बीकानेर राजपरिवार में क्यों आमने-सामने हुईं बुआ-भतीजी?:जिस प्रॉपर्टी के कारण अरबपति बनीं बीजेपी विधायक सिद्धि कुमारी, उसी पर विवाद
बीकानेर के पूर्व राजपरिवार में बेशकीमती संपत्ति को लेकर बुआ-भतीजी आमने-सामने हैं। बुआ पूर्व महाराजा करणी सिंह की बेटी हैं तो भतीजी बीकानेर पूर्व से बीजेपी विधायक सिद्धि कुमारी।
2018 के चुनाव तक तो सिद्धि कुमारी महज करोड़पति थीं। लेकिन वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के नामांकन में दिए हलफनामे में सिद्धि कुमारी ने कुछ नई प्रॉपर्टी दर्शाई और खुद को करीब 102 करोड़ की मालकिन बताया। यहीं से विवाद शुरु हुआ। बुआ राज्यश्री ने चुनाव आयोग को शिकायत कर दी। उनका कहना था कि ये सम्पत्तियां विवादित हैं और ऐसे में सिद्धि कुमारी इन्हें अपनी सम्पति नहीं बता सकती।
दरअसल, ये पूरा झगड़ा महाराजा करणी सिंह के निधन के बाद शुरू हुआ था। कई साल तक ये विवाद राजपरिवार के महलों के अंदर चलता रहा। अब ये लड़ाई पुलिस थाने तक पहुंच गई है।
इस स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए आखिर पूर्व राजपरिवार में क्या है असली विवाद…
इसलिए हुआ विवाद?
सिद्धि कुमारी ने 2018 के चुनाव में एफिडेविट लगाकर अपनी संपत्ति करीब 8.89 करोड़ बताई थी। लेकिन 2023 के चुनाव के उन्होंने खुद को करीब 102 करोड़ की संपत्ति की मालकिन बताया है। इसमें उन्होंने करणी भवन, प्राचीना और माउंट आबू की एक प्रॉपर्टी को अपना बताया।
विधानसभा चुनाव से पहले बीकानेर की राजमाता और दिवंगत करणी सिंह की पत्नी सुशीला कुमारी का निधन हो गया था। वे विधायक सिद्धि कुमारी की दादी और राज्यश्री कुमारी की मां लगती थी। बताया जा रहा है कि राजमाता 80 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति सिद्धि कुमारी के नाम कर गई हैं। असल में अब विवाद इसी बात का है कि उस संपत्ति पर किसका हक है?
राज्यश्री कुमारी के पक्ष का तर्क है कि राजमाता की वसीयत जिस तरीके से ओपन होनी चाहिए थी, अब तक नहीं हुई है। अधिकृत तौर पर खुलने के पहले राजमाता की संपत्ति को एक पक्ष ने अपने नाम शो कर दिया है।
राज्यश्री ने करणी भवन, प्राचीना और माउंट आबू की सम्पति से जुड़े दस्तावेज पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग को एक शिकायत दर्ज कराई। उनका दावा है कि प्राचीना का व्यावसायिक उपयोग गलत हो रहा है। इस पर उनका भी अधिकार है। इसी तरह करणी भवन और माउंट आबू की सम्पति पर भी अकेली सिद्धि कुमारी का अधिकार नहीं है।
ये जानकारी सिद्धि कुमारी ने चुनाव के दौरान दी थी। इसी के बाद से ये विवाद उठने लगा था।
ये है राज्यश्री की आपत्ति
- प्राचीना पर आपत्ति : जूनागढ़ परिसर के अंदर ही एक प्राचीना म्यूजियम सिद्धि कुमारी ने विधायक बनने से पहले शुरू किया था। राज्यश्री का कहना है कि ये सम्पति रिहायशी है और व्यावसायिक रूप से इसका गलत उपयोग हो रहा है। खुद राज्यश्री ने प्राचीना पर स्वयं का चौथाई हिस्सा होने का दावा करते हुए न्यायालय में वाद लगाया हुआ है।
ये माउंट आबू की प्रॉपर्टी है, जिस पर सिद्धि कुमारी ने अपना हक जताया है।
- करणी भवन : जूनागढ़ के अंदर ही बने इस संपति को लेकर भी बीकानेर की एक कोर्ट में वाद चल रहा है। राज्यश्री ने चुनाव आयोग को दी शिकायत में कहा है कि इस सम्पति को रिहायशी बताया गया है, जबकि यहां होटल संचालित हो रहा है। यहां व्यावसायिक गतिविधि हो रही है। इसकी कीमत 34.27 करोड़ रुपए बताई गई है। वर्तमान में इसे एचआरएच ग्रुप ने लीज पर ले रखा है।
- माउंट आबू की सम्पति : इस प्रॉपर्टी में सिद्धि कुमारी ने एफिडेविट में अपना अचल हिस्सा बताया है। राज्यश्री को इस पर भी आपत्ति है। उन्होंने शिकायत में कहा है कि ये संपत्तियां सिद्धि कुमारी के अकेले स्वामित्व की नहीं हैं।
- पैतृक वसीयत : शेयर्स, एफडीआर और अचल सम्पति पर भी राज्यश्री ने आपत्ति दर्ज कराते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।
ये करणी भवन पैलेस है। इस पर भी राज्यश्री ने आपत्ति दर्ज करवाई थी।
देवस्थान विभाग में भी चल रहा एक मामला
बुआ-भतीजी का ये विवाद देवस्थान विभाग तक भी पहुंचा हुआ है। ट्रस्ट से जुड़े इस मामले में ट्रस्ट की संपति के उपयोग पर सवाल उठाए गए हैं। इसके बाद ट्रस्ट में भी कई फेरबदल किए गए। कुछ ट्रस्टियों को हटाया गया। इस मामले की अलग से जांच चल रही है।
करणी सिंह ने की थी वसीयत, उसके बाद से चल रहा विवाद
बीकानेर के महाराजा रहे करणी सिंह की 2 बेटियां हैं, राज्यश्री कुमारी और मधुलिका। एक बेटे नरेंद्र सिंह थे। राज्यश्री कुमारी के दो संतान है। इनमें एक बेटा और एक बेटी अनुपमा कुमारी हैं। इसी तरह मधुलिका कुमारी के एक बेटा रायसिंह है। वहीं नरेंद्र सिंह के बेटा नहीं था, बल्कि तीन लड़कियां दक्षा, महिमा और सिद्धि कुमारी हैं। इनमें से दक्षा कुमारी का निधन हो चुका है। स्वयं सिद्धि कुमारी अविवाहित हैं।
4 सितंबर 1988 को करणी सिंह का निधन हुआ था। निधन से पहले करणी सिंह ने अपनी संपत्तियों के बंटवारे को लेकर एक वसीयत भी कर दी थी। ये वसीयत कभी भी सार्वजनिक नहीं की गई। ऐसे में किस बेटी और बेटे को वसीयत में क्या-क्या दिया गया। इस बारे में अधिकृत तौर पर कोई जानकारी राजपरिवार से बाहर नहीं आई।
इन सभी प्रॉपर्टी को लेकर सिद्धि कुमारी की बुआ ने चुनाव आयोग में भी शिकायत की थी।
अब करणी सिंह की बेटी राज्यश्री का दावा है कि उनके पिता महाराजा करणी सिंह ने सारी वसीयत अपने एकमात्र बेटे नरेंद्र सिंह के नाम नहीं की थी। बेटी के रूप में उनका भी संपत्ति में हिस्सा है। राज्यश्री कुमारी के स्टाफ का कहना है कि राजमाता सुशीला ने अगर कुछ सिद्धि कुमारी के नाम किया है तो अभी ये तय किया जाना शेष है कि क्या वो राजमाता के स्वयं के अधिकार क्षेत्र में था या नहीं?
बुआ के खिलाफ सिद्धि कुमारी भी पहुंचीं थाने
खुद के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत के बाद सिद्धि कुमारी ने भी अपनी बुआ के खिलाफ बीकानेर में मुकदमा दर्ज करवाया है। दर्ज एफआईआर में राज्यश्री कुमारी के साथ ही उनके ऑफिस में काम करने वाले सामान्य कर्मचारियों पर भी मामला दर्ज कराया गया है। जिसमें राजेश पुरोहित और पुखराज शामिल हैं। ये दोनों उनके ऑफिस में वर्षों से काम कर रहे हैं। इसके अलावा राज्यश्री की शिकायत के आधार पर जिला निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन देने वाली कांग्रेस की प्रवक्ता ऋतु चौधरी को भी नामजद करवा दिया।
मेरे ऊपर लगे आरोप झूठे- राज्यश्री
राज्यश्री कुमारी ने एक बयान जारी कर कहा है कि राजमाता की वसीयत मुंबई में रजिस्टर्ड है। ये नियम है कि मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में कोई वसीयत रजिस्टर्ड है तो वो पहले हाईकोर्ट में प्रोबेट होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर भी उस वसीयत का जिक्र चुनाव नामांकन में किया गया। ये कानून का उल्लंघन है। मैंने इसी की शिकायत चुनाव आयोग में की थी।
बयान देने से बच रहीं सिद्धि कुमारी
इस पूरे मामले में सिद्धि कुमारी किसी तरह का बयान देने से बच रही हैं। जब उनसे मोबाइल पर बात की तो इस विवाद पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हालांकि सीधे तौर पर राज्यश्री ने भी कोई वक्तव्य नहीं दिया है, अलबत्ता एक वीडियो जारी कर सदर थाने में दर्ज मामले को गलत बताया है। ये भी कहा है कि हम मेहनती लोग हैं और अपना काम कर रहे हैं।
ट्रस्ट भी बनाए गए
महाराजा करणी सिंह के निधन के बाद राजपरिवार ने कई ट्रस्ट बना दिए। इन ट्रस्ट से ही अनेक सामाजिक कार्य होते रहे हैं। इनमें महाराजा राय सिंह ट्रस्ट, महाराजा करणी सिंह ट्रस्ट, महाराजा करणी सिंह फाउंडेशन आदि हैं। इन ट्रस्ट के माध्यम से चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में अनुदान देने का काम भी होता है। कई साहित्यकारों को किताबें छापने के लिए भी आर्थिक सहायता दी जाती है। पीबीएम अस्पताल में भी कई कार्य करवाए गए हैं।
स्वयं सिद्धि कुमारी भी कई सामाजिक कार्यों से जुड़ी रहती है। वो अपने विधायक कोटे से भी जनहित के कार्यों पर फोकस करती हैं। खासकर पीबीएम अस्पताल के जनाना विंग में वो लाखों रुपए खर्च कर चुकी हैं।
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