प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की एक बैठक गुरुवार, 18 नवंबर, 2021 को दिल्ली में हुई। इस परिषद के सभी सदस्यों ने 2021-22 के बजट से जुड़े इस तथ्य पर सर्वसम्मत राय व्यक्त की कि पारदर्शिता, यथार्थवादी, सुधारवादी और स्पष्ट रूप से विकासोन्मुखी बजट होने के कारण इसे सभी क्षेत्रों द्वारा सराहा गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 से परे देखते हुए, सभी सदस्य 2022-23 के दौरान वास्तविक और नाममात्र की वृद्धि की संभावनाओं को लेकर आशावादी थे। आधार प्रभाव के एक तत्व के अलावा, गहन संपर्क वाले क्षेत्रों और निर्माण के क्षेत्र को 2022-23 के दौरान अच्छी स्थिति में लौट आना चाहिए। एक बार क्षमताओं के उपयोग में सुधार हो जाने के बाद, निजी निवेश को भी बेहतर स्थिति में लौट आना चाहिए। इसलिए, सदस्यों ने यह महसूस किया कि 2022-23 के दौरान विकास की वास्तविक वृद्धि दर संभावित रूप से 7 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत तक रहेगी।
हालांकि, इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि 2022-23 के केंद्रीय बजट में अवास्तविक रूप से उच्च कर राजस्व या कराधान में होने वाले उतार – चढ़ाव से जुड़े आंकड़े पेश किए जायें। सुधार के उपायों के साथ-साथ आंकड़ों के मामले में पारदर्शी यथार्थवादी दृष्टिकोण की वजह से 2021-22 के केंद्रीय बजट की सराहना की गई थी। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्यों का यह मानना था कि पूंजीगत व्यय और मानव पूंजी व्यय के रूप में अतिरिक्त राजस्व के उपयोग का संकेत देते हुए इन आयामों को 2022-23 के बजट में भी आगे बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि कोविड ने मानव पूंजी घाटे को जन्म दिया है। निजीकरण का एक स्पष्ट रोडमैप होना चाहिए और पिछले साल के बजट की विकासोन्मुखी प्रवृति को भी आगे जारी रखा जाना चाहिए।
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