फ्रांस में रोके गए प्लेन में थे 21 गुजराती:सभी मेहसाणा जिले के, यहां के 4 गांवों की आधी से ज्यादा आबादी पहुंची US
अमेरिका जाने वालों में पहले नंबर पर उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले का नाम आता है। यहां के अखज, सालडी, वडस्मा, लांघणज जैसे चार गांवों में तो युवा आबादी ही नहीं बची है।
मानव तस्करी के शक में फ्रांस में रोके गए 276 भारतीयों वाला प्लेन मंगलवार को भारत पहुंच गया। प्लेन में सवार पैसेंजर्स में 21 गुजराती भी हैं, जो ट्रेन से आज अहमदाबाद पहुंचेंगे। ये सभी मेहसाणा जिले के आसपास के गांवों के रहने वाले हैं।
हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब अमेरिका में घुसपैठ करने की कोशिश करने वालों में गुजरातियों का नाम आया हो। अमेरिका जाने वालों में पहले नंबर पर उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले का नाम आता है। यहां के अखज, सालडी, वडस्मा, लांघणज जैसे चार गांवों में तो युवा आबादी ही नहीं बची है।
इसी सिलसिले में दिव्य भास्कर की टीम ने इन गांवों की ग्राउंड रिपोर्टिंग की तो पता चला कि यहां के ज्यादातर लोग विदेश शिफ्ट हो चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा लोग अमेरिका ही गए हैं। हालांकि गांव के लोग खुलकर यह नहीं बताते कि ज्यादातर लोग वैध या अवैध रूप से अमेरिका पहुंचे हैं।
कुछ लोगों ने अपनी पहचान छिपाकर बताया कि एजेंट्स की मदद से यहां के लोगों का अमेरिका जाना कोई नहीं बात नहीं है। फ्रांस में पकड़ाई फ्लाइट भी कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि अमेरिका में घुसपैठ करने वालों को ले जानी वाली ऐसी फ्लाइट तो हर हफ्ते उड़ती है।
अखज गांव की आबादी करीब 5 हजार थी, जो अब 1 हजार ही बची है।
गांववालों की करते हैं आर्थिक मदद
भास्कर की टीम सबसे पहले अखज गांव पहुंची तो देखा कि गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क है और अंदर भी गलियों में पक्की सड़कें हैं। गांव में बड़े-बड़े मकान हैं, लेकिन ज्यादातर मकानों में ताले डले हुए हैं। गांव के लोग बताते हैं कि कुछ साल पहले तक इस गांव की आबादी करीब 5 हजार थी, जो अब 1 हजार ही बची है। ज्यादातर लोग विदेश शिफ्ट हो चुके हैं।
विदेश पहुंचे लोगों का गांव में आना-जाना लगा रहता है। जब भी गांव में या फिर गांव में रहने वाले किसी परिचित को समस्या आ जाए तो विदेशों में बैठे लोग दिल खोलकर मदद करते हैं। गांव में कुछ काम होना हो या किसी बेटी की शादी हो तो पहले ही मदद भेज देते हैं।
फ्रांस की घटना को ज्यादा ही तूल दिया जा रहा
अखज गांव के निवासी और तालुका पंचायत के सदस्य दिनेश सुथार ने बताया कि फ्रांस में पकड़े गए प्लेन की खबर के बारे में गांव के हर शख्स को पता है, क्योंकि इस फ्लाइट में आसपास के ही गांव के लोग थे, लेकिन वे अवैध रूप से नहीं, बल्कि कानूनी तरीके से अमेरिका जा रहे थे।
सुथार ने आगे कहा कि दुबई से निकारागुआ जा रहा यह प्लेन ईंधन भरने के लिए फ्रांसीसी हवाई अड्डे पर उतरा था। किसी ने ई-मेल के जरिए एयरपोर्ट अथॉरिटी को मैसेज कर दिया कि विमान में सवार लोग अवैध तरीके से अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहे थे। फ्रांस की कोर्ट भी यह साबित नहीं कर सकी है कि पैसेंजर अवैध तरीके से अमेरिका जा रहे थे, तो यह बात हम कैसे कह सकते हैं।
सालडी गांव की सुनसान सड़क। यहां बड़े-बड़े मकान और आलीशान बंगले हैं, लेकिन उनमें रहने वाला कोई नहीं।
सालडी गांव में भी कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं
इसके बाद भास्कर की टीम सालडी गांव पहुंची। करीब 4 हजार की आबादी वाले इस गांव में भी मूलभूत सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। यहां भी बड़े-बड़े मकान और आलीशान बंगले हैं, लेकिन उनमें रहने वाला कोई नहीं है। गिनती के मकानों में कुछ बुजुर्ग रहते हैं तो वे भी कई-कई महीनों के लिए बेटे-बेटियों के पास विदेश पहुंच जाते हैं।
गांव के लोग बताते हैं कि ज्यादातर लोग अमेरिका में रहते हैं और विशेष कार्यक्रमों पर या फिर छुट्टियां बिताने यहां आते हैं। हालांकि अवैध रूप से अमेरिका जाने की बात पर गांव में किसी ने कुछ नहीं कहा। सभी का यही कहना था कि गांव के लोग समाज की मदद से विदेश पहुंचते हैं, फिर वे अमेरिका पहुंचने में दूसरे लोगों की मदद करते हैं।
वडस्मा गांव, जहां पटेल समुदाय के लोगों की बड़ी आबादी रहा करती थी।
गांव में भी कुछ ऐसा ही हो रहा होगा
सालडी गांव से मात्र तीन किलोमीटर ही वडस्मा गांव है। करीब 6 हजार की आबादी वाले इस गांव में आधी संख्या पटेल समुदाय के लोगों की थी, लेकिन अब इनकी संख्या न के बराबर है। ज्यादातर विदेशों में खासतौर पर अमेरिका पहुंच चुके हैं। पटेल समुदाय का अमेरिका में मोटल इंडस्ट्रीज में दबदबा है।
फ्रांस में पकड़ी गई फ्लाइट के बारे में जब दिव्य भास्कर टीम ने गांववालों से बात की तो किसी ने खुलकर कुछ नहीं कहा। हालांकि कुछ लोग दबी जुबान में यह कहते नजर आए कि प्लेन में आसपास के गांव के लोग थे। कुछ ने कहा कि जांच होगी तो बहुत कुछ सच सामने आ सकता है।
मेहसाणा जिले का लांघणज भी आर्थिक रूप से काफी समृद्ध है।
लांघणज में भी रहने वालों की संख्या बहुत कम
भास्कर की टीम सालडी से लांघणज गांव पहुंची। यहां भी सब कुछ पहले तीन गांवों की तरह ही नजर आया। टीम लांघणज पुलिस स्टेशन पहुंची और प्रभारी पीएसआई से मुलाकात कर गांव के बारे में जाना। उन्होंने कहा कि यहां चारों तरफ शांति है। यहां खेती-किसानी भरपूर है। गांव बहुत समृद्ध है, लेकिन यहां रहने वालों की संख्या बहुत कम है। अब यहां की आबादी दो-तीन हजार के आसपास है, जबकि 10-15 साल पहले तक आबादी 5 हजार के आसपास थी।
आसपास के दूसरे गांवों का भी यही हाल है। ज्यादातर लोगों की फैमिली विदेशों में बस चुकी है। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि लोग वैध या अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचे। फ्रांस वाली घटना की जांच शुरू होने की बात सुनी है।
300 भारतीयों वाला विमान दुबई से निकारागुआ जा रहा था।
क्या है फ्रांस का ताजा मामला
दरअसल, 22 दिसंबर को दुबई से निकारागुआ जा रहे भारतीय नागरिकों वाला विमान वाट्री एयरपोर्ट पर ईंधन भरने के लिए उतरा था। इस दौरान फ्रांस के अधिकारियों को सूचना मिली कि इसमें मानव तस्करी के पीड़ितों को ले जाया जा रहा है, जिसके बाद फ्लाइट को उड़ान भरने से रोक दिया गया था।
पहले खबर थी कि इस प्लेन से 300 यात्री भारत आ रहे हैं। इनमें से 25 भारतीयों ने फ्रांस में शरण मांगी है, इन्हें पेरिस के स्पेशल जोन ‘चार्ल्स द गॉल’ एयरपोर्ट पर उस जगह भेज दिया गया है, जहां शरण मांगने वालों को रखा जाता है।
फ्रेंच न्यूजपेपर ला मोंड की रिपोर्ट के मुताबिक दुबई से फ्रांस पहुंचने वाली फ्लाइट में लोग अपनी मर्जी से आए थे। इसलिए फ्रांस की पुलिस ने मानव तस्करी के एंगल से मामले की जांच बंद कर दी है। अब इसे इमिग्रेशन के कानूनों के उल्लंघन के तौर पर देखा जा रहा है।
4 दिन बाद वापस लौटे 276 भारतीय
4 दिन फ्रांस में रोके जाने के बाद 276 भारतीयों को लेकर प्लेन मंगलवार सुबह मुंबई पहुंचा। इसने 25 दिसंबर की शाम पेरिस के वाट्री एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी। यह मंगलवार सुबह 4 बजे मुंबई एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। एयरपोर्ट पर पहुंचते ही CISF ने यात्रियों से पूछताछ की।
Add Comment