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बात बराबरी की- अकेली लड़की की आवाज कोई नहीं सुनता:यहां तो 500 लड़कियां चीख रहीं पर मर्दों को सुनाई नहीं दे रहा

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बात बराबरी की- अकेली लड़की की आवाज कोई नहीं सुनता:यहां तो 500 लड़कियां चीख रहीं पर मर्दों को सुनाई नहीं दे रहा

ये किसी सिनेमा की कहानी नहीं है। आंखों देखा किस्सा है। 2012-13 की घटना है। हरियाणा के फतेहाबाद जिले के एक गांव में रेप की घटना हुई। जिसका रेप हुआ, वो उसी गांव के सरकारी स्कूल में छठी क्लास में पढ़ती थी। जिसने खेत में बच्ची को अकेला पाकर रेप किया था, वो 40 साल का गांव का एक रसूखदार आदमी था।

मैं उस घटना की रिपोर्टिंग के लिए वहां गई थी। पहले मैं उस बच्ची से मिली। फिर उसके स्कूल के प्रिंसिपल से, टीचर्स से, गांव के प्रधान से, गांव के अन्य बड़े-बूढ़ों-वयस्कों से, उसके पिता से। और इन सबसे बढ़कर लोकल थाने में तैनात पुलिस वालों से, जो मामले की जांच कर रहे थे। बच्ची उस वक्त फतेहाबाद के सरकारी अस्पताल में भर्ती थी।

रेप की उस घटना के बाद जो-जो घटनाक्रम हुए, वो सिलसिलेवार कुछ इस तरह हैं-

– उस बच्ची की मां नहीं थी और पिता काम के लिए अकसर घर से बाहर रहते थे। घर पर दो बहनें ही होतीं। जब रेप की खबर गांव में फैली तो बच्ची का हाल पूछने, दिलासा देने कोई नहीं आया।

– उल्टे गांव के रसूखदारों की बैठक में उसके पिता की ही पेशी हो गई, मानो अपराधी वो लड़की ही हो।

– चौधरियों ने बाप को चुप रहने और मामले को दबाने के लिए कहा। वो नहीं माने और सीधा पुलिस को खबर कर दी।

– बाप ने पुलिस को बुला तो लिया था, लेकिन वो भी उस आदमी से ज्यादा नाराज अपनी बेटी से था। इज्जत तो आखिरकार उनकी ही लुटी थी।

– अगले दिन अखबार में खबर छपने पर उन्हें भी पता चल गया, जिन्हें पता नहीं था। खबर जंगल की आग की तरह पूरे गांव में फैल गई।

– पुलिस गांव में पूछताछ, तफ्तीश करने आती तो लोग या तो घरों में दुबक जाते या मुंह दबाकर कहते- बिन मां की लड़की है, उसका चरित्र ठीक नहीं। लड़कों से मिलना-जुलना था उसका। कोई नजर रखने वाला जो नहीं है।

– पूरे गांव में रेप करने वाले के चरित्र से ज्यादा चर्चा उसके चरित्र की हो रही थी, जिसका रेप हुआ था, यानी कक्षा छह में पढ़ने वाली बच्ची।

– छह-सात दिन बाद जब लड़की अपनी बहन के साथ स्कूल गई तो प्रिंसिपल ने लड़कियों को अपने कमरे में बुला भेजा। फरमान जारी हुआ, “अब तुम इस स्कूल में नहीं पढ़ सकती. स्कूल का माहौल खराब होगा।”

– लड़की ने बताया कि जांच जैसा कुछ हुआ था, लेकिन जांच करने वाली औरत ने उससे ऐसे बोला, “शलवार खोलकर लेट जा।” जब वो बता रही थी कि उसके साथ क्या हुआ तो जांच वाली मैडम चाय में बिस्कुट डालकर खा रही थीं।

– पुलिस ने शिकायत तो दर्ज कर ली थी, जांच वाली मैडम ने कुछ जांच भी की थी, लेकिन अंत तक मामले की एफआईआर दर्ज नहीं हुई।

– वो दोनों बहनें फिर कभी स्कूल भी नहीं गईं।

जैसे अखबारों के चौथे-पांचवें पन्ने पर आए दिन ऐसी रेप की खबरें छपती हैं। मेरे जैसे पत्रकार कई बार 400 किलोमीटर की यात्रा करके थोड़ा इनडेप्थ रिपोर्टिंग भी कर आते हैं। लोग पढ़ते हैं, लेखन कला की तारीफ करते हैं, और फिर भूल जाते हैं।

बदलता कुछ नहीं है।

अगले दिन एक नई कहानी, एक नई रिपोर्ट, एक नया ओपिनियन पीस।

कुछ रोज पहले हरियाणा के सिरसा से एक खबर आई। चौधरी देवीलाल यूनविर्सिटी की 500 छात्राओं ने वहां के एक प्रोफेसर पर सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को एक चिट्‌ठी भी लिखी है। प्रधानमंत्री से अपील की है कि वो उन लड़कियों को बचा लें। मामले की निष्पक्ष जांच करवाएं और उस प्रोफेसर को बर्खास्त करें।

उस चिट्‌ठी की कॉपी बहुत सारे लोगों के पास गई है। यूनिवर्सिटी के VC के पास, राज्य के गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय के पास, गृह मंत्री अनिल विज के पास और नेशनल विमेन कमीशन की हेड रेखा शर्मा के पास भी।

लेकिन डेढ़ कॉलम की खबर और दो सौ शब्दों की न्यूज के अलावा कहीं इस बारे में कुछ पढ़ा आपने। कोई शोर नहीं है, जबकि 500 लड़कियां मिलकर शोर मचा रही हैं। लड़कियों का आरोप है कि वो प्रोफेसर अपने कमरे में बुलाकर लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें करता है, अपना प्राइवेट पार्ट दिखाता है, छूने के लिए कहता है। इतना ही नहीं, डराता-धमकाता भी है। किसी को बोला तो परिणाम भुगतोगी।

ऐसा भी नहीं है कि लड़कियां पहली बार बोल रही हैं। यह उनकी चौथी शिकायत है। इसके पहले दो बार यूनिवर्सिटी की इंटरनल कमेटी ने जांच के नाम पर पता नहीं क्या गोल-मोल फॉरमैलिटी की और प्रोफेसर को क्लीन चिट दे दी।

बेचारा प्रोफसर तो बड़ा नेक आदमी है, 500 लड़कियां ही पागल हैं।

मैं इस वक्त सिरसा की उस यूनिवर्सिटी से ग्राउंड रिपोर्ट तो नहीं कर रही, लेकिन फतेहाबाद के उस गांव की तरह लोगों की दबी-छिपी आवाजें अब भी मेरे कानों में गूंज रही हैं।

जब मैं उस स्कूल के प्रिंसिपल से मिलने उसके घर पहुंची तो वो अपने दुआरे बड़े से दलान में बैठकर हुक्का गुड़गुड़ा रहा था। उसकी रुचि मेरे सवालों का जवाब देने से ज्यादा मुझे चाय-लस्सी पिलाने में थी। उस घटना के जिक्र भर से बोला, “अरे मैडम, सब सहमति से हुआ है। वो तो किसी ने खेत में देख लिया तो लड़की ने रेप का आरोप लगा दिया।” लड़की का चरित्र ठीक नहीं। स्कूल में भी मैंने उसे कई बार लड़कों से बतियाते देखा है।

ठीक यही शब्द थे उसके। चूंकि वो स्कूल में लड़कों से बात करती थी, इसलिए उसका चरित्र संदिग्ध है और उसके साथ हुआ रेप सहमति से हुआ सेक्स है।

रेप, सहमति, सेक्स, चरित्र आदि की ऐसी अनूठी व्याख्या आपको कहां मिलेगी।

सिर्फ उस समाज में, जहां मर्दों का बोलबाला है। जहां उनके पास ताकत है, पैसा है, दुनिया में उनकी हैसियत है, रुतबा है। जहां मर्द के सौ खून माफ हैं और लड़की का छींकना भी अपराध। लड़की कक्षा छह में पढ़ती थी और रेप करने वाला 40 साल का आदमी था, लेकिन प्रिंसिपल के हिसाब से सब कुछ सहमति से हुआ था।

उस गांव की लड़कियों ने बताया कि लड़के अकसर सड़क चलते छेड़खानी करते हैं। वो घर में कभी नहीं बतातीं क्योंकि फिर उनका ही स्कूल जाना बंद करवा दिया जाएगा। मैं दो दिन उस गांव में थी और दो दिन में दो बार तो वहां के लड़के सरसराती बाइक से मुझ पर ही कमेंट करके चले गए।

एक लड़की बोलती है तो कोई नहीं सुनता। सबको लगता है, झूठ ही बोल रही होगी। मर्दों को हमेशा लगता है कि लड़कियां झूठ बोलती हैं। दो लड़की बोले, तब भी झूठ ही होता है। तीन, चार, पांच, दस, बीस पर भी यकीन नहीं कर पाते। लेकिन यहां तो पांच सौ लड़कियां बोल रही हैं, फिर भी यूनिवर्सिटी अथॉरिटी को, जांच करने वाले लोगों को यकीन करने में इतनी मुश्किल हो रही है। हालांकि इस बार संख्या इतनी ज्यादा है कि वो चाहकर भी इग्नोर तो नहीं कर सकते।

कोई भी आदमी इतनी सारी लड़कियों के साथ ये सब करने की हिम्मत सिर्फ इसलिए नहीं करता क्योंकि वो मर्द है। ये हिम्मत आती है उसकी सामाजिक हैसियत और रुतबे से। क्योंकि उसके पास पावर है, रसूख है, वह ऊंचे पद पर बैठा है, उसके बड़े पॉलिटिकल कनेक्शन है, ताकतवर लोगों के साथ उसका उठना-बैठना है। ये पावर ही उसे हिम्मत देती है कुछ भी करने की।

वरना क्या है, रिक्शेवाला छेड़े तो सड़क पर ही पिट जाता है। गरीब आदमी 10 रुपया चुराकर भी जेल चला जाता है, लेकिन ताकतवर आदमी से जांच कमेटी भी “सर जी, सर जी” करके बात करती है। चाय-बिस्कुल खिलाती है और क्लीन चिट दे देती है।

ये खेल जेंडर का तो है, लेकिन सिर्फ जेंडर का नहीं है। ये ताकत का खेल है। जेंडर एंगल इसमें इसलिए शामिल है क्योंकि दुनिया की 90 फीसदी संपदा और ताकत पर अकेले मर्दों का कब्जा है।

इसलिए उनका छेड़खानी करना, रेप करना भी जायज है और लड़की का सिर्फ लड़कों से बात करना भी उनके चरित्रहीन होने का सबूत।

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