बाइडेन के इनकार के बाद मैक्रों चीफ गेस्ट:भारत कैसे चुनता है रिपब्लिक डे के मेहमान; फ्रांस क्यों सबसे पसंदीदा
भारत के 75वें रिपब्लिक डे पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों को चीफ गेस्ट का न्योता भेजा गया है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आने में असमर्थता जताई थी। अगर मैक्रों शामिल होते हैं तो वे रिपब्लिक डे परेड की शोभा बढ़ाने वाले छठे फ्रांसीसी राष्ट्रपति होंगे।
भारत में रिपब्लिक डे पर विदेशी चीफ गेस्ट की पुरानी परंपरा रही है। दो बार पाकिस्तान के नेता भी परेड के मुख्य अतिथि बन चुके हैं। जनवरी 1965 में पाक के एग्रीकल्चर मिनिस्टर राणा अब्दुल हामिद हमारे मेहमान थे और 3 महीने बाद अप्रैल में पाकिस्तान के साथ जंग छिड़ गई थी।
भास्कर एक्सप्लेनर में रिपब्लिक डे परेड के चीफ गेस्ट चुने जाने की प्रक्रिया, प्रोटोकॉल और रिवायत के बारे में जानेंगे; ऐसे मौकों पर भारत का पसंदीदा क्यों बन जाता है फ्रांस…
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों गणतंत्र दिवस समारोह में चीफ गेस्ट बनेंगे। इससे पहले 2016 में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत आए थे।
फॉरेन एक्सपर्ट प्रोफेसर राजन कुमार फ्रांस के राष्ट्रपति को चीफ गेस्ट बनाए जाने की 3 वजह बताते हैं…
1. भारत को लेकर फ्रांस का स्टैंड दूसरे पश्चिमी देशों से अलग है। कई बार अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी भारत में मानवाधिकार और लोकतंत्र को लेकर सवाल खड़े करते हैं।
फ्रांस इनकी तुलना में भारत के आंतरिक मामलों में काफी कम दखलंदाजी करता है। ये मुख्य वजह है कि भारत का फ्रांस के साथ कभी कोई बड़ा मनमुटाव नहीं रहा है।
ये तस्वीर नई दिल्ली में होने वाले G20 कार्यक्रम की है, जब PM नरेंद्र मोदी के साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों बात कर रहे थे। (Photo Creadit: PTI)
2. जुलाई 1998 में भारत ने परमाणु ताकत बनने की ठानी और न्यूक्लियर टेस्ट किए तो सभी पश्चिमी देशों ने इस पर आपत्ति जताई। अमेरिका ने भारत पर कई तरह की पाबंदियां लगाई थीं। तब फ्रांस के राष्ट्रपति जैक शिराक ने भारत का समर्थन किया था।
पश्चिमी देशों के उलट जाकर फ्रांस ने भारत को न्यूक्लियर प्लांट लगाने में मदद की। रूस के बाद फ्रांस इकलौता ऐसा देश है जिसने भारत की न्यूक्लियर क्षमता को बढ़ाने में मदद की। इस प्लांट को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत अभी जारी है। महाराष्ट्र के जैतपुर में लगा परमाणु प्लांट फ्रांस की मदद से ही मुमकिन हो पाया।
3. भारत और फ्रांस दोनों काफी अच्छे बिजनेस पार्टनर हैं। दोनों ही देशों का कुल ट्रेड 13 बिलियन डॉलर से ज्यादा है। ये दोस्ती इसलिए भी खास है कि फ्रांस से भारत सिर्फ आयात नहीं करता बल्कि उसे सामान बेचता भी है।
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 7.6 बिलियन डॉलर से ज्यादा का सामान फ्रांस को भेजा है। यह 2021-22 की तुलना में 14% ज्यादा है। वहीं, 2022-23 में फ्रांस ने भारत को 5.8 बिलियन डॉलर का सामान भेजा था। फ्रांस उन टॉप 3 देशों में शामिल है, जो भारत को सबसे ज्यादा रक्षा के साजो-सामान बेचते हैं।
रिपब्लिक डे परेड का चीफ गेस्ट चुनने के लिए 6 महीने पहले से तैयारी
गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट चुनने की प्रक्रिया रिपब्लिक डे से छह महीने पहले शुरू की जाती है। विदेश मंत्रालय के बड़े अधिकारी अलग-अलग नामों पर चर्चा करते हैं।
इस दौरान कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। मसलन- जिस देश का चीफ गेस्ट होगा उससे भारत के रिश्ते कैसे हैं। इसके बाद पॉलिटिकल, इकोनॉमिक, कॉमर्शियल, सैन्य सहयोग और अन्य विषयों पर चर्चा होती है।
इस साल 20 सितंबर 2023 को भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन को रिपब्लिक डे पर चीफ गेस्ट बनने का निमंत्रण दिया था। इसकी जानकारी अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने दी थी। हालांकि 12 दिसंबर को जब बाइडेन के ऑफिस ने उनके नहीं आने की जानकारी दी, तब इसके बाद फ्रांस के राष्ट्रपति को जल्दबाजी में न्योता भेजा गया।
चीफ गेस्ट बुलाने का प्रोसेस ये है कि जब किसी एक देश को लेकर मीटिंग में शामिल सभी विशेषज्ञ सहमत हो जाते हैं तो उस देश का नाम प्रधानमंत्री को भेजा जाता है। PM अपने सलाहकारों के साथ राय-मशविरा करने के बाद फाइल आगे राष्ट्रपति भवन में बढ़ा देते हैं।
ये तस्वीर 2016 की है, जब फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद गणतंत्र दिवस समारोह के चीफ गेस्ट थे।
राष्ट्रपति भवन से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद तय मेहमान का शेड्यूल पूरी सावधानी के साथ उस देश में अपॉइंट इंडियन एम्बेस्डर पता करते हैं। सब सही होने पर विदेश मंत्रालय का टेरिटोरियल डिवीजन तय हुए चीफ गेस्ट के साथ बातचीत शुरू करता है। दूसरी ओर से सहमति मिलने के बाद चीफ गेस्ट के नाम पर फाइनल मुहर लगती है।
इसके बाद प्रोटोकॉल अधिकारी मिनट टु मिनट शेड्यूल प्रोग्राम पूरी सिक्योरिटी के साथ जिम्मेदार ऑफिसर्स के साथ शेयर करते हैं।
क्या पहले से तय यात्रा के शेड्यूल में कुछ बदलाव हो सकता है?
गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान किसी विदेशी मेहमान की यात्रा को लेकर सभी चीजें पहले से तय होती हैं। हालांकि इस बात की संभावना हमेशा बनी रहती है कि पहले से तय शेड्यूल में किसी वजह से कोई बदलाव हो जाए। जैसे- बेमौसम बारिश, विदेशी मेहमान की तबीयत खराब होने या दूसरी वजहों से मेहमान किसी कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दे।
2024 गणतंत्र दिवस समारोह में जो बाइडेन का नहीं आ पाना इसका उदाहरण है। इस तरह की समस्या से निपटने के लिए पहले ही तैयारी कर ली जाती है। ताकि इस खास ऐतिहासिक दिन पर सब कुछ सही से हो सके।
भारत के राजदूत मनबीर सिंह के मुताबिक एक बार तो ऐसा भी हुआ जब गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान चीफ गेस्ट के पर्सनल सुरक्षा सेक्रेटरी को जबरन रोकना पड़ा।
दरअसल, अपने यहां गणतंत्र दिवस पर परंपरा है कि तीनों सेना के कमांडर चीफ गेस्ट को गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं। उस वक्त वहां कोई और नहीं होता है। उस समय जब चीफ गेस्ट के सेक्रेटरी नहीं माने तो जबरन उन्हें वहां से हटाना पड़ा था।
रिपब्लिक डे परेड में सबसे ज्यादा फ्रांस के चीफ गेस्ट
रिपब्लिक डे आयोजन की शुरुआत 26 जनवरी 1950 को हुई थी। पहला समारोह इरविन स्टेडियम में मनाया गया। इसमें इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो को चीफ गेस्ट बनाया गया। नेहरू और सुकर्णो करीबी माने जाते थे। दोनों ने एशिया और अफ्रीकी देशों की आजादी को लेकर आवाज उठाई थी।
साल 1955 में रिपब्लिक डे पर पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद चीफ गेस्ट थे।
1955 में राजपथ पर पहली बार गणतंत्र दिवस परेड हुई। इस समारोह में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इसके दस साल बाद 1965 में पाकिस्तान के एग्रीकल्चर मिनिस्टर राणा अब्दुल हमीद शामिल हुए। इसके तीन महीने बाद ही दोनों देशों के बीच जंग छिड़ गई। तब से आज तक पाकिस्तान के किसी नेता को रिपब्लिक डे परेड का चीफ गेस्ट नहीं बनाया गया।
2024 तक की बात करें तो रिपब्लिक डे परेड में सबसे ज्यादा 6 बार फ्रांस के लीडर शामिल हुए हैं, जबकि 5 बार ब्रिटेन के लीडर शामिल हुए हैं। भूटान के राजा 4 बार परेड में चीफ गेस्ट रहे। 1958 में चीनी आर्मी के मार्शल ये जियानयिंग भी रिपब्लिक डे परेड में आ चुके हैं। अब तक कुल 77 विदेशी मेहमानों ने रिपब्लिक डे की शोभा बढ़ाई है।
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