानेर में भी प्रतिवर्ष भरता है जिसमें लाखों श्रद्धालु आकर के श्रद्धा-विश्वास से भगवान के दर्शन करते हैं। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वाह नाटकों के माध्यम से भगवान से स्वरूप का अवतार लिया जाता है ,नरसिंह जयंती पर सभी को श्रद्धा पूर्वक भगवान के इस अवतार का स्मरण करना चाहिए।

बीकानेर में मेलो के स्थान

  • डागा चौक नृसिंह मेला
  • लखोटियों का चौक
  • दुजारियों की गली नृसिंह
  • नत्थूसर गेट
  • श्री गायत्री मंदिर गोगा गेट
  • दम्माणी चौक
  • फरसोलाई
  • रघुनाथ मन्दिर नृसिंह आदि मेलो में अपना अनूठा योगदान देकर बीकानेर की सांस्कृतिक धरोहर को बचाये रखने में योगदान देते हैं
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