बीकानेर। बीकानेर की सुप्रसिद्ध उस्ता कला को शीघ्र ही जी आई टैग के माध्यम से एक नई पहचान मिलेगी। इस क्षेत्र में नाबार्ड ने विशेष रूप से कार्य किए हैं।
DDM NABARAD BIKANER RAMESH TAMBIA
नाबार्ड बीकानेर के मैनेजर रमेश तांबिया ने एक विशेष बातचीत में बताया कि जी आई टैग अधिकृत लोगों या कम से कम भौगोलिक क्षेत्र के अंदर रहने वाले के रूप में पंजीकृत लोगों को जारी किया जाता है ताकि उस क्षेत्र की पहचान उस कला से की जा सके। उन्होंने बताया कि जल्द ही बीकानेर की उस्ता कला को जीआई टैग प्राप्त हो जाएगा, इसके लिए नाबार्ड के साथ प्रयास वेलफेयर संस्थान तथा जय भैरव वेलफेयर सोसाइटी ने साथ मिलकर कार्य किया है।
प्रयास वेलफेयर संस्थान के धर्मेंद्र छंगानी ने बताया कि संस्थान द्वारा नाबार्ड के माध्यम से उस्ता कला के सभी कलाकारों को एक साथ लाकर बीकानेर की उस्ता कला को जीआई टैग के माध्यम से पहचान दिलवाने का कार्य किया गया है। जय भैरव वेलफेयर सोसाइटी के मनमोहन पालीवाल ने बताया कि उस्ता कला को आगे लाने के लिए नाबार्ड के साथ मिलकर सोसाइटी ने विशेष कार्य किए हैं ।उन्होंने बताया कि इसके साथ पाक विस्थापित महिलाओं द्वारा की गई कशीदाकारी जो कि बीकानेर में रह रही पाक विस्थापित महिलाओं द्वारा की जा रही है उसके लिए भी विशेष रुप से कार्य किए जा रहे हैं, ताकि उन्हें भी जीआई टैग दिलवाकर उनके रचनात्मक कार्य को नई पहचान दी जा सके।
इस अवसर पर उस्ता कलाकार मोहम्मद सोहेल उस्ता ने बताया कि उस्ता कला एवं कलाकारों के लिए जी आई टैग मिलना एक मील का पत्थर साबित होगा तथा इस दिशा में किया गया नाबार्ड का प्रयास उस्ता कला को विशेष पहचान दिलवाएगा।
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