पार्षदों का कार्यकाल पूरा:निगम के 5 साल: साधारण सभा 20 की जगह एक ही हुई, स्वच्छता रैंकिंग 342वें पायदान पर
बीकानेर
शहर के 80 वार्डों के पार्षदों का कार्यकाल 19 नवंबर को पूरा हो गया। मेयर का भी बतौर पार्षद कार्यकाल पूरा हो गया। क्योंकि पार्षदों ने 19 नवंबर 2019 को शपथ ली थी। सुशीला कंवर ने बतौर मेयर 26 नवंबर को शपथ ली थी। उनका कार्यकाल 26 को समाप्त होगा। उससे पहले सरकार 24 या 25 नवंबर को प्रशासक लगाने के आदेश जारी करेगी। इन पांच सालों में नगर निगम मी साधारण सभा की 20 बैठक होनी थी, जिसमें से सिर्फ एक ही साधारण सभा हुई। बाकी पांच बजट बैठकें हुई। यानी बजट बैठकों से लेकर तमाम एजेंडों में मेयर का कार्यकाल मिलाजुला रहा।
सुशीला कंवर राजपुरोहित बीकानेर की पहली महिला मेयर हैं। शहर में उम्मीद जगी कि अब महिला हितों की अनदेखी नहीं होगी। खासकर बाजारों में महिलाओं के लिए यूरिनल सुविधा होगी। लेकिन उनके पांच साल का कार्यकाल खत्म होने तक महिलाओं को बाजार में शौचालय की सुविधा नहीं मिली।
हालांकि दावा किया जा रहा है कि 24 नवंबर तक पिंक बसें बीकानेर पहुंच जाएंगी। मेयर का लगातार अधिकारियाें से विवाद भी चर्चा में रहा। इतना गतिराेध रहा कि एक आयुक्त के खिलाफ मेयर काे प्रेस कांफ्रेंस तक करनी पड़ी। नगर निगम में नियम है कि हर तीन महीने में एक बार साधारण सभा की बैठक हाे, लेकिन मेयर ने सिर्फ बजट बैठकें ही बुलाई।
जनता को इन कामों की थी उम्मीद
रेल फाटकों की समस्या का निदान- मेयर होने के नाते रेल फाटकों की समस्या का समाधान चाहिए था। मेयर की जिम्मेवारी थी कि वे राज्य और केन्द्र सरकार से बातचीत कर इसका कुछ हल निकलवाती। विधायकों का हस्तक्षेप हो सकता है तो मेयर का क्याें नहीं। वो पूरे शहर की मेयर हैं। मगर इसको लेकर वे एक भी कुछ नहीं बोली।
यूडी टैक्स का सर्वे – मेयर खुद कहती हैं कि सरकारों से ज्यादा वित्तीय सहायता नहीं मिलती। इसके बावजूद 2005 के सर्वे के मुताबिक यूडी टैक्स वसूला जा रहा है। 2005 में शहर हल्दीराम प्याऊ तक नहीं था और अब बाईपास भी क्राॅस कर गया। नए सर्वे से निगम की आय में कई गुना ज्यादा इजाफा होगा।
स्वच्छता सर्वे रैंक – जब 2019 में मेयर सुशीला कुमारी बनी तक बीकानेर की रैंक 5 लाख तक की आबादी वाले शहरों में 179 थी। अब रैंक गिरकर 342 पायदान पर पहुंच गई। क्योंकि ना तो शहर ने इसमें रुचि दिखाई। ना निगम के पास पूरे संसाधन हैं। कुल मिलाकर ईमानदारी से रैकिंग बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुए।
डेयरियां बनी जंजाल- शहर में डेयरियां सीवरेज जाम और गंदगी का बड़ा कारण हैं। कुछ डेयरियां तो मेयर के ही परिवार की हैं। तमाम लोगों ने करणीनगर में सड़कों पर गोबर से लेकर सीवरेज में कचरा डालने की शिकायत की, लेकिन आज तक उन पर कोई नीति नहीं बन सकी।
“हां…. कुछ ऐसे काम हैं जिनकी मुझे तकलीफ है कि मैं उनको पूरा नहीं कर सकी। महिलाओं के लिए शौचालय मैं कार्यकाल खत्म होते-होते पूरा कराऊंगी। मैंने सीवरेज, डंपिंग यार्ड समेत तमाम ऐसे काम कराए जो मिसाल हैं। कुछ काम विपक्षी सरकार हाेने से मुझे पूरे नहीं करने दिए गए।” -जैसा कि मेयर सुशीला कंवर ने अपने इंटरव्यू में कहा था।
मेयर के 5 साल की 5 उपलब्धियां 1. घर-घर कचरा संग्रहण कार्य 2. शिववैली डंपिंग यार्ड की सफाई कार्य शुरू कराना 3. शहर का पहला गैसचालित शवदाह शुरू कराना 4. अमृत-2 के तहत 260 कराेड़ के सीवरेज कार्य शुरू कराना 5. प्रत्येक वार्ड में वार्ड कार्यालय शुरू कराना
मेयर के 5 सालाें के 5 असफल प्रयास 1. महिलाओं काे अब तक बाजाराें में शाैचालय मुहैया नहीं हुए 2. स्वच्छ भारत मिशन में शहर की रैकिंग 179 से गिरकर 342वें पायदान पर पहुंच गई 3. यूडी टैक्स सर्वे शुरू कराने का दावा किया था नहीं हुआ। अभी 2005 के सर्वे से यूडी टैक्स वसूला जा रहा 4. मेयर हाउस, निगम की न्यू बिल्डिंग समेत अन्य कार्य कागजाें में दफन हुए 5. शरद-राम काेठारी पार्क के उद्घाटन का दावा एक साल में किया पर वाे भी अधूरा रहा
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