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पुलवामा अटैक को सेलिब्रेट करने पर बेंगलुरु के छात्र को पांच साल की कैद, NIA कोर्ट बोली- ये बर्दाश्त से बाहर

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पुलवामा अटैक को सेलिब्रेट करने पर बेंगलुरु के छात्र को पांच साल की कैद, NIA कोर्ट बोली- ये बर्दाश्त से बाहर
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी छात्र कोई अनपढ़ या सामान्य व्यक्ति नहीं है, वह पढ़ा लिखा छात्र है।
बेंगलुरु की NIA कोर्ट ने सोमवार को 21 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र को भारत की संप्रभुता और अखंडता को बाधित करने के इरादे से आतंकवादियों के कृत्यों का समर्थन करने के कारण उसे 5 साल कारावास की सजा सुनाई। दरअसल पुलवामा हमले के बाद फेसबुक पर छात्र ने अपमानजनक टिप्पणी की थी और जश्न मनाया था। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी छात्र ने ऐसे कमेंट किए थे, जैसे लग रहा कि वह भारतीय नहीं है।अतिरिक्त सिटी सिविल एंड सेशंस जज गंगाधर सी.एम. की अध्यक्षता में विशेष एनआईए कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष ने यह साबित करने के लिए ठोस सबूत उपलब्ध कराए कि आरोपी ने वास्तव में अपने फेसबुक अकाउंट पर अपमानजनक पोस्ट किए थे। उसने अपने पोस्ट में पुलवामा में सीआरपीएफ जवान पर आत्मघाती हमले का जश्न मनाया था।कोर्ट ने कहा, “आरोपी ने एक-दो बार अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है। उन्होंने फेसबुक पर सभी न्यूज चैनलों द्वारा किए गए सभी पोस्ट पर कमेंट किया। इसके अलावा, वह एक अनपढ़ या सामान्य व्यक्ति नहीं था। अपराध किए जाने के समय वह इंजीनियरिंग का छात्र था और उसने जानबूझकर अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट और टिप्पणियां कीं। उन्होंने महान आत्माओं की हत्या के बारे में खुशी महसूस की और महान आत्माओं की मृत्यु का जश्न मनाया जैसे वह भारतीय नहीं था। इसलिए आरोपी द्वारा किया गया अपराध इस महान राष्ट्र के खिलाफ है और प्रकृति में जघन्य है।”
कोर्ट ने बेंगलुरु के एक कॉलेज में इंजीनियरिंग कर रहे आरोपी फैज रशीद को आईपीसी की धारा 153-ए, 201 आईपीसी और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13 के तहत दोषी ठहराया है।
बता दें कि पुलवामा हमले के बाद कई समाचार चैनलों ने अपने स्वयं के फेसबुक अकाउंट पर समाचार पोस्ट करके घटना की सूचना दी थी। आरोपी ने उन पोस्ट के जवाब में लिखा था, “एक मुसलमान 40 पर भारी पड़ गया, कश्मीर का हीरो अल्लाह हू अकबर’। ये तो मॉब लिंचिंग, राम मंदिर 2002 का छोटा सा बदला था। ट्रेलर हो गया, पिक्चर अभी बाकि है। भारतीय सेना कैसी है? हमारे लड़के हमेशा मजाकिया होते हैं।”

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