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बटला हाउस एनकाउंटर: हाई कोर्ट ने आतंकी आरिज खान की फांसी की सजा को उम्रकैद में क्यों बदला, जानिए

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बटला हाउस एनकाउंटर: हाई कोर्ट ने आतंकी आरिज खान की फांसी की सजा को उम्रकैद में क्यों बदला, जानिए

दिल्ली हाई कोर्ट ने बटला हउस एनकाउंटर मामले में दोषी आतंकी आरिफ खान की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है। निचली अदालत ने आतंकी को मौत की सजा सुनाई थी। एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मौत हुई थी

हाइलाइट्स

  • बटला हाउस एनकाउंटर मामले में दोषी आतंकी को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत
  • हाई कोर्ट ने आतंकी आरिज खान की मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील किया
  • निचली अदालत ने आतंकी को सुनाई थी मौत की सजा, 10 लाख जुर्माना भी

batla encounter

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने 2008 के बटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी करार दिए गए आरिज खान को सुनाई गई फांसी की सजा को बृहस्पतिवार को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। बटला हाउस मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मौत हो गई थी। मौत की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए कोर्ट ने कहा कि यह मामला ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ की श्रेणी में नहीं आता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि ये साबित करने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि अधिकारी को किस आरोपी की गोली लगी थी।

हाई कोर्ट ने कहा कि उसे ये पता है कि देश ने एक बहादुर पुलिस अधिकारी को कर्तव्य निभाते हुए खो दिया, लेकिन मामला ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ की श्रेणी में नहीं आता जिसमें मौत की सजा दी जाए।

जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच ने निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें खान को पुलिस अधिकारी की हत्या का दोषी ठहराया गया था। अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों और अन्य सामग्री से उसकी मौजूदगी घटनास्थल पर होने की बात साबित होती है और उसके मौके से फरार होने के दौरान अधिकारियों पर गोली चलाने की बात भी साबित होती है।

हालांकि, हाई कोर्ट ने कहा कि यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड में कुछ नहीं है कि अधिकारी को लगी गोली के लिए किसी आरोपी विशेष को जिम्मेदार ठहराया जा सके।

अदालत ने घटना के समय बीटेक के 23 वर्षीय छात्र रहे खान को सुनाई गई फांसी की सजा की पुष्टि करने से इनकार करते हुए कहा कि इस अदालत की सुविचारित राय है कि सश्रम आजीवन कारावास की सजा उचित होगी।

अगस्त महीने में दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी दलीलें पूरी की थीं, जिसके बाद पीठ ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई के अधिकारी शर्मा की मौत 19 सितंबर, 2008 को दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर में पुलिस और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ के दौरान हुई थी। राष्ट्रीय राजधानी में पांच सिलसिलेवार बम विस्फोटों के कुछ दिन बाद हुई मुठभेड़ में दो आतंकवादी भी मारे गए थे। विस्फोटों में 39 लोगों की मौत हुई थी और 159 लोग घायल हुए थे।

शर्मा ने विस्फोटों के जिम्मेदार आतंकवादियों की तलाश में इस इलाके में छापा मारा था।

निचली अदालत ने आठ मार्च, 2021 को खान को दोषी ठहराया था और कहा था कि यह विधिवत साबित हो गया कि उसने और उसके सहयोगियों ने पुलिस अधिकारी की हत्या की। इसने कहा था कि खान का अपराध ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ की श्रेणी में आता है जिसमें अधिकतम सजा दी जानी चाहिए जो ‘मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाना’ है।

इसने 15 मार्च, 2021 को खान को मौत की सजा सुनाई थी और उस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अदालत ने कहा था कि 10 लाख रुपये तत्काल शर्मा के परिवार के सदस्यों को दिए जाने चाहिए।

इसके बाद खान को सुनाई गई मौत की सजा के मामले को पुष्टि के लिए उच्च न्यायालय में भेजा गया।

जब कोई निचली अदालत किसी व्यक्ति को मृत्यु की सजा सुनाती है तो उच्च न्यायालय फैसले का अध्ययन करता है और अपराधी को फांसी देने से पहले सजा की पुष्टि उसे करनी होती है।

कब-कब क्या हुआ?

  • 19 सितंबर 2008: पुलिस और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़। प्राथमिकी दर्ज।
  • तीन जुलाई 2009: आरिज खान और शहजाद अहमद को निचली अदालत ने भगोड़ा घोषित किया।
  • दो फरवरी 2010: शहजाद अहमद को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया।
  • एक अक्टूबर 2010: मामले की जांच को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को सौंपा गया।
  • 30 जुलाई 2013: इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी और सह आरोपी शहजाद अहमद को निचली अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई।
  • 14 फरवरी 2018: एक दशक तक फरार रहने के बाद आरिज खान को गिरफ्तार किया गया।
  • आठ मार्च 2021: आरिज खान को निचली अदालत ने हत्या और अन्य अपराधों में दोषी ठहराया।
  • 15 मार्च 2021: निचली अदालत ने आरिज खान को मौत की सजा सुनाई और उस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
  • 10 जनवरी 2022: दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने व सजा सुनाए जाने के खिलाफ आरिज खान की अपील पर पुलिस को नोटिस जारी किया।
  • सात मार्च 2022: उच्च न्यायालय ने मौत की सजा की पुष्टि की जाए या नहीं, इस संदर्भ में खान को नोटिस जारी किया।
  • 18 अगस्त 2023: उच्च न्यायालय ने मामले में आरिज खान को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
  • 12 अक्टूबर 2023: उच्च न्यायालय ने निरीक्षक मोहन चंद शर्मा की हत्या के मामले में खान की दोष सिद्धि को बरकरार रखा लेकिन मौत की सजा को उम्र कैद में बदला।
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